कोरोना महामारी के दौर में भारत ही नहीं बल्कि विश्व के लगभग सभी देशों में बेरोजगारी की दर में बेतहाशा वृद्धि दृष्टिगोचर हुई थी। परंतु, भारत ने कोरोना महामारी के द्वितीय दौर के बाद जिस तेजी से अपनी अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी की दर को कम करने में सफलता पाई है, वह निश्चित ही तारीफ के काबिल है। हालांकि तेज गति से बढ़ रहे रोजगार के अवसरों में भारत में हाल ही में प्रारम्भ हुए त्योहार के मौसम का भी योगदान है। देश में त्योहारी मौसम में आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि दृष्टिगोचर होती है। परंतु, ईपीएफओ एवं एनपीएस के पेरोल के आंकड़े देखने पर ज्ञात होता है कि रोजगार के अधिक नए अवसर औपचारिक (फोर्मल) क्षेत्र में भी निर्मित हो रहे हैं, इस क्षेत्र में श्रमिकों को न केवल निश्चित दर पर वेतन एवं मजदूरी प्राप्त होती है बल्कि अन्य कई प्रकार के लाभ यथा प्रॉविडेंट फंड में योगदान एवं स्वास्थ्य सुविधाएं भी नियोक्ता अथवा सरकार की ओर से उपलब्ध होती हैं। जबकि अनौपचारिक क्षेत्र में कई बार न्यूनतम मजदूरी से भी कम मजदूरी श्रमिकों को प्राप्त होती है, अन्य सुविधाएं तो प्राप्त ही नहीं होती हैं। इस प्रकार, देश में औपचारिक क्षेत्र में अधिक से अधिक रोजगार निर्मित होना एक बहुत अच्छी उपलब्धि मानी जानी चाहिए।
भारतीय अर्थव्यवस्था की निगरानी करने वाले केंद्र (सीएमआईई) द्वारा हाल ही में जारी किया गए आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2021 माह में 1 करोड़ 60 लाख रोजगार के नए अवसर भारत में निर्मित हुए हैं। यह कोरोना महामारी के द्वितीय दौर के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के तेजी से वापिस पटरी पर आने के कारण सम्भव हुआ है। कृषि के क्षेत्र में 1 करोड़ 12 लाख रोजगार के नए अवसर निर्मित हुए हैं एवं निर्माण के क्षेत्र में 54 लाख रोजगार के नए अवसर निर्मित हुए हैं तो सेवा क्षेत्र में 5 लाख तथा विनिर्माण के क्षेत्र में 8 लाख रोजगार के नए अवसर निर्मित हुए हैं। सीएमआईई के अनुसार, कृषि के क्षेत्र में पैदा हुए रोजगार के अवसर अल्प अवधि के रोजगार हो सकते हैं परंतु देश में आर्थिक गतिविधियों में हो रही तेज गति से वृद्धि के चलते आगे आने वाले समय में यह अल्प अवधि के रोजगार के अवसर अन्य क्षेत्रों यथा सेवा, निर्माण एवं विनिर्माण में लम्बी अवधि के रोजगार के अवसरों में परिवर्तित हो सकते हैं। जो कि देश के लिए एक अच्छी खबर होनी चाहिए।
दूसरी ओर, एक अन्य संस्थान द्वारा जारी किए गए सर्वे के अनुसार सूचना प्रौद्योगिकी कम्पनियों ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के शेष समय में विभिन्न महाविद्यालयों (आईटी एवं प्रबंधन) के कैम्पस से भारी मात्रा में भर्तियों की योजना बनाई है। नई भर्ती के यह आंकड़े कोविड महामारी के पूर्व के स्तर (फरवरी 2020) से कहीं अधिक हैं। जैसे, टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज 40000+, इनफोसिस 35000+, काग्निजेंट 45000+, विप्रो 30000+ एवं एचसीएल टेक्नॉलजी 30000+ आदि कम्पनियां तकनीकी क्षेत्र में नई भर्ती किए जाने की योजना बना रही हैं। इसके साथ ही, देश के 10 शीर्ष निजी क्षेत्र के औद्योगिक घरानों में भी कर्मचारियों की संख्या में लगातार वृद्धि दृष्टिगोचर हो रही है। एक अनुमान के अनुसार, टाटा समूह की कम्पनियों में 750,000 कर्मचारी कार्यरत हैं तो लारसन एंड टोब्रो समूह में 338,000 कर्मचारी, इनफोसिस समूह में 260,000 कर्मचारी, महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह में 260,000 कर्मचारी, रिलायंस इंडस्ट्रीज समूह में 236,000 कर्मचारी, विप्रो समूह में 210,000 कर्मचारी, एचसीएल समूह में 167,000 कर्मचारी, एचडीएफसी बैंक में 120,000 कर्मचारी आइसीआइसीआइ बैंक में 97,000 कर्मचारी एवं टीवीएस समूह में 60,000 कर्मचारी कार्यरत हैं। इन औद्योगिक समूहों में नए कर्मचारियों की भर्ती भी भारी संख्या में की जा रही है। अब भारत के लिए भी यह कहा जा सकता है कि सरकारी क्षेत्र के साथ साथ निजी क्षेत्र में भी निवेश बढ़ रहा है एवं इससे निजी क्षेत्र में भी रोजगार के नए अवसर भारी मात्रा में निर्मित हो रहे हैं, जो कि देश के लिए एक अच्छा संकेत है।
भारतीय स्टेट बैंक द्वारा जारी की गई एक रिसर्च प्रतिवेदन में भी बताया गया है कि भारत में अप्रेल-जून 2021 की तिमाही में राष्ट्रीय पेंशन योजना एवं कर्मचारी प्रॉविडेंट फंड योजना (एनपीएस एवं ईपीएफओ) में 30.74 लाख पेरोल जोड़े गए। इनमें 16.3 लाख नए पेरोल जोड़े गए एवं 11.8 लाख पुराने पेरोल को पुनः प्रारम्भ किया गया अर्थात कोरोना महामारी के चलते जिन लोगों ने अपने रोजगार को खो दिया था उनका रोजगार पुनः प्रारम्भ हो गया है एवं इस प्रकार, उनके पुराने पेरोल पुनः प्रारम्भ हो गए हैं। कोरोना महामारी के प्रथम एवं द्वितीय दौर से बाहर निकलकर आर्थिक गतिविधियों में सुधार के चलते अब आगे आने वाले समय में देश में रोजगार के नए अवसर तेज गति से निर्मित होने की सम्भावना भी कई अन्य रोजगार पोर्टल कम्पनियों द्वारा भी व्यक्त की गई है।
केंद्र सरकार द्वारा लगातार किए जा रहे प्रयासों के चलते बेरोजगारी की दर में भी अब कमी देखी गई है। सीएमआईई (CMIE) इंडिया बेरोजगारी दर जो अप्रेल 2020 में 27.11 प्रतिशत के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी, वह मार्च 2021 में गिरकर 6.52 प्रतिशत तक नीचे आ गई थी। परंतु कोरोना महामारी के दूसरे दौर के बाद बेरोजगारी की दर पुनः 9.4 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर एवं शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी की दर 10.3 प्रतिशत के उच्चतम स्तर एवं ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी की दर 8.9 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी, जिसमें अब काफी सुधार दृष्टिगोचर हुआ है। अब देश के कुछ क्षेत्रों में तो कुछ समय पूर्व तक श्रमिक उपलब्ध ही नहीं हो पा रहे थे। जैसे तिरुपुर, जो देश का सबसे बड़ा वस्त्र उत्पादन केंद्र है, में कुल श्रमिकों की क्षमता के मात्र 60 प्रतिशत श्रमिक ही उपलब्ध हो पा रहे थे। इसी प्रकार सूरत में, जहां रत्न एवं आभूषण निर्माण की 6,000 इकाईयां कार्यरत हैं एवं जहां 400,000 से अधिक बाहरी श्रमिक कार्य करते हैं, में भी 40 प्रतिशत श्रमिक अभी भी काम पर नहीं लौटे थे। चेन्नई के चमड़ा उद्योग में भी 20 प्रतिशत कम श्रमिकों से काम चलाया जा रहा था। देश में दरअसल उद्योगों में तो पूरे तौर पर उत्पादन कार्य प्रारम्भ हो चुका है परंतु श्रमिक अभी भी अपने गावों से वापिस इन उद्योगों में काम पर नहीं लौटें हैं। इस प्रकार कुछ क्षेत्रों में रोजगार के अवसर तो उपलब्ध हैं परंतु श्रमिक उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।
प्रहलाद सबनानी
सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक,
भारतीय स्टेट बैंक
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