रूट्स टू हिन्दी यू एस ए द्वारा आयोजित काव्यांजलि की तीसरी गोष्ठी सफलतापूर्वक 12 मार्च 2022 को सम्पन्न हुई। यह गोष्ठी हास्य और होली के रंगो पर आधारित थी।
“आपकी पहचान बनाती रूट्स टू हिन्दी
भाषा से परिचय करवाती रूट्स टू हिन्दी
कहते हैं माता – पिता और बच्चें सारे
लगती हमको प्यारी रूट्स टू हिन्दी।”
इन सुंदर सी पंक्तियों के साथ रचना श्रीवास्तव जी ने गोष्ठी से जुड़ रहे श्रोताओं को रूट्स टू हिन्दी से परिचय करवाया। उसके पश्चात दो नन्हे मुन्ने बच्चों को सरस्वती वंदना के लिए मंच पर आमंत्रित किया। तब शिकागो की राध्या और केशवी मिश्रा ने “सुर की देवी सरस्वती मांँ” गाकर कार्यक्रम की शुरुआत की। दोनों बच्चों ने इतना मधुर गया कि सभी मंत्रमुग्ध हो गये।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए शुभ्रा ओझा जी ने भारत से नंद सारस्वत जी को काव्य पाठ के लिए आमंत्रित किया।
नंद सारस्वत “स्वदेशी” जी ने होली की गजल “गिले शिकवे मिटा लो होली में” में गाकर सभी के साथ खूब हंँसी – ठिठोली की।
इसके बाद गोष्ठी को आगे बढ़ाते हुए रचना जी ने शिकागो की प्रीति मिश्रा जी को काव्य पाठ के लिए बुलाया।
प्रीति मिश्रा जी ने “बरसाने की होली” नामक कविता का पाठ करके सभी को राधा – कृष्ण के प्रेम-रंग में रंग दिया।
इतनी सुंदर कविता सुनने के बाद अगली बारी थी जर्मनी की डॉ शिप्रा शिल्पी जी की, जिन्हे मंच पर शुभ्रा जी ने आमंत्रित किया।
डॉ शिप्रा शिल्पी जी ने होली गीत “होली का है पर्व आया” गाकर सभी कविगण और श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। साथ ही छोटे – छोटे छंद सुनाकर सभी श्रोताओं का दिल जीत लिया।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए रचना जी ने सैन फ्रांसिस्को से नेहा जैन जी को काव्य पाठ के लिए आमंत्रित किया।
नेहा जैन जी ने होली पर दो प्यारी – प्यारी कविताएं सुनाई। एक कविता होली पर थी जो सभी को अच्छी लगी और दूसरी कविता “भाभी संग खेली गई होली” लोगों ने खूब सराहा।
रचना जी ने गोष्ठी की मुख्य अतिथि आदरणीय रेखा मैत्र जी को ससम्मान मंच पर आमंत्रित किया।
कैलिफोर्निया से रेखा मैत्र जी ने रूट्स टू हिन्दी परिवार को आशीर्वाद देते हुए प्रकृति की होली और टेसू फूल पर अपनी दो कविताएं सुनाई। सभी कविगणों ने रेखा जी को बहुत ध्यानपूर्वक सुना।
शुभ्रा जी ने गोष्ठी को थोड़ा और आगे ले जाते हुए रचना श्रीवास्तव जी को काव्य पाठ के लिए मंच पर आमंत्रित किया।
कैलिफोर्निया से ही रचना श्रीवास्तव जी ने गोष्ठी में होली पर एक फोक गीत “इस होली में रंगवा अजब लागे” सुनाया। इतना सुंदर पारंपरिक गीत सुनकर सभी श्रोतागण खुश हो उठे।
गोष्ठी के अंत में शिकागो से शुभ्रा ओझा जी ने अपनी कविता “बचपन वाला रंग” सुनाकर सभी की वाहवाही बटोरी।काव्यांजलि की तीसरी गोष्ठी का शानदार संचालन और धन्यवाद ज्ञापन रचना श्रीवास्तव जी के द्वारा संपन्न हुआ।
होली के अनेक रंगो में लिपटी हुई यह रंगारंग गोष्ठी सफलता पूर्वक सम्पन्न हुई।
रूट्स टू हिन्दी, यू एस ए।