उज्जैन। महाकाल, कालिदास और विक्रमादित्य की नगरी उज्जैन में महाशिवरात्रि (1 मार्च) पर 13 लाख दीप एक साथ प्रज्वलित करने का विश्व रिकार्ड बनाने की तैयारी जोरों पर है। सारे दीये शाम 7 से 7.15 बजे के बीच जलाए जाएंगे। दीयों में तेल भरने, बाती लगाने के लिए पंजीबद्ध 17,593 स्वयंसेवकों को 6 घंटे पहले दोपहर 12 बजे कलेक्टर ने घाट पर बुलवाया है। कौन, किस ब्लाक में दीप प्रज्जवलित करेगा तय सुनिश्चित कर लिया गया है। नगर निगम आयु्क्त अंशुल गुप्ता का कहना है कि यह विश्व का सबसे बड़ा द्यजीरो वेस्टद्य आयोजन होगा। आयोजन का नाम शिव ज्योति अर्पणम् होगा। 13 लाख दीये घाटों पर वहीं पूरे शहर को मिलाकर 21 लाख दीये प्रज्वलित किए जाएंगे।
केवल पांच मिनट तक एकसाथ जितने दीए जले, उनकी गिनती होगी।
गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड के लिए सबसे महत्वपूर्ण काम है दीयों का प्रज्ज्वलन। एक साथ दीए जले तो ही हम अयोध्या के रिकॉर्ड को तोड़कर नया रिकॉर्ड कायम कर पाएंगे.
गिनीज बुक के 3 ड्रोन कैमरे व 20 वीडियो कैमरे पांच मिनट में शिप्रा तट पर लगाए गए दीपकों के फोटो खींचेंगे। इस अवधि में जितने दीपक जलते पाए जाएंगे, उन्हें ही रिकॉर्ड में शामिल किया जाएगा। यानी पूरे 13 लाख दीपक इतनी तेजी से जलाने होंगे कि पहला दीपक जलाने के बाद आखिरी दीपक जलाने के बीच इतना ज्यादा समय न हो की पहला बुझ जाए।
तैयारियों के क्रम में रविवार को दत्त अखाड़ा घाट, सुनहरी घाट पर लगभग 5 लाख दीये ब्लाक वाइज जमा दिए गए। एक ब्लाक में 225 दीये जमाए गए हैं। सोमवार को शेष 8 लाख दीये रामघाट, नृसिंह घाट, गुरुनानक घाट पर ब्लाकवाइज जमाए जाएंगे। कहा गया है कि गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड की टीम शाम 7 बजे हूटर बजाकर पूरे कार्यक्रम को ड्रोन कैमरे से कवर करेगी। 15 मिनट की अवधि में कितने दीप जले इसकी घोषणा इसी शाम की जाएगी। विश्व रिकार्ड बनने का सर्टीफिकेट भी प्रदान किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि अभी एक स्थान पर सर्वाधिक दीप प्रज्ज्वलन का रिकार्ड अयोध्या नगरी के नाम है। वहां 3 नवंबर 2021 को 9 लाख 41551 दीप प्रज्ज्वलित हुए थे। उज्जैन में 13 लाख दीप एक साथ जले तो यह रिकार्ड टूट जाएगा।
नगर निगम आयुक्त और स्मार्ट सिटी कंपनी के कार्यकारी निदेशक अंशुल गुप्ता ने कहा कि है कि शिव ज्योति अर्पणम नाम से कार्यक्रम की शुरुआत शहर की उत्कृष्टता, प्रतिभा और एकजुट भागीदारी को चि-ति करने के लिए की जा रही है। शिव ज्योति अर्पणम महोत्सव का उद्देश्य पर्यटन की दृष्टि से उज्जैन को विश्व मंच पर स्थापित करना और उज्जैन की ब्रांडिंग करना है ताकि प्रगति और विशिष्टता को सक्षम करने के लिए अपनी सामूहिक भावना को प्रतिष्ठित किया जा सके। विश्व के सबसे बड़े जीरो वेस्ट कार्यक्रम की तर्ज पर शिव ज्योति अर्पणम महोत्सव होगा।
दीपोत्सव में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान सहित कई नेता और प्रबुद्धजन शामिल होंगे। इसके लिए पूरे शहर को दूल्हन की तरह सजाया जा रहा है। प्रशासन का दावा है कि पूरे शहर में इस दिन 21 लाख दीप जलेंगे। सभी मंदिरों, सार्वजनिक स्थलों और शासकीय परिसरों में भी दीप जलाए जाएंगे। जनप्रतिनिधियों ने शहर के सभी नागरिकों से अपने-अपने घर और प्रतिष्ठान पर पांच-पांच दीप जलाने का आह्वान किया है। हजारों लोगों ने इसके लिए संकल्प पत्र भी भरा है। स्वयंसेवकों का पंजीयन क्यूआर कोड ऐप से किया गया है। सभी को विशेष परिचय पत्र दिए जा रहे हैं।
महाकाल मंदिर 1 लाख 51 हजार, मगलनाथ मंदिर 11 हजार, कालभैरव मंदिर एवं घाट पर 10 हजार, गढकालिका मंदिर 1100, सिद्धवत मंदिर एवं घाट पर 6000, हरसिद्धि मंदिर पर 5 हजार, टावर चौक पर 1 लाख, अन्य सार्वजनिक स्थलों पर 2 लाख दीप प्रज्जवलित होने का दावा प्रशासन ने किया है। कहा है कि शहर में 1 लाख 4 हजार घर है। अगर आधी इनमें से 50 हजार घरों पर 5-5 दीये भी जलाए गए तो ढाई लाख दीये जलेंगे।
कालेजों से 2913, निजी स्कूलों से 1210, सरकारी स्कूलों से 3090, राष्ट्रीय सेवा योजना से 1023, खेल और युवा कल्याण से 552, तीर्थ पुरोहितों, पंडितों और अखाड़ों से 513, क्षत्रिय मराठा समुदाय से 56, कायस्थ समुदाय से 285, कायस्थ समुदाय से 30 शामिल हैं। राठौर समुदाय से 95, गुजराती समुदाय से 120, सिंधी समुदाय से 100, अग्रवाल समुदाय से 173, सामाजिक संगठनों/समूहों/एनजीओ/सामाजिक कल्याण समूहों से 1027, कोचिंग संस्थानों से 1300, व्यावसायिक संगठनों से 111, राजनीतिक से 900 से पार्टियों, और पंचायत से 4000 एवं ग्रामीण क्षेत्रों के स्वयंसेवक द्वारा पंजीयन कराया है।
अगर दीये में 20 मिलीलीटर तेल भरते हैं तो 13 लाख दीये जलाने में करीब 25 हजार लीटर सोयाबीन का तेल जलेगा।
सवाल यह है इतनी बड़ी संख्या में दीये का इस्तेमाल क्या होगा। और यदि दीप में तेल बचा तो इसका क्या उपयोग होगा। जवाब नगर निगम ने दिया है कि दीपोत्सव के बाद सभी दीये एकत्र कर दुनिया का सबसे बड़ा दीया बनाया जाएगा। तेल का उपयोग गोशाला के उपयोगाार्थ खाद्य पदार्थ बनाने में किया जाएगा। 14000 खाली तेल की बोतलों का उपयोग उद्यान में कुर्सियां, बेंच, बर्तन आदि बनाए जाएंगे। इसलिए ये जीरो वेस्ट आयोजन होगा।
कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा है कि रामघाट, दत्त अखाड़ा घाट, नृसिंह घाट, सुनहरी घाट आदि स्थानों पर रात 8 बजे के बाद ही श्रद्धालु दीपोत्सव का अवलोकन कर सकेंगे। इसलिए अपील है कि श्रद्धालु 8 बजे के बाद ही घाटों की ओर पहुंचे, जिससे उन्हें कोई असुविधा न हो। क्योंकि इसके पहले प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। केवल पंजीयन कराए स्वयंसेवकों और व्यवस्था देख रहे अधिकारी एवं कर्मचारियों को ही प्रवेश दिया जाएगा।
शिव ज्योति अर्पणम् महोत्सव के कारण महाशिवरात्रि का पर्व स्नान नर्मदा-शिप्रा के संगम जल में श्रद्धालु केवल भूखीमाता मंदिर घाट और कर्कराज घाट पर ही कर पाएंगे। अन्य घाटों पर स्नान की सुविधा उपलब्ध नहीं होगी।
नृसिंह घाट के समीप स्थित श्री शिप्रेश्वर महादेव मंदिर घाट पर महाशिवरात्रि पर वीर हनुमान जनकल्याण सेवा संस्थान द्वारा दीपमालिका सजाई जाएगी। मंदिर के पुजारी एवं तीर्थपुरोहित पं.जस्सू गुरु महाराज व पं.नीलेश गुरु ने बताया मंगलवार को गोधूलि वेला में भगवान शिप्रेश्वर महादेव का अभिषेक पूजन कर दीपमालिका सजाई जाएगी। महाआरती के उपरांत भक्तों को खिचड़ी प्रसादी का वितरण होगा।
पेट्रोल पंप एसोसिएशन द्वारा टावर चौक पर महाकाल मंदिर व चौरासी महादेव की रंगोली सजाई जाएगी। एलईडी स्क्रीन पर महाशिवरात्रि उत्सव का लाइव प्रसारण होगा। रांगोली व पुष्प सज्जा के साथ आकर्षक विद्युत रोशनी की भी की जाएगी।