मुंबई। शिक्षा, सेवा, सशक्तिकरण, जीवदया तथा सामाजिक सरोकारों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाले विख्यात जैनाचार्य राष्ट्रसंत चंद्रानन सागर के हाथों गच्छाधिपति दर्शनसागर सूरीश्वर महाराज के जीवनवृत्त पर लिखित ‘मेरे गुरुवर दर्शन सागर – गागर में सागर’ ग्रंथ का विमोचन समारोह पूर्वक संपन्न हुआ। इस ग्रंथ की संकल्पना मनोज शोभावत की है तथा संगीता बागरेचा ने इसे लिखा है। दक्षिण मुंबई के पाटकर हॉल में आयोजित इस समारोह में देश भर से आए दर्शन भक्तों सहित मुंबई के विभिन्न जैन संघों व सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी तथा गणमान्य लोग विशेष रूप से उपस्थित थे।
राष्ट्रसंत आचार्य चंद्रानन सागर सूरीश्वर महाराज ने इस अवसर पर कहा कि साधु संतों का जीवन निस्वार्थ भावना के साथ केवल समाज के उत्थान के लिए समर्पित होता है तथा दर्शन सागर जी एक ऐसे संत थे, जो अपनी अंतिम सांस तक प्राणी मात्र के कल्याण के लिए समर्पित रहे। उन्होंने कहा कि सागर समुदाय के गच्छाधिपति के रूप में गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक आदि देश के विभिन्न राज्यों में लाखों किलोमीटर पैदल चलकर दर्शन सागरजी ने हजारों गांवों के लाखों लोगों को कल्याण की राह दिखाई। उनका पूरा जीवन मानव सेवा को समर्पित रहा, इस ग्रंथ में प्रकाशित उनका जीवनवृत्त आनेवाली कई पीढ़ियों को संस्कारपोषित करेगा। उल्लेखनीय है कि दर्शन सगनर महाराज के दिए गए संस्कारों से सम्पन्न चंद्रानन सागर जी भी पिछले 50 वर्षों से सामाजिक कल्याण के उसी मार्ग पर चल रहे हैं।
विमोचन समारोह में गोड़ीजी मन्दिर के ट्रस्टी निरंजनभाई चौकसी, समाजसेवी इन्द्रभाई राणावत, श्री नाकोड़ा भैरव दर्शनधाम के अध्यक्ष कांतिलाल शाह तथा उद्योगपति केवलचन्द चौहान व ग्रंथ की संकल्पना करनेवाले मनोज शोभावत, ग्रंथ की सम्पूर्ण लाभार्थी कुसुमबेन शोभावत तथा लेखिका संगीता बागरेचा भी मंच पर उपस्थित थीं। राष्ट्रसंत आचार्य चंद्रानन सागर ने ग्रंथ का विमोचन किया। समाजसेवी कपूर बल्दोटा, सज्जन रांका, प्रकाश चौपड़ा एवं राजनीतिक विश्लेषक निरंजन परिहार इस ग्रंथ के विमोचन समारोह की आयोजन समिति के सलाहकार थे, एवं नाकोड़ा दरबार (मण्डल) लालबाग के संयोजन में आयोजन संपन्न हुआ। समारोह का संचालन ओमप्रकाश आचार्य एवं संगीतकार त्रिलोक भोजक थे। विमोचन कार्यक्रम के प्रायोजक आनंद दर्शन सिल्वर थे। यह जानकारी नाकोड़ा दरबार (मण्डल) लालबाग के नवरतन धोका एवं भंवर छाजेड़ ने दी।