Saturday, November 23, 2024
spot_img
Homeसोशल मीडिया सेहिंदुओं का भविष्य इन पक्षियों जैसा न हो जाए!

हिंदुओं का भविष्य इन पक्षियों जैसा न हो जाए!

1:- पक्षी नंबर वन डोडो
डोडो पक्षी मॉरीशस और हिंद महासागर के कुछ अन्य दीप जैसे मेडागास्कर में पाया जाता था.. इन द्वीपों पर पहले इंसानी आबादी नहीं थी….
डोडो पक्षी आराम से इन द्वीपों पर रहते थे और चूंकि इन द्वीपो पर इनका शिकार करने वाला कोई अन्य जीव-जंतु नहीं था इसलिए यह पीढ़ी दर पीढ़ी अपनी रक्षात्मकता और अपनी आक्रामकता भूल चुके थे। क्योंकि इन्हें इन द्वीपों पर भरपूर खाना मिलता था इसलिए यह आराम से इन द्वीपो पर रहते थे। इन्हें तेज भागना नहीं पड़ता था। दौड़ना या दौड़ाना नहीं पड़ता था। उड़ना नहीं पड़ता था। इसलिए धीरे-धीरे इनके टांगों की हड्डियां कमजोर हो गई।

16 वीं शताब्दी के शुरू में मॉरीशस पर डच लोग गए और डच लोग हैरान रह गए कि इस पक्षी को मनुष्य बड़े आराम से पकड़ लेता था फिर डच लोगों ने इनका शिकार करना शुरू कर दिया। चूँकि डच लोग अपने साथ कुत्ते चूहे इत्यादि लेकर गए थे धीरे-धीरे कुत्तों ने भी इनका शिकार करना शुरू कर दिया और चूहों ने इनके अंडे वगैरह खाने शुरू कर दिए। डोडो पक्षी बिल्कुल भी रक्षात्मक था नहीं दिखाता था क्योंकि सदियों से वह ऐसे माहौल में पीढ़ी दर पीढ़ी पलने लगा था जहां उसे आक्रामकता की जरूरत नहीं थी लेकिन जब उसे आक्रामक होने की जरूरत पड़ी तब वह भूल गया हमला करना किसे कहते हैं तेज भागना किसे कहते हैं। नतीजा यह हुआ 1710 तक इस धरती से डोडो पक्षी पूरी तरह से विलुप्त हो गया इस पक्षी के सिर्फ दो ममी बनाकर रखे गए हैं एक ब्रिटेन के रॉयल म्यूजियम में है दूसरा मॉरीशस यूनिवर्सिटी में है

पक्षी नंबर दो केसोवरी
केसोवरी पापुआ न्यू गिनी ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड समूह यानि प्रशांत महासागर के और कैरेबियन महासागर के कई दीपों पर रहता था यह भी शुतुरमुर्ग एमु और डोडो के परिवार का ही पक्षी था। लेकिन इसे ऐसे माहौल में रहना पड़ा जहां इसके कई शिकारी थे यहां तक कि मनुष्य भी इसका शिकार करने की कोशिश करते थे पीढ़ी दर पीढ़ी केसोवरी ने अपने अंदर बेहद तेज आक्रामकता गुस्सैल और खतरनाक हथियार विकसित कर लिए और इसमें मनुष्यों सहित दूसरे जीव जंतुओं को देखकर अपने अंदर स्वत रक्षात्मक सोच विकसित कर लिया।

आज हालात ऐसे हैं कि यह मनुष्यों को देखते ही उसे दौड़ाकर अपने पंजों से फाड़ देते हैं यह 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकते हैं और इनके नाखून 8 इंच लंबे होते हैं और किसी तेज चाकू की तरह पैने होते हैं । अंग्रेजों ने जो कैरेबियन पापुआ न्यू गिनी न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया पर कब्जा किया तब अंग्रेज इनका भी शिकार करना चाहते थे लेकिन केसोवरी पहले से ही ऐसे माहौल में रहा था इसलिए उसने जमकर प्रतिकार किया और शिकारियों को दौड़ाकर फाड़ देता था यहां तक कि यह पक्षी झुंड में रहकर यानी समूहों में रहकर हमला करना भी सीख लिया क्योंकि बाद में अंग्रेज गोली से इनका शिकार करने की कोशिश करते थे तब इनके समूह का दूसरा पक्षी पीछे से आकर शिकारी पर हमला कर देता था।

आज हालात ऐसे हैं की जिन जंगलों में केसोवरी पक्षी पाए जाते हैं वहां पर बड़े-बड़े चेतावनी के बोर्ड लगे होते हैं क्योंकि यह मनुष्य को देखते ही हमलावर हो जाता है।
आज केसोवरी धरती से विलुप्त नहीं हुआ बल्कि आराम से अपने प्राकृतिकहैबिटेट में फल-फूल रहा है

निष्कर्ष
दोनों पक्षियों के उदाहरण से वही सीख मिलती है की जो प्रजाति पीढ़ी दर पीढ़ी अपने संतानों को हमलावर होना गुस्सैल होना प्रतिकार करना नहीं सिखाएगी वह पीढ़ी विलुप्त हो जाएगी।
पाकिस्तान में हिंदुओं ने बड़ी-बड़ी हवेलियां बनाई अंत में नतीजा क्या हुआ कि उन हवेलियों में शांतिदूत रहते हैं। कश्मीर में पंडितों ने बड़ी-बड़ी हवेलियां बनाई आज उन हवेलियों में शांतिदूत रहते हैं । केरल के कासरगोड सहित कई जिलों में हिंदुओं ने बड़ी-बड़ी हवेलियां बनाई आज हवेलियों में शांतिदूत रहते हैं ।
अगर हिंदुओं ने पहले ही केसोवरी से प्रेरणा लेते हुए आक्रामकता दिखाई होती आज यह हालात नहीं हुआ होता।

साभार https://www.facebook.com/HINDURASTRASHENA से

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार