देश भर में कोरोना एक बार फिर से फन फैलाने लगा है। कोरोना की दूसरी लहर पहले से बहुत ज्यादा खतरनाक बनकर आई है। राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों की सरकारें भी हैरान हैं। शहर शहर कोरोना की दूसरी लहर का हाहाकार है और जिंदगी पर खतरे का साया मंडराता दिख रहा है।हालात हेल्थ इमरजेंसी के हैं, साफ दिख रहे हैं।
कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कहर जारी है। रोज संक्रमित लोगों की संख्या डेढ़ लाख के पार जा पहुंची है। देश में हेल्थ इमरजेंसी के हालात बन रहे हैं। देश भर के बड़े शहरों के बाजारों में सन्नाटा है। लोग कमाई की कसक में परेशान हैं और राज्य सरकारें कोरोना के टीके की कमी को लेकर परेशान हैं। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई सहित दिल्ली, जयपुर, भोपाल, लखनऊ, पुणे, नागपुर, बैंगलोर, हैदराबाद, चेन्नई, अहमदाबाद और यहां तक कि दूसरे दर्जे के शहरों में भी व्यापार, व्यापारियों और इससे जुड़े लोगों को बड़े नुकसान का खतरा बढ़ता जा रहा है। अभी तो देश पिछले साल के कोरोना संकट से उबरा ही नहीं हैं, मार्च 2021 की बैलेंस शीट पूरी तरह से घाटे की रही है, फिर इस मार्च के खत्म होते ही फिर से लॉकडाउन के हालात देश के लिए बहुत खतकनाक साबित हो रहे हैं। करोड़ों लोग, लाखों मध्यम और छोटे व्यापारी और असंख्य मजदूर कोरोना के कुचक्र में पड़कर बरबाद होते साफ दिखाई दे रहे हैं। शहरों से हजारों मजदूर रोज फिर से गांव का रुख कर रहे हैं> पिछले साल जैसे हालात की संभावना के डर से ही लाखों लोग जहां काम कर रहे हैं, वहां से ‘चलो गांव की ओर’ के नारे के साथ फिर से निकलने की तैयारी में हैं।
हर तरफ देखें, तो कोरोना का कहर जारी है और हालात हेल्थ इमरजेंसीवाले लग रहे हैं। भले ही कोरोना की इस दूसरी लहर पर काबू पाने की कोशिश में लॉकडाउन के हालात से लोग नाराज हैं। लेकिन सरकारें भी क्या करे। राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र आदि प्रदेशों के लोगों की पिछले साल के कोरोना के कहर की वजह से घरेलू अर्थव्यवस्था पहले से बेहद कठिन दौर से गुजर रही थी कि एक बार फिर से लॉकडाउन के हालात ने सबको डरा दिया है। ऐसे में व्यापार की बरबादी, बेराजगारी में बढ़ोतरी तथा मजदूरों पर महंगाई की मार का असर बहुत गलत हो रहा है। इस बीच सच्चाई यह भी है कि कोरोना की दूसरी लहर पहलेवाली से ज्यादा खतरनाक है, सो व्यापार तो फिर खुल जाएगा, नौकरी भी मिल जाएगी, लेकिन जान गई तो वापस नहीं आएगी। माना कि व्यापार का नुकसान हो रहा है, लेकिन लॉकडाउन का दूसरा विकल्प भी क्या हो सकता है। हम देख रहे है कि कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ रहा हैं। इसलिए राजनैतिक लोगों से निवेदन है कि वे कृपया इस पर तो राजनीति न करें।
माना कि व्यापारी परेशान हैं, लोग हैरान और नौकरीपेशा मुश्किल हालात में हैं। माहौल एक बार फिर से पिछले साल जैसा ही है। कोरोना की दूसरी लहर ने सब कुछ ध्वस्त कर दिया है। देश के कई प्रदेशों के कई शहरो में कोई स्पष्ट निर्देश नहीं, किसी भी तरह का कोई साफ साफ संदेश नहीं, फिर भी अलग अलग तरह के प्रतिबंधों को नाम पर बिल्कुल लॉकडाउन के हालात हैं। कई छोटे बड़े शहरों में व्यापारियों ने कहीं छोटे तो कहीं बड़े पैमाने पर इसका जमकर विरोध किया, ज्ञापन दिए, धरने पर बेठे, प्रदर्शन भी किए और अपना गुस्सा प्रकट किया। लेकिन सब कुछ फिर से बंद करनेवाली सरकारों की भी अपनी मजबूरियां हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि लोगों को इस बात का अहसास नहीं है कि कोरोना की यह दूसरी लहर पहले वाली से ज्यादा खतरनाक है, लोग समझ भी रहे हैं कि खतरा बहुत बड़ा है। लेकिन पिछले साल भर से लॉकडाउन का दंश झेल रहे व्यापारिक जगत को बीते दो – तीन महीने से जैसे तैसे करके कुछ खर्चा पानी निकालने का मौका ही मिला था कि फिर से लॉकडाउन के हालात होने से उनका धंधा खराब हो रहा है।
कोरोना के रोज के आंकडे देखें, तो देश में रोज डेढ़ लाख से ज्यादा संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं। इनमें से सबसे ज्यादा मरीज अकेले मुंबई व महाराष्ट्र से सामने आ रहे हैं। मुंबई में जनवरी के अंत और फरवरी की शुरुआत में कोरोना संक्रमित 300-400 मरीज ही रोज़ सामने आते थे, लेकिन अब यह आंकड़ा सीधे 10 हजार के पार पहुंच गया है। राजस्थान में 5 हजार, छत्तीसगढ़ जैसे छोटे से प्रदेश में 10 हजार और दिल्ली में भू 10 हजार कोरोना मरीजों की संख्या रोज सामने आना अपने आप में बहुत चिंता की बात है। सरकारें बी करे, तो क्या करे। क्योंकि लोगों की लापरवाही व कोविड नियमों की पालना न करने से ही यह ज्यादा फैला है। कोरोना एक बार फिर से ‘काल’ बनकर आया है। देश में सबसे ज्यादा कोरोना पॉजिटिव केस कई देशों का रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं। तो फिर इसकी रोकथाम के लिए सख्त सरकारी प्रतिबंध भी जरूरी ही हो गए हैं। सरकार इसी कारण परेशान होकर लॉकडाउन जैसे प्रतिबंध लगाने को मजबूर हुई है। लेकिन लोग हैं कि मानने को तैयार ही नहीं है। देश भर की राज्य सरकारों की अपनी अपनी अलग परेशानियां हैं। शहर शहर कोरोना की दूसरी लहर का हाहाकार है और जिंदगी पर खतरे का साया मंडराता दिख रहा है।हालात हेल्थ इमरजेंसी के हैं, साफ दिख रहा है। लेकिन जिनको खतरा नहीं दिखाई दे रहा है, वे कृपया अस्पताल जाकर अपनी आंखों की जांच करवा लें। और हां, अस्पताल के लिए घर से निकलते वक्त मास्क लगा लें और वहां पहुंचकर अपने हाथ सेनेटाइज जरूर कर लें। फिर भी डॉक्टर आंखें चेक करने से पहले आपको कोविड टेस्ट की जांच करने की सलाह न दें तो कहना!
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं)