राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक और संस्कार भारती के अखिल भारतीय संगठन महामंत्री अमीरचंद जी ने संस्कार भारती के माध्यम से देश भर की लोक कलाओं को, लोक कलाकारों को, साहित्य, नाट्य, गायन और अन्य विधाओं के अभ्युदय के लिए सदैव प्रयासरत रहे !
दिल्ली से एक कार्यक्रम के लिए अरुणाचल प्रदेश गए थे। तवांग जाने के दौरान जसवंतगढ़, जो समुद्र तल से लगभग 14,000 फीट पर है, में उनका आक्सीजन स्तर अचानक घट गया। सांस लेने में दिक्कत महसूस हुई तो कुछ ही देर में उन्हें नजदीकी आईटीबीपी के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। चिकित्सकों ने बहुत प्रयास किया, लेकिन उनकी प्राणरक्षा नहीं कर पाए !
श्री अमीरचंद जी मूलत: हनुमानगंज, बलिया (उ.प्र.) के रहने वाले थे। 1981 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से उनका संपर्क हुआ और इसके बाद वे संघ के ही होकर रह गए। 1985 में प्रथम वर्ष का प्रशिक्षण लेने के बाद वे प्रखंड विस्तारक के रूप में बलिया में संघ कार्य करने लगे। फिर इसी वर्ष उन्हें तहसील प्रचारक का दायित्व देकर आजमगढ़ भेजा गया। 1987 में उन्हें संस्कार भारती, पूर्वी उत्तर प्रदेश के संगठन सचिव का दायित्व दिया गया। इसके बाद से वे अब तक संस्कार भारती में ही रहे और संगठन को एक नई पहचान दिलाई। संस्कार भारती में उन्होंने संगठन मंत्री के रूप में बिहार, पश्चिम बंगाल, दिल्ली सहित अनेक राज्यों मेंं काम किया। 1997 से 2014 तक वे संस्कार भारती के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री रहे। 2018 में उन्हें अखिल भारतीय संगठन महामंत्री का दायित्व दिया गया था।