Monday, November 25, 2024
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कारगिल युद्ध के नायक मेजर विवेक गुप्ता की वीरता से भरी दास्तान

पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ जंग की और जम्मू-कश्मीर पर अवैध कब्जा करने की साजिश 1947 में आजादी के बाद ही कर ली थी। आजादी के वक्त दोनों देशों के बीच कई मुद्दों के बीच अहम मुद्दा कश्मीर ही था, जो 1947,1965 और 1999 कारगिल युद्ध की वजह था। 1999 में जब पाकिस्तान ने कारगिल युद्ध के दौरान सामरिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण तोलोलिंग की चोटी पर अपना कब्जा कर लिया था, उस वक्त भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी दुश्मनों से वह क्षेत्र खाली कराना। लेकिन भारतीय सेना के लिए बड़ी चुनौती थी। क्योंकि अधिक ऊंचाई पर होने की वजह से दुश्मन ऊपर से गोलियां बरसा रहे थे, तो वहीं भारतीय जवानों को दुर्गम रास्तों से होते हुए ऊपर की चढ़ाई चढ़ने में काफी मशक्कत का सामना करना पड़ता था। ऐसे में तोलोलिंग की चोटी पर अपना कब्जा जमाना भारतीय सेना का पहला लक्ष्य था।

3 जून की सुबह करीब साढ़े आठ बजे द्रास सेक्टर के गुमरी में सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक के पास सैनिकों का सम्मेलन लगा हुआ था। जिनमें सभी सेक्शन कमांडरों के एक तरफ बैठाया और बाकी जवानों को रेस्ट करने को कहा गया। सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिन ने उस दौरान कहा कि मुझे ऐसा सेक्शन कमांडर चाहिए जो तोलोलिंग पहाड़ी पर जीत का तिरंगा फहरा सके। जिसके बाद सभी सेक्शन कमांडरों ने तोलोलिंग पहाड़ी पर हमला कर उसे पाकिस्तानी फौज से कब्जे मुक्त करवाने का अपना-अपना प्लान बताया। लेकिन उन्हें कोई प्लान पंसद नहीं आया। जिसके बाद वीपी मलिक ने कहा कि कोई पुख्ता प्लान बताओ, जिसके सफल होने की उम्मीद ज्यादा हो। जिसके बाद दिगेंद्र कुमार सिंह ने अपना प्लान बताते हुए कहा कि दुश्मन तोलोलिंग पहाड़ी की चोटी पर बैठा है। हमारी तीन यूनिट ने सामने हमला किया था, तीनों ही कामयाब नहीं हुई थी। मेरा प्लान दुश्मन को उसी की भाषा में जवाब देने का है। जिसका मतलब पहाड़ी के पीछे की तरफ से चढ़ाई करके उन पर हमला करने का है। आर्मी चीफ को मेरा प्लान सबसे सटीक लगा।

उन्होंने 2 राजपूताना राइफल्स बटालियन के सीओ कमांडर कर्नल रविन्द्र नाथ को कहा कि दिगेन्द्र सिंह के प्लान पर काम किया जाए। ऑपरेशन के लिए 2 राजपूताना राइफल्स के सबसे खतरनाक 10 कमांडो दिगेंद्र सिंह समेत मेजर विवेक गुप्त, सुबेदार भंवरलाल भाकर, सुमेर सिंह राठौड़, सीएचएम यशबीर सिंह, हवलदार सुल्तान सिंह, नायक सुरेंद्र, नायक चमन, लांस नायक बच्चन सिंह, राइफलमैन जसवीर सिंह की एक टीम बनाई गई थी। जिसके बाद सभी कमांडो द्रास सेक्टर में दुश्मन से लड़ते-लड़ते सप्ताहभर बाद तोलोलिंग पहाड़ी की पीछे की तरफ पहुंचे थे। 9 जून के दिन 10 कमांडो तोलोलिंग की पहाड़ी पर बनी पाकिस्तानी चैक पोस्ट के नीचे थे। जहां से पोस्ट की दूरी सिर्फ 90 मीटर थी। जिसके बाद जवानों ने नीचे सबसे पहले फायर बेस तैयार किया। फिर जवानों ने तोलोलिंग की दुर्गम पहाड़ी में क्लिप ठोक-ठोककर 14 घंटे की मशक्कत के बाद तोलोलिंग की चोटी तक रस्सा बांध दिया था। दुश्मनों को सामने से चार्ली कम्पनी और डेल्टा कम्पनी के जवानों ने फायरिंग करके उलझाए रखा था। ताकि उनका पीछे की तरफ से जारी ऑपरेशन पर ध्यान ना जाए। वहीं ऑपरेशन के लिए हर एक कमांडो अन्य हथियारों के अलावा 10 से 20 ग्रेनेड भी अपने साथ लेकर आया था।

इसके अलावा बहादुर जवान मेजर विवेक गुप्ता से जब दुश्मनों का सामना हुआ, तो उस समय उन्होंने अदम्य वीरता और साहस का परिचय देते हुए दुश्मनों को धूल चटा दी थी। हालांकि इस दौरान दुश्मनों की गोली का शिकार होने पर मेजर विवेक गुप्ता को 2 गोलियां लगी थी। लेकिन वे हार ना मानते हुए तीन दुश्मनों को ढेर करके बंकर पर अपना कब्जा जमा लिया था। जिसके बाद वहां पर तिरंगा झंडा फहराया था। मेजर विवेक गुप्ता ने युद्ध के दौरान साहस का परिचय देते हुए अंतिम सांस तक दुश्मनों का सामना किया था। लेकिन अंत में गंभीर रूप से घायल होने के बाद वह देश की रक्षा करते हुए 13 जून को शहीद हो गए थे। भारत सरकार ने शहीद मेजर विवेक गुप्ता को उनके शौर्य और साहस के लिए मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया था। वहीं कमांडो दिगेंद्र सिंह ने दुश्मन के बंकर के जहां से गन फायर होता है, वहां ग्रेनेड डालकर उसे तबाह कर दिया था। हालांकि इस दौरान उनके सीने में तीन, अंगूठे और पैर में एक-एक गोली लग गई थी। ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों की गोलीबारी का शिकार होकर मेजर विवेक गुप्ता समेत 9 साथी कमांडो भी शहीद हो चुके थे।। वहीं अकेले बचे दिगेंद्र सिंह ने एक एक करके दुश्मनों के कई बंकर ध्वस्त कर दिए थे। 13 जून की सुबह करीब 4 बजे तोलोलिंग की चोटी पर दोनों तरफ से भारतीय सेना के अन्य जवान भी पहुंच गए थे। जिसके बाद सुबह साढ़े पांच बजे तोलोलिंग की पहाड़ी पर भारतीय सेना ने तिरंगा फहराया था। भारत-पाकिस्तान कारगिल युद्ध की यह सबसे पहली जीत थी।

साभार – https://www.jammukashmirnow.com/ से

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