अगर आप को लगता है कि पंजाब में जो भी कुछ हो रहा है वह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह की जंग है तो आप बहुत मासूम और निर्दोष लोग हैं। आप मानिए , न मानिए पर पंजाब अब कांग्रेस का एक नया अफ़ग़ानिस्तान है कांग्रेस के लिए। असल में यह जंग कैप्टन अमरिंदर सिंह और राहुल गांधी की जंग है। सुविधा के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह को अमरीका मान लीजिए और राहुल गांधी को तालिबान। नवजोत सिंह सिद्धू तो जमूरा है। एक मामूली सा टूल है। कैप्टन खुल कर कह ले रहे हैं कि अब वह अपना अपमान और नहीं बर्दाश्त कर पा रहे थे इस लिए इस्तीफ़ा दे दिया। लेकिन राहुल गांधी न कह पाए , न कह पा रहे , न कह पाएंगे। कि वह अपमानित हैं। अपमानित होना ही अब उन का नसीब है। कि कांग्रेस के बहादुरशाह ज़फ़र हैं वह अब।
सच तो यह है कि बीते नौ , साढ़े नौ साल से कैप्टन अमरिंदर सिंह निरंतर राहुल गांधी को अपमानित कर रहे थे। राहुल गांधी की परिक्रमा न कर के। राजीव गांधी के बग़ावती विवाह के बाद हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन के दिल्ली के घर से निकल कर राजीव गांधी और सोनिया गांधी कैप्टन अमरिंदर सिंह के पटियाला के राज महल में काफी समय रहे थे। राजीव गांधी , अमरिंदर सिंह के स्कूली दिनों के दोस्त रहे हैं। बल्कि अमरिंदर सिंह से एक साल जूनियर थे स्कूल में राजीव गांधी। तो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को अपना बच्चा मानते थे कैप्टन। जब कि सोनिया गांधी से भी वह बराबरी से बात करते थे। परिक्रमा कैसे करते भला।
लेकिन राहुल गांधी और सोनिया गांधी खुद को कांग्रेस का , भारत का खुदा मानते हैं। यह उन की खुदाई का अहंकार ही है जो किसी को बराबरी से उन से मिलने नहीं देता। कभी किसी वीडियो में सोनिया गांधी के साथ प्रधान मंत्री के रुप में मनमोहन सिंह को देख लीजिए। मनमोहन सिंह की दुर्दशा और अपमान देख कर आप को उन पर निरंतर तरस आता रहेगा। सोचेंगे कि यह आदमी प्रधान मंत्री है या सोनिया गांधी का ज़रख़रीद ग़ुलाम ! अमिताभ बच्चन की याद कीजिए। वह भी राजीव गांधी के बाल सखा थे। सो बराबरी से मिलते थे। आंख से आंख मिला कर।
यह अमिताभ बच्चन ही थे जो राजीव गांधी के साथ सोनिया गांधी के पहली बार भारत आने पर दिल्ली एयरपोर्ट पर अकेले रिसीव करने पहुंचे थे। और राजीव , सोनिया को ले कर अपने पिता हरिवंश राय बच्चन के गुलमोहर पार्क वाले घर पर ले आए थे। क्यों कि राजीव गांधी की मां इंदिरा गांधी जो तब भारत की ताक़तवर प्रधान मंत्री थीं , राजीव गांधी और सोनिया गांधी की दोस्ती और होने वाली शादी के ज़बरदस्त ख़िलाफ़ थीं। ख़ैर बाद में हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन ने ही सोनिया गांधी का कन्यादान किया। उन के घर पर ही शादी भी हुई।
कुल जमा यह कि राजीव गांधी और अमिताभ बच्चन बहुत आत्मीय मित्र थे। बचपन में साथ खेले थे। इलाहाबाद से लगायत दिल्ली तक। इतना ही नहीं कालांतर में राहुल और प्रियंका भी इन्ही तेजी बच्चन और हरिवंश राय बच्चन के साथ अपने बचपन के अधिकांश दिन बिताए हैं। इन्हीं के अभिभावकत्व में रहे हैं। एक बार प्रियंका गांधी से पूछा गया था कि आप की हिंदी इतनी अच्छी कैसे है। प्रियंका गांधी ने बेसाख्ता कहा था , तेजी बच्चन की वज़ह से। बचपन में उन्हीं के साथ रही हूं। उन्हों ने ही सिखाया है।
मतलब पारिवारिक प्रगाढ़ता भी थी अमिताभ बच्चन और गांधी परिवार में। इतना कि कुली फ़िल्म की शूटिंग में घायल हुए अमिताभ बच्चन को देखने बतौर प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी उन्हें अस्पताल देखने भी गई थीं। अमिताभ बच्चन के बचपन की बहुत सी फ़ोटो भी मैं ने इंदिरा गांधी , राजीव गांधी , संजय गांधी और अमिताभ बच्चन की एक साथ देखी हैं। एक फ़ोटो तो दारा सिंह के साथ की है। जिस में इंदिरा गांधी , दारा सिंह , राजीव गांधी , अमिताभ बच्चन और संजय गांधी हैं। इस फ़ोटो में इंदिरा गांधी , राजीव , अमिताभ , संजय सभी दारा सिंह के साथ खड़े हो कर खुश हैं। बहुत खुश। अमिताभ और राजीव गांधी दोनों तब टीनएज हैं।
इतना ही नहीं , इंदिरा गांधी की हत्या के बाद अमिताभ बच्चन फ़िल्म और ग्लैमर छोड़ कर राजीव गांधी का साथ और भरोसा देने के लिए निजी तौर पर लगातार साथ देखे गए। इलाहाबाद से चुनाव भी लड़े राजीव गांधी के कहने पर और हेमवतीनंदन बहुगुणा जैसे महारथी को हरा दिया था अमिताभ बच्चन ने। बाद में राजीव के चक्कर में बोफ़ोर्स का दाग़ भी लगा अमिताभ बच्चन पर। किसी तरह चंद्रशेखर राज में अमर सिंह ने अमिताभ बच्चन के नाम से बोफ़ोर्स का दाग़ मिटवा दिया। पर राजीव गांधी के विदा हो जाने के बाद सोनिया गांधी की इसी खुदाई अहंकार से टूट कर बर्बाद हुए थे एक समय यही अमिताभ बच्चन। सड़क पर आ गए थे। दिवालिया हो गए थे। मुंबई के दोनों घर केनरा बैंक द्वारा नीलामी पर आ गए।
पी चिदंबरम उन दिनों वित्त मंत्री थे। लगता था कि जैसे अमिताभ बच्चन को बरबाद करने के लिए ही वह वित्त मंत्री बनाए गए हैं। एक सूत्रीय कार्यक्रम था उन का जैसे अमिताभ बच्चन को बरबाद करना। वह तो किस्मत के धनी थे अमिताभ बच्चन। कि उन्हें अमर सिंह और सुब्रत रॉय सहारा जैसे लोग मिले। तिकड़म से ही सही अमिताभ बच्चन का दोनों घर नीलामी से बच गया। फिर कौन बनेगा करोड़पति कार्यक्रम मिला। अमिताभ बच्चन ने अपने को फिर से खड़ा कर लिया। अब वह सदी के महानायक का रुतबा हासिल कर बैठे हैं।
नहीं तब के दिनों जब कोई सोनिया परिवार से उन के संबंधों और क़रीबी की बात करता तो अमिताभ तब अपने बरबादी के दिनों में कुढ़ कर सोनिया को राजा , खुद को रंक कहते हुए कहते हुए कहते थे , हमारी उन की क्या तुलना , क्या संबंध ! राजा और रंक का क्या संबंध ! अलग बात है अमिताभ बच्चन को सहारा देने के चक्कर में सुब्रत रॉय खुद बेसहारा हो गए। बरबाद हो गए। क्यों कि जब सोनिया गांधी को पता चला कि अमिताभ बच्चन का घर नीलाम होने से बचाने में सुब्रत रॉय सहारा का हाथ है है तो उन्हों ने वित्त मंत्रालय में तैनात चिदंबरम नाम की तोप सहारा की तरफ मोड़ दी। कुछ चिदंबरम नाम की तोप , कुछ सुब्रत रॉय का अपना अहंकार , कुछ उन के कारोबार की कमज़ोर नस ने सहारा को तहस-नहस कर दिया। ऐसे अनेक क़िस्से हैं।
तो कैप्टन अमरिंदर सिंह भी अब मां-बेटे की तोप के सामने हैं। ग़नीमत है कि केंद्र में मोदी की सरकार है। अगर मां-बेटे की सरकार होती तो कैप्टन अमरिंदर सिंह कब के अपने राजमहल से बेघर हो गए होते। मुख्य मंत्री पद क्या चीज़ है भला। जो भी हो कैप्टन ने चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का मुख्य मंत्री बनने की बधाई दे ज़रुर दी है पर सरकार कितने दिन चलने देंगे , यह देखना दिलचस्प होगा। अभी हाल ही जालियांवाला बाग़ के बाबत जब राहुल गांधी ने विपरीत टिप्पणी की थी तब कैप्टन अमरिंदर सिंह खुल कर राहुल गांधी की उस टिप्पणी से अपनी असहमति दर्ज करवा बैठे थे। कैप्टन अमरिंदर सिंह की विदाई का प्रस्थान बिंदु उसी दिन तय हो गया था।
अब तो ख़ैर , आने वाला समय ही बताएगा कि पंजाब चुनाव चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्य मंत्री रहते होगा कि राष्ट्रपति शासन के तहत। क्यों कि कैप्टन वह सैनिक हैं जो थक कर , हार मान कर बैठ जाने के लिए नहीं जाने जाते। जब कि राहुल गांधी अपनी कुंडली में शिकस्त ही शिकस्त का लंबा सिलसिला लिखवा कर पैदा हुए हैं। तिस पर उन का अहंकार और फिर डिस्ट्रक्टिव और तुग़लकी दिमाग। पंजाब को जाने किस करवट और किस बिसात पर बैठा दे , यह तो नरेंद्र मोदी भी नहीं जानते। क्यों कि पंजाब अब एक नया अफ़ग़ानिस्तान है कांग्रेस के लिए। अभी बहुत सी मिसाइलें हैं कैप्टन अमरिंदर सिंह के पास। जब कि राहुल गांधी और नवजोत सिंह सिद्धू दोनों ही भटकी हुई मिसाइल हैं। कब किस पर नाजिल हो जाएं , यह दोनों ख़ुद भी नहीं जानते।
हां , पंजाब के इस कांग्रेसी घमासान में अगर किसी की पांचों उंगलियां घी में हैं तो वह आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल की हैं। केजरीवाल आज उत्तराखंड के हल्द्वानी में चुनावी घोषणाओं की बरसात भले कर रहे थे पर उन के चेहरे पर मुस्कान और उल्लास पंजाब फतेह कर लेने की थी। पंजाब का अगला मुख्य मंत्री बनने का उन का सपना पुराना है। लोग कह रहे हैं कि बिल्ली के भाग्य से छींका टूटने वाला है। जो भी हो आप लोग फ़िलहाल पंजाब में बने कांग्रेस के नए अफ़ग़ानिस्तान का आनंद लीजिए। और सुखजिंदर रंधावा से मिठाई और बधाई का दिन दहाड़े हुए मुख्य मंत्री पद के गर्भपात का हाल पूछिए।
अंबिका सोनी से पूछिए कि बीमारी के बहाने से आगे की थाली कैप्टन के लिहाज़ में छोड़ी या राहुल गांधी और सिद्धू नामक भटकी हुई मिसाइलों के खौफ से। चरणजीत सिंह चन्नी को बधाई दीजिए कि उन की लाटरी खुल गई ! उन का दलित कितना फलित होगा यह तो 2022 का चुनाव परिणाम बताएगा। पर उस आई ए एस महिला से मी टू का दर्द कौन पूछेगा जिस का लांछन चरणजीत सिंह चन्नी पर अभी भी चस्पा है। एक बात और। वह यह कि हमारे आदरणीय मित्र और लेखक भगवान सिंह की राय है कि पाकिस्तान , तालिबान और चीन की घुसपैठ करवाने , आतंकियों को मज़बूत करने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाया है ताकि देश में अस्थिरता फैलाई जा सके। देश को कमज़ोर किया जा सके।
साभार- https://sarokarnama.blogspot.com/ से