Sunday, November 24, 2024
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डिजिटल मंच पर हिंदी की धाक

हिंदी पत्रकारिता दिवस के उपलक्ष्य में आईआईएमसी में विशेष व्याख्यान का आयोजन

नई दिल्ली। हिंदी पत्रकारिता दिवस के उपलक्ष्य में भारतीय जन संचार संस्थान में आयोजित विशेष व्याख्यान को संबोधित करते हुए ‘हिन्दुस्तान’ समाचार पत्र के प्रधान संपादक श्री शशि शेखर ने कहा कि डिजिटलाइजेशन ने पत्रकारों और पत्रकारिता को एक नई ताकत दी है। वर्तमान में कंटेंट सेक्टर की अकेली उम्मीद हिंदी भाषा है, जिसमें रोजगार के नए अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी, अपर महानिदेशक श्री आशीष गोयल, डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह एवं हिंदी पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो. आनंद प्रधान भी उपस्थित थे।

श्री शशि शेखर ने कहा कि पत्रकारिता सत्य, तथ्य और कथ्य के साथ चलती है। जितने भी लोग खबरों के व्यवसाय में हैं, उन्हें एक बात नहीं भूलनी चाहिए, कि वे ‘प्रोफेशनल ट्रूथ टेलर’ हैं। हम कहानीकार नहीं, बल्कि कलमकार हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी कंटेट की बढ़ती गुणवत्ता ने उसे डिजिटल माध्यमों पर अलग पहचान दिलाई है।

श्री शेखर ने कहा कि दुनिया जब बदलती है, तो उसके फायदे और नुकसान दोनों होते हैं, लेकिन हमें सकारात्मक रवैया अपनाते हुए अच्छी चीजों को ग्रहण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्रकार अब डिजिटल युग में ग्लोबल रिसोर्स बनते जा रहे हैं। इसलिए मीडिया शिक्षण संस्थान विद्यार्थियों को भी उसी हिसाब से तैयार करें। पत्रकारों को अब विशेषज्ञता की आवश्यकता है।

इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि भारत में हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत पं. युगल किशोर शुक्ल द्वारा 30 मई, 1826 को कोलकाता से प्रकाशित समाचार पत्र ‘उदन्त मार्तण्ड’ से हुई थी। इसलिए 30 मई को पूरे देश में हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि ‘उदन्त मार्तण्ड’ का ध्येय वाक्य था, ‘हिंदुस्तानियों के हित के हेत’ और इस एक वाक्य में भारत की पत्रकारिता का मूल्यबोध स्पष्ट रूप में दिखाई देता है।

प्रो. द्विवेदी ने कहा कि पिछले वर्ष आईआईएमसी ने अपने पुस्तकालय का नाम पं. युगल किशोर शुक्ल के नाम पर रखा। यह हमारे लिए बड़े गर्व का विषय है कि हिंदी पत्रकारिता के प्रवर्तक पं. युगल किशोर शुक्ल के नाम पर यह देश का पहला स्मारक है। उन्होंने कहा कि हिंदी और भारतीय भाषाओं का यह स्वर्णिम युग है। हिंदी सभी को साथ लेकर चलने वाली भाषा है। माताएं और भाषाएं अपने बच्चों से ही सम्मान पाती हैं।

भारतीय जन संचार संस्थान के समस्त विद्यार्थियों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान श्री शशि शेखर ने विद्यार्थियों के प्रश्नों का उत्तर भी दिया एवं उनके साथ सार्थक संवाद किया।

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