Saturday, November 23, 2024
spot_img
Homeप्रेस विज्ञप्तिझील मेे स्पीड बोट से देशी प्रवासी पक्षी संकट में

झील मेे स्पीड बोट से देशी प्रवासी पक्षी संकट में

उदयपुर। चप्पु वाली नावों एवं शोर प्रदुषण रहित साधनो से भी वाटर स्पोर्ट्स हो सकते है। कायकिंग इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। इस आधार पर ही पेय जल की झीलों में वाटर स्पोर्ट्स की आयोजना करनी चाहिए। वही बड़ी झील को मानवीय गतिविधियों से बचाना चाहिए। यह सुझाव रविवार को झील मित्र संस्थान,झील संरक्षण समिति व डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के सयुंक्त तत्वावधान में दिए गए। संवाद में झील विज्ञानी डॉ अनिल मेहता ने कहा कि बड़ी झील को हमें एक पर्यावरणीय विरासत के रूप में बचा कर रखना चाहिए। बड़ी झील का जलीय तंत्र हिमालयी पारिस्थितिकी के सदृश्य है।

हिमालय में यदि कभी पारिस्थितिकीय संकट पैदा हुआ तो बड़ी झील एक जीन बैंक के रूप में इस संकट को दूर करेगी। मेहता ने प्रशासन से आग्रह किया कि वह बड़ी झील को पर्यावरणीय विरासत के रूप में विकसित करे। झील मित्र संस्थान के तेज शंकर पालीवाल ने इस सन्दर्भ में रंगसागर के तीरा मगरी टापू का उल्लेख करते हुए कहा कि स्पीड बोट से देशी प्रवासी पक्षी संकट में पड़ रहे है। एक तरफ तो हमने एनएलसीपी के तहत इकोलॉजिकल कंजरर्वेशन के नाम पर टापू बनाने का तर्क रखा ताकि पक्षी रहवास व प्रजनन कर सके। वहीं अब इनके सुरक्षित आवासो तक प्रदूषणकारी मानवीय गतिविधिया पहुचाना चाहते है। पालीवाल ने कहा कि पर्यावरण अनुकूल साधनो एवं पारिस्थितिकीय द्रष्टीकोण से ही झीले विश्व धरोहर बनेगी।

डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के सचिव नन्द किशोर शर्मा ने कहा कि पेय जल व इकोलॉजी की दृष्टि से महत्वपूर्ण इन झीलों को एडवेंचर टूरिज्म नहीं वरन इको टूरिज्म के लिए विकसित करना चाहिए। मछली,मेढक,कछुआ,बगुला,सारस व इंसान सभी की चिंता करने व संतुलन रखने में ही झीले व उदयपुर बचेंगे। झीलों को मनोरजक व बनावटी सौदर्य देने की होड़ में यह नहीं भूलना चाहिए की ये झीले शहर की प्रमुख पेयजल स्त्रोत है। जलचर , जानवर और नभचरों को भी यही पेयजल उपलब्ध कराती है। संवाद पूर्व झील मित्र संस्थान,झील संरक्षण समिति व डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा पिछोला के अमरकुंड पर आयोजित श्रमदान में बालको ने बढ़चढ़ कर भागीदारी निभाई। श्रमदान द्वारा झील क्षेत्र से पोलिथिन,प्लास्टिक,घरेलू सामान,कोल्ड ड्रिंक की बोतले,नारियल व् जलीय घास निकाली। श्रमदान में प्रियांशी ,हर्षुल,दीपेश,गरिमा,भावेश,अजय सोनी,ललित पुरोहित, रमेश चन्द्र राजपूत, दुर्गा शंकर पुरोहित, रामलाल नकवाल,तेज शंकर पालीवाल,डॉ अनिल मेहता , नन्द किशोर शर्मा ने भाग लिया।

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार