प्रख्यात सितार वादक देबू चौधरी के पुत्र प्रतीक चौधरी का भी दिल्ली में निधन हो गया। पिता की सेवा के दौरान वह भी कोरोना संक्रमित हो गए थे। शुक्रवार को पूर्वाह्न दिल्ली के एक अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली।
सितारवादक प्रतीक चौधरी के निधन की खबर आते ही काशी के संगीत प्रेमियों में शोक की लहर फैल गई। संगीत प्रेमीजन एक दूसरे को फोन करके खबर की हकीकत जानने के लिए परेशान रहे। सर्वाधिक फोन प्रोफेसर विशंभरनाथ मिश्र को किए गए। प्रोफेसर मिश्र के फोन की लगातार व्यस्तता के कारण कुछ संगीत प्रेमी उनके तुलसीघाट स्थित आवास पर खबर की सत्यता जानने के लिए पहुंच गए।
काशी के संकट मोचन संगीत समारोह से उनका घनिष्ठ लगाव रहा। अपने पिता के साथ बचपन से ही वह संकट मोचन संगीत समारोह में शामिल होते रहे हैं। वर्तमान में चल रहे संकट मोचन संगीत समारोह के 97 में संस्करण की छठी निशा में देबू चौधरी द्वारा गत वर्ष की गई दरबार में अंतिम प्रस्तुति की वीडियो रिकॉर्डिंग प्रसारित की गई थी, जिसमें देबू चौधरी अपनी तीन पीढ़ियों के साथ सितार वादन कर रहे थे। पिछले साल संकट मोचन संगीत समारोह, देबू दा के जीवन का पहला ऐसा समारोह था जब तीन पीढ़ियां एक साथ सितार वादन कर रही थीं। सात दिन के अंतराल पर दो पीढ़ियां एक साथ कोरोना का ग्रास बन गईं। देबू चौधरी का निधन गत एक मई को दिल्ली में ही हुआ था। संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विशंभर नाथ मिश्र ने कहा है कि कोरोना ने इस बार सर्वाधिक क्षति शास्त्रीय संगीत की की है। उन्होंने कहा कि देश की राजधानी में जब पीड़ितों को सही उपचार नहीं मिल पा रहा है तो देश के बाकी हिस्सों का भगवान ही मालिक है। प्रतीक चौधरी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए प्रोफेसर मिश्र ने कहा कि उनके निधन से हमने युवा पीढ़ी के एक सशक्त कलाकार को खो दिया है।
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