श्री राधामाधव मंदिर सेवा समिति सिद्धि सिद्धि नगर कुन्हाडी द्वारा जन्माष्टमी के 15 दिन बाद मनाए जाने वाले राधा अष्टमी पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। राधा अष्टमी का पर्व मंगलवार को भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी की तिथि को मनाया जाएगा। शुक्ल पक्ष की अष्टमी की तिथि को राधा अष्टमी पर कई आयोजन होंगे। समिति अध्यक्ष विश्वनाथ शर्मा व श्रृंगार व्यवस्थापक हरीश राजपुरोहित ने बताया कोविड गाइड लाइन की पालना के साथ दर्शन प्राप्त किए जा सकेंगे। सुबह राधा रानी का विशेष श्रंगार कर पूजन किया जाएगा, मावा, मिश्री, काजू, बादाम, फल, मिष्ठान सहित अन्य खाद्य पदार्थों का भोग लगाया जाएगा।
कार्यक्रम संयोजक मनीष मूंदडा ने बताया कि राधा रानी का मनमोहक पोषाक के साथ रत्न आभूषणों से श्रृंगारित किया गया। मंदिर परिसर में पुष्पों से सज्जा की जाएगी, विद्युत सज्जा होगी वहीं संध्या महाआरती में भक्तों को राधारानी के दर्शन होंगे। इसके साथ ही महाप्रसादी का वितरण भी किया जाएगा। मूंदडा ने बताया कि इस दौरान भजन संध्या का आयोजन भी मंदिर समिति द्वारा किया जाएगा। भक्तिभाव से भक्तों मन वांच्छित फल की कामना के साथ राधा रानी व ठाकुरजी को भोग लगाया जाएगा। वहीं कोटा की खुशहाली के लिए विशेष पूजन भी किया जाएगा।
राधा अष्टमी के पर्व के विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है, राधा अष्टमी पर व्रत रखकर पूजा की जाती है, राधा अष्टमी की पूजा सभी दुखों को दूर करने वाली मानी गई हैं, वहीं मान्यता है कि राधा अष्टमी का व्रत सभी प्रकार के पापों को भी नष्ट करता है, पंचांग के अनुसार इस दिन ज्येष्ठा नक्षत्र रहेगा, इसके बाद मूल नक्षत्र आरंभ होगा, राधा अष्टमी पर विशेष शुभ योग भी बन रहा है, इस योग को आयुष्मान योग का निर्माण हो रहा है, यानि राधा अष्टमी का व्रत और पूजा इसी योग में होगा। राधा अष्टमी का व्रत विशेष पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है, इस व्रत को सभी प्रकार के कष्टों को दूर करने वाला बताया गया है, सुहागिन स्त्रियां इस दिन व्रत रखकर राधा जी की विशेष पूजा करती हैं, इस दिन पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। राधा अष्टमी का पर्व जीवन में आने वाली धन की समस्या को भी दूर करता है। राधा जी की इस दिन पूजा करने से भगवान श्रीकृष्ण का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत को रखने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।