मुंबई।
मुंबई पुलिस ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को निलंबन समीक्षा बैठक के ब्योरे का खुलासा करने से इनकार कर दिया है जिसमें सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाझे को पुलिस सेवा में बहाल किया गया था। निलंबन समीक्षा बैठक में पेश किया गया प्रस्ताव और उसे दी गई मंजूरी को लेकर अनिल गलगली द्वारा दायर चुनौती अपील पर पुलिस मुख्यालय में हुई सुनवाई में अब सूचना देने में मुंबई पुलिस ने अनुकूलता दिखाई हैं। इस तरह की निलंबन समीक्षा बैठक की जानकारी पोर्टल पर अपलोड करने में सकारात्मक प्रतिसाद दिया हैं।
इस तरह से जानकारी न मिलने के बाद अनिल गलगली ने चुनौती अपील दायर की थी। मंगलवार को पुलिस उपायुक्त एन. अंबिका के समक्ष हुई सुनवाई में अनिल गलगली तर्क रखा कि निलंबन समीक्षा बैठक में यह फैसला लिया गया है। इसलिए जानकारी देने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। गलगली ने यह भी कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 4 के तहत निलंबन समीक्षा बैठक के निर्णय और कार्यवृत्त को वेबसाइट पर प्रकाशित करने की आवश्यकता है। एन अंबिका ने जानकारी देने में अनुकूलता दिखाई और पोर्टल पर जानकारी अपलोड करने के लिए सकारात्मक थी।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सचिन वाझे की जानकारी के लिए 8 अप्रैल, 2021 को मुंबई पुलिस में ऑनलाइन आवेदन किया था। पुलिस आयुक्त के स्तर पर 5 जून, 2020 को हुई निलंबन समीक्षा बैठक मेंसपोनी सचिन वाझे को सेवा में बहाल करने के लिए लिए गए निर्णय और इस तरह पेश किया गया प्रस्ताव की कॉपी मांगी थी। इसमें निलंबन समीक्षा बैठक में लिए गए निर्णय के बारे में भी जानकारी मांगी गई थी कि मुख्यमंत्री, गृह मंत्री या कैबिनेट की बैठक, इनमें से किस स्तर पर अंतिम निर्णय लिया जाता है। अनिल गलगली को सूचना देने से इनकार करते हुए मुंबई पुलिस ने बताया कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8(1)(जे) औऱ सरकारी परिपत्र दिनांक 17 अक्टूबर 2014 के प्रावधानों के तहत सूचना से इनकार किया जा रहा है. इस धारा के तहत सूचना, जो व्यक्तिगत सूचना से संबंधित है, जिसका प्रकटन किसी लोक क्रियाकलाप या हित से संबंध नहीं रखता है या जिससे व्यष्टि की एकांतता पर अनावश्यक अतिक्रमण होगा, जब तक की, यथास्थिति, केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी या अपील प्राधिकारी का यह समाधान नहीं हो जाता कि ऐसी सूचना का प्रकटन विस्तृत लोक हित में न्यायोचित है: परन्तु ऐसी सूचना के लिए, जिसको, यथास्थिति, संसद या किसी राज्य विधान–मंडल को देने से इंकार नहीं किया जा सकता है, किसी व्यक्ति को इंकार नहीं किया जा सकेगा।