देश के सबसे पुराना समाचार पत्र ‘मुंबई समाचार’ (Mumbai Samachar) ने अपनी स्थापना के 200वें साल में प्रवेश कर लिया है। दक्षिण मुंबई में ‘फोर्ट’ परिसर के बीचों-बीच स्थित ‘रेड हाउस’ नामक एक गहरे लाल रंग की इमारत में इस अखबार का दफ्तर है। इस अखबार को 1822 में पारसी विद्वान फर्दुनजी मर्जबान (Fardoonji Murazban) ने शुरू किया था। बताया जाता है कि यह देश का सबसे पुराना लगातार प्रकाशित होने वाला अखबार है।
इसे ‘बॉम्बे समाचार’ के नाम से एक साप्ताहिक पत्र के रूप में शुरू किया गया था। उस समय इसे पाठकों को मुख्य रूप से जहाजों की आवाजाही और वस्तुओं के बारे में सूचित करने के लिए शुरू किया गया था और धीरे-धीरे यह ऐसे समाचार पत्र के रूप में विकसित हो गया, जिसमें व्यापार पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। शुरुआत के 10 वर्ष तक एक साप्ताहिक समाचार पत्र रहा, इसके बाद इसे द्वि-साप्ताहिक और 1855 से दैनिक कर दिया गया। तमाम हाथों से होते हुए 1933 में इस अखबार का संचालन कामा फैमिली के हाथों में आया। समाचार पत्र के निदेशक होर्मसजी कामा (Hormusji Cama) का कहना है कि अखबार ने 20 साल पहले एक शोध किया और पाया कि यह भारत का सबसे पुराना प्रकाशन है और दुनिया का चौथा सबसे पुराना प्रकाशन है, जो अब भी काम कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘जब तक आपकी विषय वस्तु की मांग है, तब तक आप टिके रहेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘एक समाचार पत्र के तौर पर हम 200 वर्षों से जीवित हैं। यह गर्व की बात है। आप जानते हैं कि हममें से कोई भी, यहां तक कि प्रिंट मीडिया भी नहीं बचेगा। लेकिन उम्मीद है कि मुंबई समाचार अपने 300 साल भी पूरे करेगा।’
गैर-लाभकारी निजी समाचार सहकारी संगठन ‘प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ (पीटीआई) के निदेशक मंडल के सदस्य कामा ने बताया कि कई कारणों से अखबार ने अपने कवर की कीमत बढ़ाकर 10 रुपए प्रति कॉपी कर दी और यह सिर्फ सबसे पुराना ही नहीं, बल्कि कोरोना वायरस महामारी के बीच सबसे महंगे अखबारों में से भी एक है।
उन्होंने कहा कि महामारी से पहले इसकी बिक्री 1.5 लाख थी, जिसमें भले ही गिरावट आई है, लेकिन इसके पाठकों की बदौलत यह उन कुछ समाचार पत्रों में शामिल है, जिन्होंने वित्त वर्ष 2020-21 में लाभ अर्जित किया।
कामा ने बताया कि कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव को सीमित करने के लिए मुंबई समाचार ने अपने कवर की कीमत में दो रुपए की वृद्धि की, पृष्ठों की संख्या कम कर दी और वरिष्ठ प्रबंधन के वेतन में कटौती की। उन्होंने बताया कि समाचार पत्र के 150 कर्मियों में से किसी एक को भी वैश्विक महामारी के दौरान नौकरी से निकाला नहीं गया।
वर्तमान में, मुंबई के अलावा चार अन्य केंद्रों में भी अखबार का एक दैनिक संस्करण निकालते हैं। मुंबई समाचार एक पंचांग (ज्योतिषीय पंचांग) भी प्रकाशित करता है।
इस बारे में अखबार के संपादक नीलेश दवे (Nilesh Dave) का कहना है कि मुंबई समाचार का हिस्सा बनना उनके जीवन का सपना रहा है। वर्ष 2003 में इस अखबार को जॉइन करने वाले दवे का कहना है, ‘महामारी के दौरान प्रिंट इंडस्ट्री को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। लोगों का भरोसा आज भी अखबारों पर कायम है, क्योंकि प्रिंट ही ऐसा माध्यम है, जहां पर आप फेक न्यूज नहीं फैला सकते हैं।’
साभार- https://www.samachar4media.com/ से