दिगंबर जैन महावीर जिनालय बरंबजिला मुख्यालय पर प्रातः हुए मुनि श्री सुदत सागर जी महाराज साहब एवम क्षुलक नेगम सागर ने अपने मंगल प्रवचन में बताया कि अहंकार ही व्यक्ति के सर्वनाश का मूल कारण है। अहंकार ही इंसान के पतन का कारण बनता है। आज संसार में जो भागमभाग, आपाधापी मची है उसका मूल जड़ स्वार्थ, पैसा, अहंकार, ईर्ष्या है। घास की विनम्रता उसे तूफान में भी गिरने नहीं देती, जबकि एक मजबूत पेड़ तूफान आने पर गिर जाता है।
अहंकार का भार आज से ही नहीं निरंतर आदमी युगों युगों से वहन करता आ रहा है। चाहे व्यक्ति किसी भी पद पर हो, सम्राट हो परिवार का मुखिया हो, भिखारी, नेता हो। अहंकार का भार स्त्री, पुरुष, बालक बालिका सभी ढोते आ रहे है। कब तक ढोते रहेंगे। युगों का आना जाना हो गया। अहंकार में कमी न तो कल हुई न आज हुई न आगे होगी। वास्तव में अहंकारी स्वयं को बहुत बड़ा मानता है परंतु बड़ा तो विनम्र, दया, भक्ति भाव, आदर, प्रेम, करुणा, अपनत्व समर्पण से ही बना जा सकता है। आदमी जितना झुकता है उतना ऊंचा उठता है। जो अहंकार में अकड़ जाता है वह उतना ही कमजोर हो जाता है। महाराज श्री ने अन्त में कहा कि आप सभी समझदार है। अपने घर समाज राष्ट्र के प्रति समर्पित रहे। आपको अहंकार नहीं छू पाएगा। आप इनसे अलग अपना अस्तित्व बनाने की कोशिश करेंगे आपका सुख चैैन प्रेम कन्ही खो जायेगा।
महावीर जिनालय कमेटी संरक्षक मंजु गर्ग, अध्यक्ष कमल जैन, मंत्री विकास जैन ने बताया कि जिनालय पर रविवार को महाराज श्री के सानिध्य में प्रातः 7 बजे श्रीजी अभिषेक शांतिधारा नित्य नियम पूजा तत्पश्चात् 8.30 बजे प्रवचन 9.15 पर आहारचर्या सम्पन्न की जाएगी। सायंकाल 7 बजे गुरुभक्ति आरती होगी।