Monday, July 1, 2024
No menu items!
spot_img
No menu items!
Homeश्रद्धांजलिसप्रेस के संस्‍थापक संपादक : महेंद्र कुमार 18 वां पुण्‍य स्‍मरण

सप्रेस के संस्‍थापक संपादक : महेंद्र कुमार 18 वां पुण्‍य स्‍मरण

सप्रेस संस्थापक संपादक, वरिष्ठ गांधीवादी चिंतक, सर्वोदयी सिद्धान्त के पोषक, वैकल्पिक विकास के एवं कार्यकर्ताओं के हितैषी, जन आन्दोलनों के समर्थक, रचनात्मक पत्रकारिता के सशक्त हस्ताक्षर महेंद्रकुमार जी ने आज के दिन 18 वर्ष पूर्व इस संसार से विदा ली थी। उनका स्‍मरण उनके कार्यों, उनका जीवन के प्रति दृष्टिकोण और उनका अनुपम स्‍नेह-आकर्षण हमेशा दिल दिमाग में रचा बसा है।

आज उसी वटवृक्ष की जिसकी छाया में सप्रेस परिवार पल्लवित,पुष्पित और पोषित हो रहा है। ऐसे वटवृक्ष की स्मृति को नमन।

तीन वाक़ये मुझे हमेशा याद आते हैं, जो पूज्य पिताजी (श्वसुरजी) स्व. महेंद्रभाई के विशाल व्यक्तित्व एवं अपने सिद्धांतों के प्रति उनकी दृढ़ आस्था को व्यक्त करते हैं।

पहला, अपने अंतिम दिनों में इंदौर के गोकुलदास अस्पताल में उनके एक साथी (शायद श्री देवीप्रसादजी मौर्य) मिलने आये थे, जाते वक़्त उन्होंने पिताजी से कहा- ‘अच्छा, महेंद्रभाई चलता हूँ, आपको शुभकामनाएं।‘

अपनी चिर-परिचित विनोदी शैली में उन्होंने जवाब दिया- “ ये शुभ तो ठीक है, कामनाएं ही सारे झगड़े की जड़ है,जंजाल है।“ इस आँखों देखी में उनका जीवन के प्रति दृष्टिकोण उजागर होता है, कर्म करते रहो।

दूसरा, उनकी श्रद्धांजलि सभा में प्रसिद्ध गांधीवादी एवं पर्यावरणविद् अनुपम मिश्र ने कहा था- “ महेंद्र भाई सप्रेस के साथ सप्रेम सर्विस चलाते थे। यह बात उनके एवं परिवार के विशाल हृदय को उजागर करती है। उनका घर सभी के लिए सदैव खुला रहता था, जिसमें देश-विदेश के कार्यकर्ता आकर रुकते एवं भोजन करते थे। उनकी धर्मपत्नि कुसुम के साथ – साथ चारों बेटियाँ संध्या, निशा, विनीता एवं श्रद्धा और बाद में दोनों बहुए रुपाली एवं नीरजा भी इस परंपरा को निभाती रही हैं।

और तीसरा, उनकी स्मृति में निकाले गए श्रद्धांजलि आलेख में राकेश दीवान ने लिखा था- ” डेढ़ गुणित ढाई की छोटी से टेबल से शुरू किया गया सर्वोदय प्रेस सर्विस का अभियान…. यह बात उनके इस आत्मविश्वास का द्योतक है कि साध्य यदि पवित्र हो तो साधन का अभाव मार्ग का रोड़ा नहीं बन सकता। आचार्य विनोबा भावे द्वारा दिये गए एक रुपये के दान से स्थापित सर्वोदय प्रेस सर्विस आज सर्वोदय जगत एवं रचनात्मक पत्रकारिता का केंद्र है।

पर एक आश्वस्ति ज़रूर है- सप्रेस ज़िंदा है अपने नए कलेवर में उन्ही सिद्धांतों के साथ। सम्पादक राकेश दीवान, उनके पुत्रद्वय कुमार सिद्धार्थ एवं डॉ. सम्यक जैन, उनके पौत्र सिद्धान्त के अलावा खासतौर पर महेंद्र भाई तथा सप्रेस के कार्यों के प्रति अगाध स्‍नेह रखने वाले तमाम व्‍यक्तियों, संस्‍थाओं और अखबारों का प्रयास सतत ज़ारी है, सप्रेस को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए ।

चंडीगढ़ की बारिश और धुंध से घिरी आज की प्रातः बेला में ऐसे विराट व्यक्तित्व का पुण्य स्मरण कर मन उत्साह से भर गया।

साभार- https://www.spsmedia.in/ से

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार