मीडिया विमर्श तमिल मीडिया विशेषांक का विमोचन पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य गुरमीत सिंह जी ने किया। पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय में आयोजित लोकार्पण कार्यक्रम के अवसर पर अपने वक्तव्य में कुलपति प्रो. गुरमीत सिंह ने डॉ सी. जय शंकर बाबु को इस विशेषांक के संपादन के लिए बधाई दी। कुलपति ने अपने वक्तव्य में कहा कि इस विशेषांक में तमिल मीडिया और संस्कृति के कई आयामों की जानकारी मिल जाती है। विशेषांक में प्रकाशित एस. वरदराजन के एक आलेख का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि तमिल और हिंदी भाषाओं में एकता के कई सूत्र हैं। तमिल और हिंदी साहित्य में भी कई एकता के सूत्र मिल जाते हैं। इस अवसर पर उन्होंने यह भी कहा कि शास्त्रीय संगीत का तमिल प्रदेश में जो विकास हुआ है, उसकी तुलना हिंदुस्तानी संगीत से भी की जा सकती है। ऐसे अध्ययनों से भारतीय संस्कृति में एकात्मकता का बोध हो जाता है।
इस विशेषांक के माध्यम से हिंदी पाठकों को तमिल मीडिया के विभिन्न आयामों के बारे में जानने, संस्कृतिक एकात्मकता के अंतःसूत्र को समझने का अवसर मिलता है। प्रो. गुरमीत सिंह ने इस अवसर पर यह भी बताया कि विश्वविद्यालय में तमिल भाषा एवं साहित्य केंद्र की स्थापना के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग लिखा जा चुका है। इस केंद्र के माध्यम से तमिल के समृद्ध साहित्य को हिंदी में अनुवाद के माध्यम से भारतीय साहित्य की समृदिध सुनिश्चित की जा सकती है।
‘मीडिया विमर्श’ पत्रिका के तमिल मीडिया विशेषांक का संपादन पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. सी. जय शंकर बाबु ने किया है। इस विशेषांक में तमिल पत्रकारिता का इतिहास, तमिल सिनेमा, टीवी, रेडियो आदि तमिल मीडिया के विभिन्न आयामों पर केंद्रित आलेखों का प्रकाशन हुआ है। इस विशेषांक में कुल 22 आलेखों में से 19 हिंदी में और 3 अंग्रेज़ी में हैं। आलेख तमिलनाडु और पुदुच्चेरी के कई विद्वानों ने लिखे हैं ।
इस विशेषांक के अतिथि संपादक डॉ. सी. जय शंकर बाबु ने इस अवसर पर कहा कि तमिल पत्रकारिता और मीडिया की व्यापक दुनिया है। इससे हिंदी पाठकों को अवगत होने का मौका इस विशेषांक से मिल जाता है । इस अंक में तमिल पत्रकारिता के उद्भव और विकास के आकलन के अंतर्गत दुनिया के विभिन्न देशों में तमिल पत्रकारिता के ऐतिहासिक उद्भव और विकास का भी उल्लेख है, जिनमें श्रीलंका, म्यान्मार, मलेशिया, सिंगापुर आदि देशों की तमिल पत्रकारिता भी शामिल है। इस विशेषांक में भारत के आज़ादी आंदोलन में तमिल प्रदेश के स्वाधीनता सेनानियों ने पत्रकारिता के माध्यम से जो विशिष्ट भूमिका निभायी है, उसके उल्लेख के अंतर्गत महाकवि भारती और अन्य राष्ट्र सेवकों की पत्रकारिता का उल्लेख है। अंक में साक्षाकारों के अंतर्गत संगीत निर्देशक रमणी भारव्दवाज और प्रतिष्ठि कलैमगल पत्रिका के संपादक पीटीवी राजन का साक्षात्कार शामिल हैं। भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ‘मीडिया विमर्श’ पत्रिका के मानद संपादक हैं।
ज्ञातव्य है कि भारतीय भाषा मीडिया विशेषांकों के संपादन के क्रम में डॉ. सी. जय शंकर बाबु के संपादन में इससे पूर्व मीडिया विमर्श तेलुगु, मलयालम विशेषांकों का भी प्रकाशन हुआ है। तेलुगु मीडिया विशेषांक का लोकार्षण उस समय पुदुच्चेरी की उप राज्यपाल किरण बेदी ने किया था। डॉ. जय शंकर बाबु भारत सरकार के गृह मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की एक बृहद् परियोजना पूरी की है। फिलहाल शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रदत्त स्पार्क परियोजना के कार्यान्वयन के अलावा यूजीसी-सीईसी के मूक पाठ्यक्रम परियोजनाओं के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक पाठ्य-सामग्री के विकास कार्य में भी सक्रिय हैं।
डॉ. बाबु हिंदी माध्यम से तकनीकी पाठ्यक्रमों के शिक्षण में सग्रिय योगदान दे रहे हैं। उनकी चार पाठ्य-पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं जिनमें तीन तकनीकी विषयों से संबद्ध हैं, जिनमें भाषा प्रौद्योगिकी और नवमाध्यम संबंधी पाठ्य पुस्तकें भी शामिल हैं।
इस अवसर पर पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय में संस्कृति और सांस्कृतिक संबंधों के विशेष अधिकारी प्रो. राजीव जैन, कुलसचिव प्रो. अमरेश सामंत राया, वित्त अधिकारी प्रो. लाजर, दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. रामय्या, विभिन्न विद्यापीठों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, विश्वविद्यालय के शिक्षक और प्रशासनिक अधिकारी, छात्र, शोधार्थी आदि उपस्थित थे।