हर एक इस्लामी किताब में उसका जिक्र होता है हर एक मुस्लिम जलसे में शाह वालीउल्लाह देहलवी का जिक्र होता है उसकी शान में कसीदे पढ़े जाते हैं
शाह वालीउल्लाह देहलवी के पिता औरंगजेब के दरबार मे थे
उसने देखा कि भारत में औरंगजेब का शासन कमजोर हो रहा है औरंगजेब का निधन हो गया था और उसे लगा कि अब दिल्ली की गद्दी पर मराठे कब्जा कर लेंगे
तब उसने अफगानिस्तान के दरिंदे सुल्तान अहमद शाह अब्दाली के पास गया और उन से निवेदन किया कि मैं भारत के 2 लाख मुस्लिमों को लेकर आपके साथ लड़ूंगा आप भारत पर हमला करिए और दिल्ली पर कब्जा करिए और हिंदुओं को कत्लेआम करिए
पहले तो अहमद शाह अब्दाली डर रहा था लेकिन जब शाह वालीउल्लाह देहलवी ने उसे भरोसा दिया कि मैं भारत के 2,00,000 मुसलमानों की फौज बनाकर आपके साथ रहूंगा आप भारत पर हमला करिये
मराठे यह सोच रहे थे कि भारत के मुसलमान उसका साथ देंगे क्योंकि भारत के मुसलमान ये नहीं चाहेंगे कि कोई विदेशी दिल्ली की गद्दी पर बैठे
मराठी तब चौक गए जब उन्होंने देखा कि 2,00,000 मुस्लिम सैनिक शाह वलीउल्लाह के नेतृत्व में अहमद शाह अब्दाली की सेना में जाकर मिल गए और फिर पानीपत की तीसरी लड़ाई हुई और दिल्ली पर अहमद शाह अब्दाली ने कब्जा किया
अहमद शाह अब्दाली ने लगभग 80,000 हिंदुओं का कत्लेआम किया और करीब उत्तर भारत में 3,00,000 हिंदुओं का धर्मांतरण करवाया।
शाह वालीउल्लाह देहलवी के ऊपर भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने भी किताब लिखी है और मसीहा बताया है और यह लिखा है कि यदि यह नहीं होते तो दिल्ली पर हिन्दू राजा कब्जा कर लेते।
दरअसल इस्लाम की यही सोच सबसे डरावनी है कि वह एक राष्ट्र की अवधारणा में विश्वास नहीं विश्वास करती है उसे हर मुसलमान अपना भाई लगता है भले ही वो विदेशी क्यो न हो और इसी वजह से अपने देश के रहने वाले दूसरे धर्म से नफरत करो लेकिन दुनिया के हर एक मुसलमान से प्यार करो और यही सोच देश के बंटवारे का कारण बनी।
साभार प्रवीण शर्मा के फेसबुक पेज से