कोटा। भंवर सिंह की उम्र 70 वर्ष है लेकिन परिवार पालने की मजबूरी में उन्हें भी रिक्शे में माल ढुलाई करनी पड़ती है। लाॅकडाउन के बाद से कम ठप था। पेट काट कर जो बचाया वह घर बैठे-बैठे खत्म हो गया। अब उन्हें और परिवार को सहारे की जरूरत है।बाजार खुलने के बाद भी काम की कमी के कारण रमेश और उसकी मां मोहिनी दोनों घूम-घूमकर दुकान-दुकान संपर्क करते हैं। किसी दुकान में ढोने के लिए माल मिलते ही मोहिनी फोन कर रमेश को बुलाती है। राशन किट वितरण के समय रमेश माल लेकर गया था। मोहिनी ने राशन किट घर पहुंचाई और फिर बाजार में आ गई।करीब 40 साल से सड़क किनारे जूते-चप्पल सुधार रहे राकेश की काफी सारी बचत पिछले लाॅकडाउन में खत्म हो गई थी। जो बची वह इस लाॅकडाउन में नहीं बची। राकेश को चिंता है कि अब कोई मुसीबत आ गई तो क्या होगा। घर पर राशन नहीं था, किट मिली तो बहुत राहत मिली।
नयापुरा क्षेत्र में सड़क किनारे जूते-चप्पल सुधारने वाले दो श्रमवीर तपती दोपहरी में धूप में बैठकर काम करते नजर आए। कार्यकर्ताओं ने उन्हें भी लोकसभा अध्यक्ष बिरला के ‘‘शीतल छांव‘‘ अभियान के तहत छाता और राशन किट भेंट की। करीब 40 डिग्री के तापमान में अचानक छाते से शीतल छाया मिलने पर उनके चेहरों पर राहत के भाव साफ नजर आए। ये कहानियां स्माजनके ऐसे लोगों को है जिन्हें लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला की पहल पर कोरोंना के संकट में राहत से संबल मिला।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के आव्हान पर कोविड के बाद कठिन परिस्थितियों से जूझ रहे श्रमवीरों की सहायता के लिए अब संस्थाएं भी आगे आ रही हैं। यह अभियान माननीय लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की पहल पर चलाया गया, जिसमें रोड़िक कंसल्टेंट्स ने अपना विशेष सहयोग दिया। यह राशन किट शुक्रवार को सामाजिक कार्यकर्ताओं के माध्यम से वंचित-अभावग्रस्त वर्ग के लोगों तक पहुंचाए गए।
रोडिक के सीएमडी ने राजकुमार ने बताया कि कोटा में शुक्रवार से राशन किट वितरण की शुरूआत की गई और पहले ही दिन 1000 राशन किट जरूरतमंदों को भेंट किए गए। यह पहल उनकी पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने और महामारी के दौरान कठिनाइयों से निपटने में उनकी मदद करने के हमारे प्रयासों का एक उदाहरण है। सामाजिक कार्यकर्ता रामबाबू विकास शर्मा, जगदीश जिन्दल, शैलेन्द्र ऋषि, महीप सिंह सोलंकी चंद्र मोदी योगी, चमन केलवा, रितेश चित्तौड़ा, दिनेश शर्मा गुड्डू, गौरव अग्रवाल, ज्ञान चंद जैन आदि ने राशन किट भेंट करने की शुरूआत रावतभाटा रोड स्थित श्रमिकों की झौंपड़ियों से कीं। वहां अनेक श्रमिक काम पर जाने की तैयारी में थे, लेकिन उनके घर के चूल्हे ठंडे पड़े थे। इन श्रमिकों ने बताया कि काम की तलाश में रोज जाते हैं, जिस दिन काम मिल जाए उस दिन चूल्हा जल जाता है, नहीं तो फाका करने की नौबत आ जाती है। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने वहां सभी श्रमिकों को राशन किट भेंट कर कहा कि अब अगले 20 दिन उनको कोई परेशानी नहीं होगी। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उन्हें आश्वस्त किया कि यदि भविष्य में भी सहायता की आवश्यकता होगी तो वे मदद जरूर करेंगे।
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शाॅपिंग सेंटर, लघु औद्योगिक क्षेत्र, छावनी तथा रामपुरा क्षेत्र में रिक्शे या ठेले के जरिए सामान ढोकर जीवन यापन करने वाले श्रमवीरों को भी राशन किट भेंट किए। इन श्रमवीरों ने बताया कि लाॅकडाउन खुलने के बावजूद बाजारों में रौनक तो लौटी है लेकिन काम के पूरी तरह गति नहीं पकड़ने के कारण इनके लिए अब भी जीवन यापन चुनौती बना हुआ है। जो बचत थी वह लाॅकडाउन में खत्म हो गई। ऐसे में यह राशन किट बहुत मददगार साबित होगी। कठिन समय में अचानक मिली इस सहायता से उनके चेहरों पर मुस्कान आ गई।