कोटा। मुनि नहीं बन सकते तो मुनि बनने का भाव होना चाहिए, भगवान को देखकर भगवान बनने का भाव करें, दानी त्यागी, मुनि का भाव कर लो तो सम्यक दृष्टि हो जाओगे, धर्म के लिए लिया गया व्रत हीरे से भी ज्यादा मूल्यवान होता है। ये उद्गार चद्रोदय तीर्थ क्षेत्र चांदखेडी जैन मंदिर खानपुर में चातुर्मास के दौरान चल रहे मंगलकारी प्रवचन में मुनि पुंगव सुधासागर जी महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सच्ची भक्ति वही होती है जहां आस्था का भाव होता है। भक्ति सच्ची होगी तो इच्छा पूरी होगी। अधिकांश लोग सेंपल में धर्म करते हैं, कुछ दिन के लिए करके देखते हैं, कुछ दिन के लिए भक्तिभाव करने का मन नहीं बनाएं।
उन्होंने निरंतरता, भक्ति, शक्ति, व्रत, अहिंसा व अहिंसा व्रत की विस्तार से व्याख्या की। उन्होंने कहा कि नियम लो की जहां तक समझ नहीं आए एक ही विषय को पढ़ते रहो। अपनी भक्ति को सदा ही शक्ति मानना, भगवान की शक्ति को नापने का हमारे में सामर्थ नहीं है। सुधा सागर जी महाराज ने सत्य से नहीं सत्यव्रत से मोक्ष का मार्ग बताया, उन्होंने कहा सत्य से चमत्कार नहीं है, चमत्कार सत्यव्रत में मिलेगा। ऐसी भक्ति हो की जहां भी मस्तक झुकाओं वह पत्थर भी देवता हो जाए। उन्होंने कहा अहिंसा से नहीं अहिंसा व्रत से उद्धार होगा। भगवान से नहीं भक्ति से उद्धार होगा। धर्म से नहीं धर्मात्मा से उद्धार होगा। हम पाप को पाप तो कहते हैं, लेकिन उसे छोडते नहीं हैं।
मुनि संघ के साथ विराजमान महासागर जी महाराज ने कहा कि कितना ही आ जाए हमेशा आगे बढ़ने की होड रहती है। व्यक्ति कितना ही बडा हो जाए उसे अभाव रहता है। उन्होंने कहा हमे हमारी सोच बदलनी होगी, धर्म ने जीने की जो शैली बताई है, उसी के अनुसार जीना चाहिए। जीवन निर्वहन का लक्ष्य नहीं बनाए, निज की ओर आएं। चांदखेडी के अध्यक्ष हुकम जैन काका ने बताया कि बुधवार को प्रवचन में मुनिश्री ने धर्म, धन, व्रत, भक्ति, ज्ञान सहित कई विषयों को प्रवचन में समाहित करते हुए जीवन को कल्याण के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। कमेटी के महामंत्री नरेश जैन वैद, कोषाध्यक्ष गोपाल जैन, अजय बाकलीवाल, महावीर जैन, प्रशांत जैन, कैलाश जैन भाल सहित कमेटी के सदस्यों द्वारा श्रावक की सुविधाओं व्यवस्थित रूप से संभाला जा रहा है। मुनि श्री के संघ में मुनि महासागर महाराज, मुनि निष्कंप सागर महाराज, क्षुल्लक गंभीर सागर और धैर्य सागर महाराज का सानिध्य भी श्रावकों को मिल रहा है।
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