देशबंधु समाचार समूह के प्रधान संपादक व वरिष्ठ पत्रकार ललित सुरजन का बुधवार रात करीब 8 बजे निधन हो गया। 74 वर्षीय ललित सुरजन के परिवार के सदस्यों ने बताया कि वे कैंसर के इलाज के लिए दिल्ली में थे। सोमवार को अचानक ब्रेन स्ट्रोक होने के बाद उन्हें धर्मशीला अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनका निधन हो गया। ललित सुरजन के परिवार में पत्नी और तीन बेटियां हैं.
ललित सुरजन को मानवीय सरोकारों वाला लेखक और पत्रकार माना जाता था। उन्हें याद करते हुए सुदीप ठाकुर ने लिखा- देशबंधु के प्रधान संपादक ललित सुरजन जी नहीं रहे। दो दिन पहले तक वह निरंतर सक्रिय थे और इस मुश्किल समय में जनपक्षधरता के साथ मजबूती से खड़े थे… उनके निधन से छत्तीसगढ़ ने मानवीय सरोकारों के लिए लड़ने वाला एक योद्धा खो दिया…सादर नमन
बीबीसी हिंदी से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार अलोक पुतुल ने लिखा, ”देशबन्धु पत्र समूह के संपादक और जाने माने पत्रकार ललित सुरजन जी नहीं रहे. वे पिछले कुछ समय से कैंसर से जूझ रहे थे. मैंने एक दशक से भी अधिक समय तक उनके साथ काम किया था. वे हमेशा स्मृतियों में बने रहेंगे.
मोहन श्रोत्रिय ने लिखा- यह क्या समय चुना ललितजी, आपने जाने का! अभी तो आपके सक्रिय रहने की सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी हमें, और भारतीय पत्रकारिता को! जिस दिन आप अस्पताल में भर्ती हुए, उसी सुबह तो आपका शानदार संपादकीय आलेख पढा था, हम सबने! आपका जाना एक ज़रूरी भरोसे का टूट जाना है! आपकी कमी बहुत लंबे समय तक खलती-अखरती रहेगी! आपको आख़िरी सलाम, और शोक-संतप्त परिजनों-मित्रों के साथ संवेदनाएं, हमारे परिवार की ओर से!
मनीषा कुलश्रेष्ठ ने उन्हें याद करते हुए लिखा, ज़हीन संपादक, चिंतक ललित सुरजन जी के निधन ने स्तब्ध कर दिया। श्रद्धांजलि।
रितेश मिश्रा ने लिखा,
ललित सुरजन चले गए
दोस्त और प्रेमी चले गए
क्या आदमी थे !
मेरे छत्तीसगढ़ आने के बाद उन्होंने बहुत मदद की मेरी
सुरजन छत्तीसगढ़ के पत्रकारिता के स्तंभ थे
नमन उनको
आईआईएमसी के प्रोफेसर आनंद प्रधान ने उन्हें याद करते हुए लिखा, ”छत्तीसगढ के प्रतिष्ठित अख़बार देशबंधु के संपादक ललित सुरजन नहीं रहे. ललित सुरजन जी उस पीढ़ी के पत्रकारों में थे जिन्होंने एक मिशन और सामाजिक सरोकार की पत्रकारिता की. उनके नेतृत्व में देशबंधु ने ग्रामीण पत्रकारिता को एक नई उंचाई पर पहुंचाया. देशबंधु छत्तीसगढ़ का अपना अख़बार बना.”
बीबीसी हिंदी और न्यूज़ 18 के संपादक रह चुके पत्रकार निधीश त्यागी ललित सुरजन को याद करते हुए लिखते हैं, ”मेरे पहले संपादक और अख़बार मालिक ललित सुरजन का जाना इस न खत्म होते साल की उदासियों को और घना कर रहा है. देशबन्धु घराने से आने वाले मेरे जैसे बहुतों के सफ़रनामों के जरूरी हिस्से और सन्दर्भ बिंदु की तरह. एक नवसाक्षर समाज और मीडिया में बौद्धिक, विचारशील, जमीनी रिपोर्टिंग की जैसी ज़िद देशबन्धु में थी, कम ही जगह देखने को मिली. ललित सुरजन हिंदी के उन अपवाद सम्पादकों में थे, जिनसे किताबों, कविताओं और सरोकारों के बारे में सवाल भी किये जा सकते थे और बहस भी.”
कविता वर्मा ने उन्हें यूं याद किया, आदरणीय ललित सुरजन जी से पहली मुलाकात भोपाल में वागीश्वरी पुरस्कार समारोह में हुई थी जहां मेरे उपन्यास छूटी गलियां का विमोचन उनके हाथों हुआ था। विमोचन के पश्चात मैं एक प्रति पर उनके हस्ताक्षर लेने गई थी तब मन में बहुत संकोच था कि एक नामालूम सी लेखिका जो लेखिका कहलाने की जद्दोजहद में है उसका इस तरह व्यस्त कार्यक्रम में तंग किया जाना उन्हें शायद अच्छा न लगे। लेकिन उन्होंने न सिर्फ बडे़ प्यार और सम्मान के साथ अपने हस्ताक्षर किये बल्कि अपनी स्नेहिल मुस्कान से आश्वस्त भी किया। आपका जाना बहुत बड़ी क्षति है। सादर नमन।
छत्तीसगढ़ के लम्बे समय तक मुख्यमंत्री रहे बीजेपी नेता रमन सिंह ललित सुरजन को याद करते हुए लिखते हैं, ”वरिष्ठ पत्रकार श्री ललित सुरजन जी के असामयिक निधन का समाचार बेहद दुःखद है. उनका जाना छत्तीसगढ़ और देश की पत्रकारिता के लिए अपूरणीय क्षति है. सुरजन जी सदैव सिद्धांतों पर अडिग रहे, वह पूरे जीवन आमजन के हक की आवाज़ उठाते रहे. उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा. विनम्र श्रद्धांजलि!”
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लिखा, ”प्रगतिशील विचारक, लेखक, कवि और पत्रकार ललित सुरजन जी के निधन की सूचना ने स्तब्ध कर दिया है. आज छत्तीसगढ़ ने अपना एक सपूत खो दिया. सांप्रदायिकता और कूपमंडूकता के ख़िलाफ़ देशबंधु के माध्यम से जो लौ मायाराम सुरजन जी ने जलाई थी, उसे ललित भैया ने बखूबी आगे बढ़ाया.”