हैदराबाद। तेवरी काव्यांदोलन की 40वीं वर्षगाँठ पर ‘साहित्य मंथन’ और ‘लिटिल फ्लावर डिग्री कॉलेज’ के तत्वावधान में ‘संगीत साधना’ द्वारा ऑनलाइन ‘तेवरी संगीत समारोह’ संपन्न हुआ। अवसर पर अरबा मींच विश्वविद्यालय, इथियोपिया, अफ्रीका के प्रोफेसर डॉ. गोपाल शर्मा ने अपने अध्यक्षीय व्याख्यान में तेवरी काव्यांदोलन के प्रवर्तक कवि देवराज और ऋषभदेव शर्मा की चर्चा करते हुए कहा कि तेवरी जनता की पक्षधर रचना है। यह न तो प्रयोगशील कविता है और न प्रयोगवाद की हिमायती है। यह प्रयोगधर्मी है। जिस कालखंड में प्रतिभावान लोग अपनी रोजी-रोटी की तलाश में लगे हुए थे, उस समय किसानों, मजदूरों और शोषितों की आवाज़ बनकर राह दिखाने के लिए सहचर के रूप में खड़ी रही है तेवरी। तेवरी ने अपने रचना वैविध्य के कारण चालीस वर्षों से हिंदी साहित्य में अपना स्थान बनाए रखा है। तेवरी मुक्तिबोध और कबीर की वाणी का मिश्रण है। जो कार्य कबीर ने अपनी लकुटिया हाथ लिए और मुक्तिबोध ने विराट फलकवाले बिबों व प्रतीकों के माध्यम से किया था, वैसा ही कार्य सन् 1980 के दशक से अब तक तेवरी करती आ रही है। लोकतंत्र की पक्षधर यह कविता आगे भी यह कार्य करती रहेगी।
महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, वडोदरा की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अनिता शुक्ला ने ‘तेवरी संगीत समारोह’ का उद्घाटन करते हुए तेवरी काव्यांदोलन की जनपक्षधरता को रेखांकित किया और ऋषभदेव शर्मा के तेवरी संकलन ‘धूप ने कविता लिखी है’ की तेवरियों पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि तेवरी जनता के द्वारा, जनता की, और जनता के लिए लिखी गई कविता है। इन तेवरियों के बिंब व प्रतीक साधारणता में भी असाधारणता लिए हुए हैं। तेवरी अपने तेवर के अनुरूप सत्ता का दंभ भरते शासन के विपक्ष में जनता का पक्ष लेकर खड़ी रचना है। इसके कथ्य में सामजिक विद्रूपताओं और शैली में आम आदमी की पीड़ा को व्यक्त के करने के अनेक औजार सम्मिलित हैं।
अवसर पर ‘संगीत साधना’ संगीत विद्यालय की संचालक व शिक्षक शुभ्रा मोहान्तो द्वारा संगीतबद्ध की गई तेवरीकार ऋषभदेव शर्मा की 8 तेवरियों को विद्यालय के गायक कलाकारों ने प्रस्तुत किया। श्रीमती सष्मिता ने ‘राग पहाड़ी’ में ‘कच्ची नीम की निंबौरी, सावन अभी न अइयो रे’; श्रीमती सुतपा सिन्हा ने ‘राग बृंदावन सारंग’ में ‘नंगे होकर जूते बेचे, जूतों पर ईश्वर का नाम’; सुकांतो मुखर्जी ने ‘राग दरबारी’ में ‘गीत हैं मेरे सभी उनको सुनाने के लिए’; के. सुरेखा ने ‘राग मल्हार’ में ‘कुछ सुनाओ आज तो बातें सितारों की’; डॉ. बी.बालाजी ने ‘राग भैरवी’ में ‘छंद छंद गीत का प्रान हो गया’; कल्पना डांग ने ‘मिश्र राग’ में ‘माना कि भारतवर्ष यह संयम की खान है’; काज़िम अहमद ने ‘राग यमन’ में ‘पाँव का कालीन उनके हो गया मेरा शहर’; और शुभ्रा मोहान्तो ने ‘राग केदार’ में ‘बोला कभी तो बोल की मुझको सज़ा मिली’ तेवरी प्रस्तुत कीं।
अवसर पर हैदराबाद के मशहूर गजलकार जगजीवनलाल अस्थाना ‘सहर’ और श्रीश्री एकेडमी के कोरेसपोंडेंट मुरली मनोहर ने अपनी उपस्थिति दर्ज की और शुभकामनाएँ व्यक्त कीं। ऑनलाइन आयोजित तेवरी संगीत समारोह का शुभारंभ डॉ. गौरंग मोहान्तो, वैज्ञानिक जी , डीआरडीएल , द्वारा दीप प्रज्वलन और शुभ्रा मोहान्तो द्वारा सरस्वती वंदना से हुआ। धन्यवाद ज्ञापन के दौरान कवि ऋषभदेव शर्मा ने अपने साथी तेवरीकारों को याद किया और आंदोलन में उनके योगदान को रेखांकित किया। समारोह का संचालन लिटिल फ्लावर डिग्री कॉलेज की हिंदी विभागाध्यक्ष शीला बालाजी ने किया। 000