कोरोना महामारी के दूसरे दौर के बीच, वित्तीय वर्ष 2021-22 की द्वितीय तिमाही के दौरान, भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी का दौर जारी रहा है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद में जुलाई-सितम्बर 2021 तिमाही में 8.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जो विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों में सबसे अधिक है। हालांकि वित्तीय वर्ष 2021-22 की प्रथम तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर 20.1 प्रतिशत की रही थी, परंतु यह वृद्धि दर वित्तीय वर्ष 2020-21 की प्रथम तिमाही में कोरोना महामारी के प्रथम दौर के कारण सकल घरेलू उत्पाद में आई 24.4 प्रतिशत की भारी कमी के कारण रही थी।
वित्तीय वर्ष 2020-21 एवं वित्तीय वर्ष 2021-22 की प्रथम तिमाही के दौरान कृषि क्षेत्र ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लगातार सहारा दिया था परंतु अब वित्तीय वर्ष 2021-22 की द्वितीय तिमाही में उद्योग एवं सेवा क्षेत्र से भी अर्थव्यस्था को भरपूर सहारा मिला है। कृषि क्षेत्र में इस दौरान 4.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है वहीं उद्योग क्षेत्र में 6.9 प्रतिशत की वृद्धि तथा सेवा क्षेत्र में 10.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
वित्तीय वर्ष 2020-21 की अर्द्ध वार्षिक (अप्रेल-सितम्बर 2020) अवधि में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में 11.4 लाख करोड़ रुपए की कमी दर्ज की गई थी क्योंकि कोरोना महामारी के चलते अप्रेल एवं मई 2020 के दौरान देश में पूर्ण लॉकडाउन एवं जून-सितम्बर 2020 की अवधि में आंशिक लॉकडाउन लगाया गया था। परंतु अब हर्ष का विषय है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 की अर्द्ध वार्षिक (अप्रेल-सितम्बर 2021) अवधि में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में 8.2 लाख करोड़ रुपए की वृद्धि दर्ज की गई है। इस प्रकार, अभी भी शेष 3.2 लाख करोड़ रुपए की हानि को पूर्ण करने के लिए इस राशि की वृद्धि वित्तीय वर्ष 2021-22 के शेष अवधि में प्राप्त करना आवश्यक होगा।
अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों में वित्तीय वर्ष 2021-22 की द्वितीय तिमाही में प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की गई है परंतु अभी भी कोरोना महामारी के दौरान सबसे अधिक विपरीत रूप से प्रभावित क्षेत्रों यथा, व्यापार, होटल, यातायात, संचार एवं ब्रॉड्कास्टिंग से संबंधित सेवा क्षेत्रों में तेजी आना शेष है और इन क्षेत्रों में 2.6 लाख करोड़ रुपए की हानि की पूर्ति किया जाना है। आज देश में कोरोना महामारी के पूर्व के अर्थव्यवस्था के स्तर के 95.6 प्रतिशत भाग को प्राप्त कर लिया गया है परंतु व्यापार, होटल, यातायात, संचार एवं ब्रॉड्कास्टिंग से संबंधित सेवा क्षेत्र में अभी भी केवल 80 प्रतिशत के स्तर को ही प्राप्त किया जा सका है। अब यह सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 की तृतीय तिमाही के दौरान अर्थव्यवस्था के समस्त क्षेत्रों में कोरोना महामारी के पूर्व के स्तर को प्राप्त कर उक्त वर्णित 3.2 लाख करोड़ रुपए की शेष हानि को भी पूर्ण कर लिया जाएगा।
एक और उत्साहवर्धक खबर निवेश के क्षेत्र से भी आई है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के प्रथम सात माह (अप्रेल-अक्टोबर 2021) के दौरान ही 8.6 लाख करोड़ रुपए के नए निवेश की घोषणा की गई है जबकि वित्तीय वर्ष 2020-21 की पूर्ण अवधि में 11 लाख करोड़ रुपए के नए निवेश की घोषणा की गई थी। वित्तीय वर्ष 2021-22 में निजी निवेश का योगदान 67 प्रतिशत अर्थात 5.80 लाख करोड़ रुपए का रहा है अतः लम्बे अंतराल के बाद अब निजी निवेश का योगदान भी देश की अर्थव्यवस्था में बढ़ने लगा है, वरना अभी तक तो मुख्य रूप से केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा ही देश में निवेश पर खर्च किया जा रहा था। इसी बीच 29 नवम्बर 2021 को समाप्त सप्ताह में भारतीय स्टेट बैंक का बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स भी 110.7 के स्तर पर आ गया है जिसका आश्य यह है कि देश में आर्थिक गतिविधियों ने अब तेज रफ्तार पकड़ ली है। इसके साथ ही, 22 अक्टोबर 2021 से 5 नवम्बर 2021 की पाक्षिक अवधि के दौरान समस्त शिडयूलड कामर्शीयल बैंकों द्वारा प्रदान किए गए ऋणों की राशि में 1.18 लाख करोड़ रुपए (7.1 प्रतिशत) की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की गई है, जो कि वित्तीय वर्ष 2021-22 की 5 नवम्बर तक की अवधि तक 2.14 लाख करोड़ की वृद्धि का 56 प्रतिशत है। उक्त वर्णित पाक्षिक अवधि में अर्थव्यस्था के लगभग समस्त क्षेत्रों (व्यक्तिगत ऋण, सेवा क्षेत्र, उद्योग क्षेत्र एवं कृषि क्षेत्र, आदि) में ऋण प्रदान करने की गतिविधि में महत्वपूर्ण तेजी दृष्टिगोचर हुई है। इसका आश्य यह है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 की तृतीय तिमाही में भी आर्थिक गतिविधियों में तेजी का दौर जारी रहेगा।
वित्तीय वर्ष 2021-22 के प्रथम अर्द्धवार्षिक अवधि के दौरान दर्ज की गई प्रभावशाली विकास दर को जारी रखते हुए अक्टोबर 2021 में उद्योग क्षेत्र के 8 मूलभूत उद्योगों में 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। कोयला, सीमेंट, रीफायनिंग एवं गैस उत्पादन उद्योगों में उत्साहवर्धक वृद्धि दर्ज हुई है। सेमेंट उद्योग में तो 14.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है इसका आश्य यह है कि देश में निर्माण का कार्य रफ्तार पकड़ता जा रहा है। अभी आगे आने वाले समय में चूंकि केंद्र सरकार अधोसंरचना के विकास के लिए बहुत बड़ी राशि का पूंजीगत खर्च करने जा रही है अतः सीमेंट एवं स्टील उद्योग में विकास दर और भी रफ्तार पकड़ेगी।
देश के वित्त प्रबंधन में भी स्पष्ट तौर पर सुधार दिखाई दे रहा है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के राजकोषीय घाटे को भी अभी तक नियंत्रण में रखते हुए, अप्रेल-अक्टोबर 2021 के 7 माह के दौरान, 5.47 लाख करोड़ रुपए के स्तर पर रखा गया है जो कि वर्ष 2021-22 के पूर्ण वर्ष के राजकोषीय घाटे के बजट (15.06 लाख करोड़ रुपए) का मात्र 36.3 प्रतिशत ही है, यह राजकोषीय घाटा पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 की इसी अवधि के दौरान 119.7 प्रतिशत था। इस वर्ष राजकोषीय आय में काफी सुधार होने के कारण यह स्थिति बनी है। जीएसटी संग्रहण में तो हर माह नए रिकार्ड बन रहे हैं। देश में नवम्बर 2021 माह में 131,526 करोड़ रुपए का जीएसटी संग्रहण हुआ है जो अक्टोबर 2021 माह में 130,127 करोड़ रुपए का रहा था। हालांकि अभी तक का सबसे अधिक जीएसटी संग्रहण अप्रेल 2021 माह में 139,708 करोड़ रुपए का रहा था।
अब भारतीय अर्थव्यवस्था में चूंकि निजी क्षेत्र से निवेश बढ़ने के संकेत मिलने लगे हैं एवं केंद्र सरकार के राजकोषीय घाटे के नियंत्रण में रहने के चलते केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों द्वारा भी अधोसंरचना के विकास के लिए पूंजीगत खर्च में वृद्धि करने की गुंजाइश बन गई है अतः अब आशा की जानी चाहिए कि वित्तीय वर्ष 2021-22 के द्वितीय अर्धवार्षिक अवधि में निजी क्षेत्र एवं सरकारी क्षेत्र से देश में निवेश के बढ़ने से भारत की आर्थिक विकास दर वित्तीय वर्ष 2021-22 की अवधि में 10 प्रतिशत से अधिक हो जानी चाहिए, जो कि पूरे विश्व में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों में सबसे अधिक होगी।
प्रहलाद सबनानी
सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक,
भारतीय स्टेट बैंक
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