राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कभी भी मुख्यधारा के मीडिया और अन्य प्लेटफार्मों के माध्यम से अपने सामाजिक और राष्ट्रनिष्ठ कार्यों के प्रचार प्रसार में विश्वास नहीं किया है, इस तथ्य के बावजूद कि यह कार्य सामाजिक उत्थान, समता और व्यक्तिगत और राष्ट्रीय चरित्र के विकास के लिए सर्वोच्च है। हालांकि, “महान भारत, विश्वगुरु भारत” की आरएसएस की विचारधारा का विरोध करने वालों ने आरएसएस की छवि खराब करने और स्वयंसेवकों को हतोत्साहित करने के लिए विभिन्न प्लेटफार्मों पर झूठी कहानियां फैलाना शुरू कर दिया।
“Conflict Resolution The RSS Way (संघर्ष समाधान आरएसएस के मार्ग से)” लिखने के प्रयासों के लिए श्री रतन शारदा और श्री यशवंत पाठक को धन्यवाद। यह पुस्तक उनकी भावनाओं या आरएसएस के साथ जुड़ाव को ध्यान में रखकर नहीं लिखी गई है, बल्कि ठोस सबूत और संदर्भ प्रदान किए गए हैं ताकि सच्चाई को स्पष्टता के साथ सामने लाया जा सके। भारतमाता के प्रेम और सत्यनिष्ठा को ध्यान में रखते हुए जो समस्या समाधान से परे प्रतीत होती है, उसे सही सोच और दृष्टिकोण से सुलझाया जा सकता है। लेखकों ने प्रदर्शित किया है कि यदि प्रत्येक को सही इरादे और राष्ट्र-प्रथम दृष्टिकोण के साथ विकसित किया जाए, तो किसी भी बड़े पैमाने के मुद्दे को सही परिप्रेक्ष्य में हल किया जा सकता है। जम्मू और कश्मीर, असम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, आतंकवाद, चर्च और कट्टरपंथी इस्लाम सभी को व्यापक रूप से कवर किया गया है।
हम स्वतंत्रता के बाद से कई मुद्दों से जूझ रहे हैं, जिनमें से कई अंग्रेजों या स्वतंत्रता के बाद की सरकारों द्वारा बनाए गए थे और इसके परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण सामाजिक, आर्थिक और आध्यात्मिक नुकसान बडी मात्रा मे हुआ हैं, साथ ही साथ भारत माता की अखंडता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। कुछ संगठनों ने इस मुद्दे को हल करने के लिए कई बार सरकारों की सहायता करके इस दिशा में काम किया; ऐसा ही एक बड़ा संगठन जिसने इन मुददो को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, वह है “आरएसएस”, जिसे इस पुस्तक में विस्तार से उजागर किया गया है।
आंतरिक शक्तिया जो भारत को तोड़ना चाहती है, अंतरराष्ट्रीय साजिशों और उस समय के कमजोर राजनीतिक नेतृत्व ने भारतीयों में अविश्वास, निराशा और नकारात्मकता का माहौल बनाया। कुछ भी सकारात्मक नहीं किया जा सकता है, और कोई बड़ा मुद्दा हल नहीं किया जा सकता है, ऐसी मानसिकता बन चुकी थी। यह आरएसएस की प्रतिबद्धता और समर्पण है, इसके नेतृत्व और स्वयंसेवकों द्वारा जमीन पर इतनी कठिनाइयों के साथ लगातार प्रयासों के माध्यम से और यहां तक कि कुछ स्वयंसेवकों को अपनी जान गंवानी पड़ी, परिवारों को प्रताड़ित किया गया, लेकिन उनके देशभक्ती और मेहनत को तोड़ा नहीं जा सका, और यह एक व्यवस्थित तरीके से लिखा गया है, लेखकों द्वारा।
मैं आपको न केवल इस पुस्तक को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहता हूं, बल्कि श्री रतन शारदा द्वारा लिखित और विभिन्न प्लेटफार्मों पर उपलब्ध कुछ अन्य किताबो को भी पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहता हूं। पुस्तकों के शीर्षक इस प्रकार हैं:
1 RSS: Evolution From an Organization To a Movement (आरएसएस : एक संगठन से एक आंदोलन तक का विकास )
2. आरएसएस 360
3. स्वराज और संघ
4. सुरुचि प्रकाशन द्वारा रज्जू भैया की जीवनी
विभिन्न भाषाओं में पुस्तकें भी उपलब्ध हैं। यह 140 देशों में उपस्थिति वाले एक संगठन के बारे में जानने का समय है जो समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए सामाजिक, आर्थिक और आध्यात्मिक रूप से उत्थान के लिए निस्वार्थ भाव से काम करता है, साथ ही व्यक्तिगत जीवन में विकसित होने के लिए एक चरित्र विकसित करने और राष्ट्र को शक्तिशाली बनाने के लिए राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण करता है। ऐसा राष्ट्र जो सभी मोर्चों पर मजबूत हो और वह दुनिया को मार्गदर्शन कर सके जिससे दुनिया मे शांति और आनंद फैल सके।
विनाशकारी आलोचना में शामिल होने से पहले और कोई राय बनाने से पहले संगठन के बारे मे अच्छी तरह से पढ़ना और समझना बेहतर है। “गुलामी मानसिकता” को बनाए रखने और आपको आत्म-विनाश के मार्ग पर ले जाने के लिए निहित स्वार्थों द्वारा आपके दिमाग में गढे गए संदेहों को दूर करने में ये पुस्तकें आपकी सहायता करेंगी। युवाओ के लिए ये किताबें विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं ताकि वे अपनी समझ विकसित कर सकें और जीवन के आंतरिक आयामों में स्पष्टता के साथ जीवन में आगे बढ़ सकें, जिसे आरएसएस प्रत्येक व्यक्ति में विकसित करता है।
इस तथ्यपूर्ण और महत्वपूर्ण विषयो पर लिखी गई पुस्तक के लिए लेखकों को बहुत-बहुत धन्यवाद, और मुझे आशा है कि भविष्य में समाज और देश की बेहतरी के लिए और भी किताबे प्रकाशित होगी।
(लेखक विविध विषयों पर समसामयिक लेख लिखते हैं व स्तंभकार हैं)
पंकज जगन्नाथ जयस्वाल
7875212161