Monday, November 25, 2024
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हरियाणा के शिक्षा जगत में क्रांतिकारी परिवर्तन के 5 वर्ष पूरे, दिखा व्यापक असर

6-7-8 अगस्त, हरियाणा के शिक्षा जगत के ऐतिहासिक दिन माने जा सकते है। क्योंकि इस दिन हरियाणा में व्यवस्था परिवर्तन में एक क्रांतिकारी फैसले को क्रियान्वित किया गया। देश के स्वर्णिम इतिहास में भी यह सबसे पंसदीदा और सफलतम प्रयोग था। कम्प्यूटर की एक क्लिक से हजारों शिक्षकों के जीवन को बदल दिया। उस क्रांतिकारी परिवर्तन के आज पांच पूरे हो गए हैं।
जी हां, हम बात कर रहे हैं मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की महत्वाकांशी योजना *

“ऑनलाइन टीचर ट्रांसफर पॉलिसी”की, जो 6 अगस्त, 2016 को लांच हुई और एक क्लिक पर पहली बार 23,000 टीचर्स ट्रांसफर हुए। यह पॉलिसी शिक्षा जगत को दीमक की भांति खोखला करने वाली भ्रष्ट व्यवस्था पर करारी चोट थी। इस गली-सडी भ्रष्ट व्यवस्था को पुरानी सरकारों ने न केवल संरक्षण दिया बल्कि पैसा कमाने का गोरखधंधा बना लिया। दुख:द स्थिति उस दौर में दिखाई दी जब खुद सीएम का एक विशेष अधिकारी “ट्रांसफर ओएसडी” के नाम से मशहूर था।

शिक्षक, जो सभ्य समाज का सबसे आदरणीय व्यक्तित्व होता है, वे भी इस कुव्यवस्था का वर्षों शिकार होते रहे। हालत ये बने कि एक शिक्षक को अपने तबादले/ट्रांसफर जैसे कामों के सिफारिश और रिश्वत देनी पड़ती थी। चंडीगढ़ दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते। तबादला प्रक्रिया में राजनैतिक हस्तक्षेप बढ़ने से शिक्षक का मनोबल भी गिरने लगा। परिणामस्वरूप उसका रूझान बच्चों को अच्छी शिक्षा देने की बजाय अच्छी सिफारिश जुटाने में बढ़ गया। इससे न केवल समाज में पूज्यनीय कहे जाने वाले शिक्षक का सम्मान गिरा। अपितु शिक्षा का स्तर भी गिरता चला गया।
करीब 20 साल सामाजिक कार्यकर्त्ता के रूप में काम करने वाले *मनोहर लाल* इस कुव्यवस्था से अच्छे से वाकिफ थे। वर्ष 1996 में इस कुव्यवस्था को बदलने के लिए उन्होंने तत्कालीन नेतृत्व को सलाह भी दी थी। लेकिन, राजनीतिक नफा-नुकसान के डर ने उस नेतृत्व को भी डरा दिया।

इतिहास ने करवट ली और अक्तूबर 2014 में सामाजिक कार्यकर्त्ता *श्री मनोहर लाल* ने माननीय मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। अब बदलाव होना लाज़िमी था और वह 6 अगस्त 2016 को हुआ भी। प्रदेश सहित पूरे देश को *ऑनलाइन टीचर ट्रांसफर पॉलिसी* के रूप में एक नये परिवर्तन का आभास हुआ। सुखद परिणाम हमारे सामने आ रहे है। जहां ट्रांसफर के नाम पर चल रहे गोरखधंधे पर रोक लगी है। वहीं, सम्मानीय शिक्षक अब निश्चिंत होकर अपना फर्ज निभा रहा है। यकीनन इस पॉलिसी से एक नये हरियाणा का जन्म हुआ, जिसमें बच्चा पढ़ रहा है और शिक्षक पढ़ा रहा है। पहली बार हरियाणा के सरकारी स्कूल प्राइवेट स्कूलों को पछाड़ रहे हैं।

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