जोधपुर नगर निगम में झाड़ू मार कर अपने परिवार चलाने वाली दो बच्चों की मां आशा कांडरा की कहानी आपको रोमांचित कर देगी। आशा नगर निगम में स्वीपर की नौकरी कर अपने परिवार का पेट पालती थी आज वहीं लड़की एसडीएम बनने जा रही है. आशा बताती हैं कि उन्हें शुरू से ही पढ़ाई का बहुत शौक था. पारिवारिक परिस्थितियों के कारण वो कभी भी किसी बड़े स्कूल कॉलेजों में दाखिला नहीं ले पाई. जोधपुर नगर निगम में सफाई कर्मी का काम करने के दौरान जब वक्त मिलता तो आशा कहीं भी किताबें खोल कर बैठ जाती. आशा की लगातार मेहनत और हौसले के कारण 2018 में राजस्थान प्रशासनिक सेवा में उसका चयन हो गया. अब आशा अनुसूचित वर्ग से एसडीएम के पद पर नियुक्त होने वाली हैं. आशा अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहती हैं कि यह जिंदगी इतनी आसान भी नहीं है. आशा बताती हैं कि सफाई कर्मचारी के रूप में उनकी नियुक्ति तो हो गई थी लेकिन लगातार काम नहीं मिल पाता था. जिस कारण परिवार को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था.
आशा ने बताया कि यदि आप कुछ करना चाहो तो आपको उसमें अपना शत प्रतिशत देना होता है. आशा ने बताया कि उसके दो बच्चे हैं और उसके पति से उसके रिश्ते अच्छे नहीं है. उन्होंने बताया कि पति से होने वाले झगड़े से परेशान होकर उसने स्वीपर की नौकरी करने की सोची. यहां झाड़ू मारने के दौरान जब उसने नगर निगम के अधिकारियों को देखा तो उसने भी सोचा की अब वह भी तैयारी कर अधिकारी बनेगी. आशा की लगातार मेहनत और हौसले ने उसका यह सपना सच कर दिखाया.