Friday, May 3, 2024
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फिल्म निर्देशक कैमरे को कलम की तरह उपयोग करता है -आदित्य सेठ

फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में फिलम निर्माण की बारीकियों पर चर्चा

सिनेमैटिक कम्युनिकेशन पर एफडीपी प्रोग्राम का दूसरा दिन

भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय द्वारा एआईसीटीई ट्रेनिंग एंड लर्निंग (ATAL) अकादमी के सहयोग से आयोजित पांच दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत दूसरे दिन कई सिनेमा प्रोफेशनल एवं अकादमिक विशेषज्ञों ने प्रशिक्षण दिया।

फिल्म मेकर एवं फिल्म एकेडमीशियन आदित्य सेठ ने निर्देशन कला विषय के सैद्धांतिक एवं तकनीकी पहलुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि निर्देशक कैमरे को कलम की तरह प्रयोग में लाता है जिसके द्वारा वह विजुअल्स की निरंतरता बनाए रखता है। साथ ही एक निर्देशक को लेखन, कैमरा संचालन, सीन और स्टोरी सेटिंग, ब्लोकिंग एवं फिल्म एडिटिंग का भी अनुभव होना चाहिए।

महात्मा गांधी अंतर्राष्टीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के फिल्म एवं थियेटर विभाग में असिस्टेंट प्रो. यशार्थ मंजुल ने फिल्म प्रोडक्शन एवं मैनेजमेंट की बारीकियों और चुनौतियों के बारे में विस्तार से बताया और अनेक उदाहरणों के माध्यम से फिल्म के प्री प्रोडक्शन, प्रोडक्शन और पोस्ट प्रोडक्शन के प्रैक्टिकल एसपेक्ट पर गहन चर्चा की। उन्होंने कहा कि रियल लोकेशन में शूटिंग के लिए कंट्रोल इंवायरमेंट पाने में दिक्कतें आती हैं। इसके विपरीत कंट्रोल लोकेशन में शूट करना आसान होता है।

विमलेश गोइदेश्वर ने स्क्रिप्ट लेखन के मूल बिंदुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि फिल्म लेखन से पूर्व कहानी को स्क्रिप्ट करना बहुत जरूरी है। बिना लिखे हम विजुअल्स को सही तरीके से इमेजिन नहीं कर सकते। एक्शन, विजुअल एवं इमेज प्रभावी रूप स्टोरी टेलिंग को आगे बढ़ाते है। साथ ही स्क्रिप्ट राइटिंग एवं स्क्रिप्ट टेलिंग का अभ्यास भी प्रतिभागियों को ऑनलाइन माध्यम से कराया।

एफडीपी प्रोगराम में कल दीसरे दिन फिल्म एप्रीशिएसन पर उत्पल दत्त, कंटेंपररी विजुअल आर्ट एवं राइटिंग पर प्रो. अमिताभ श्रीवास्तव एंड डायनिमिक विजुअल लैग्वेज पर सुरेश दीक्षित जी संवाद करेंगे।

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