असम में एक ईसाई धर्मप्रचारक भेजे गए थे,
नाम था फादर क्रूज़
इन्हें असम के एक प्रभावशाली परिवार के लड़के को घर आकर अंग्रेजी पढ़ाने का अवसर मिला,
पादरी साहब धीरे-धीरे घर का निरीक्षण करने लगे,
उन्हें पता चल गया कि, बच्चे की दादी इस घर में सबसे प्रभाव वाली हैं,
इसलिए उनको यदि ईसा की शिक्षाओं के जाल में फंसाया जाए तो,
उनके माध्यम से पूरा परिवार
और फिर पूरा गा़व ईसाई बनाया जा सकता है!
पादरी साहब दादी मां को बताने लगे
कैसे ईसा कोढ़ी का कोढ़ ठीक कर देते थे,
कैसे वो नेत्रहीनों को नेत्र ज्योति देते थे, आदि-आदि !
दादी ने कहा, बेटा, हमारे “राम-कृष्ण” के चमत्कारों के आगे तो कुछ भी नहीं ये सब !
तुमने सुना है कि हमारे राम ने एक पत्थर का स्पर्श किया तो
वो जीवित स्त्री में बदल गई
राम जी के नाम के प्रभाव से पत्थर भी तैर जाता था पानी में,आज भी तैर रहे है
पादरी साहब खामोश हो जाते पर प्रयास जारी रखते अपना !
एक दिन पादरी साहब चर्च से केक लेकर आ गए और दादी को खाने को दिया,
पादरी साहब को विश्वास था कि दादी न खायेंगी।
पर उसकी आशा के विपरीत दादी ने केक लिया और खा गई !
पादरी साहब आंखों में गर्वोक्त उन्माद भरे अट्टहास कर उठे,
दादी तुमने चर्च का प्रसाद खा लिया !
अब तुम ईसाई हो ,
दादी ने पादरी साहब के कान खींचते हुए कहा,
वाह रे गधे !
मुझे एक दिन केक खिलाया
तो मैं ईसाई हो गई
और मैं जो प्रतिदिन तुमको अपने घर का खिलाती ह़ू ,
तो तू हिन्दू क्यों नहीं हुआ ?
तू तो प्रतिदिन सनातन धर्म की इस आदि भूमि का
वायु ,जल लेता है
फिर तो तेरा रोम-रोम हिन्दू बन जाना चाहिए!
अपने स्वधर्म और
राष्ट्र को पथभ्रष्ट होने और
गलत दिशा में जाने से बचाने वाली
ये दादी मां थी
असम की
सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी “कमला देवी हजारिका
कौन जानता है इनको असम से बाहर ?
क्या हमारा कर्तव्य नहीं है कि, देश इनके बारे में जाने ?