सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक के ख़िलाफ़ रोहिंग्या शर्णार्थियों ने 11 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का मुकदमा ठोका है। इंग्लैंड और अमेरिका में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों ने हेट स्पीच फैलाने का आरोप लगाते हुए फेसबुक से 11 लाख 30 हजार करोड़ रुपए के मुआवजे की माँग की हैं।
केस में दावा किया गया है कि फेसबुक की लापरवाही ने ही म्यामांर में अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसा को भड़काया और नरसंहार मुमकिन हुआ। आरोप है कि सोशल मीडिया के एल्गोरिदन ने घटनाओं के दौरान हेट स्पीच का काफी प्रसार किया था।
रिपोर्ट्स के अनुसार, शिकायत में कहा गया है कि इस बात को नहीं नकारा जा सकता कि नफरत, बंटवारे और गलत सूचनाओं से प्रेरित फेसबुक के बढ़ावे ने लाखों रोहिंग्याओं के जीवन को तबाह कर दिया है।
बता दें कि साल 2018 में खुद फेसबुक ने भी इस मामले के संबंध में स्वीकार किया था कि उसने रोहिंग्याओं के खिलाफ हिंसा और हेट स्पीच को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए। फेसबुक द्वारा कमीशन की गई एक स्वतंत्र रिपोर्ट के बाद ये बात सामने आई थी कि उसके (फेसबुक) प्लेटफॉर्म ने मानवाधिकारों के दुरुपयोग के प्रसार के लिए एक ‘सक्षम वातावरण’ बनाया था।
मौजूदा जानकारी के मुताबिक साल 2017 में भड़की हिंसा में एक सैन्य कार्रवाई के दौरान करीब 10,000 मुसलमान मारे गए थे और लाखों ने अलग-अलग देशों में शरण ले ली थी। इसी नरसंहार को लेकर रोहिंग्या शर्णार्थी अब मुआवजा माँग रहे हैं। उन्होंने फेसबुक और अब मेटा नाम से जाने जानी वाली कंपनी पर सालों से नफरत और खतरनाक गलत सूचना प्रसारित करने का आरोप लगाया है। अमेरिका में भी वकीलों ने सैन फ्रांसिस्को में फ़ेसबुक के ख़िलाफ़ क़ानूनी शिकायत दर्ज करवाई है। इस शिकायत में कहा गया है कि फ़ेसबुक “दक्षिण-पूर्व एशिया के एक छोटे से देश में बेहतर बाज़ार हासिल करने के लिए, रोहिंग्या लोगों की ज़िदंगी को दाँव पर लगाने को तैयार है।”