पवन राठौड़ को रंगोली बनाना पसंद है। वह देवी-देवता, फूल, किसी के नाम के अक्षर का रंगीन पैटर्न बनाते हुए किसी भी चीज की रंगोली बना सकते हैं। वह कहते हैं, ‘यह मेरा शौक है।’
जब राठौड़ 18 साल के थे, तब तक उन्हें घरों, क्लबों और होटलों में रंगोली बनाने के लिए आमंत्रित किया जा रहा था। इसके बाद यह उनकी आजीविका का पेशा हो गया।
इसके बाद फिर टिकटॉक आया। वर्ष 2018 में शॉर्ट-वीडियो ऐप पर अपनी पहली पोस्ट के साथ शुरुआत करते हुए, राठौड़ को बेहद कम समय में 12 लाख फॉलोअर्स मिले। जून 2020 में जब भारत ने टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाया तब तक राठौड़ इस तरह के शॉर्ट वीडियो से अच्छी तरह वाकिफ हो चुके थे। इसके बाद वह जोश का इस्तेमाल करने लगे जिस पर उनके करीब 2 करोड़ फॉलोअर हैं। अधिक फॉलोअर के साथ उनका काम भी बढ़ने लगा। वर्ष 2020 में एक महीने में करीब 20 से 30 ऑर्डर के मुकाबले अब उन्हें 80 से 90 ऑर्डर मिलते हैं।
राठौड़ का अनुभव शॉर्ट वीडियो में हो रहे तीन बदलावों को दर्शाता है। डेलीहंट और जोश के मालिक वर्से इनोवेशन के सह-संस्थापक उमंग बेदी कहते हैं, ‘रचनात्मक कारोबार की विभिन्न धाराएं अब उभर रही हैं। राठौड़ की तरह ही मेहंदी कलाकारों को भी काम मिल रहा है। लोकप्रिय संगीतकार या प्रभावशाली लोग अपना खुद का ब्रांड बना रहे हैं।
भारत में टिकटॉक के बंद होने के तुरंत बाद, जोश को अगस्त 2020 में लॉन्च किया गया था। इसके 15.3 करोड़ मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता हैं और यह अपनी पहुंच को भुनाने में लगी हुई है। बेदी ने कहा, ‘दो साल पहले, क्यूरेटेड प्रोग्रामिंग में शॉर्ट-वीडियो फीड का बोलबाला था। अब उपयोगकर्ताओं द्वारा बनाई गई सामग्री लोकप्रिय हो रही है और उससे लोग जुड़ रहे हैं।’
विश्लेषक इस बात की ओर इशारा करते हैं कि दुनिया भर में एक अरब उपयोगकर्ताओं के साथ टिकटॉक ने 2021 में 4 अरब डॉलर की विज्ञापन राजस्व कमाई की। उस वक्त से ही बड़े पैमाने पर खेल हो रहा है। मेटा (पहले फेसबुक) भारत के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, अजित मोहन कहते हैं, ‘भारत पहले वीडियो का बड़ा बाजार बना और अब यह शॉर्ट वीडियो का बाजार बन रहा है।’ उनका कहना है कि 30 करोड़ से अधिक मासिक सक्रिय उपयोगकर्ताओं के साथ, मेटा का शॉर्ट वीडियो ऐप, रील 9,236 करोड़ रुपये की कमाई के दायरे वाले मेटा इंडिया के लिए वृद्धि के बड़े कारकों में से एक है। जैसे-जैसे इसका इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है और समय बीत रहा है, शॉर्ट वीडियो इंटरनेट का यूट्यूब बनता जा रहा है। रील, जोश, टका टक या बाकी ऐप भी अब वही अनुभव करने लगे हैं जैसा कि यूट्यूब ने अनुभव किया है जो वर्ष 2008 में अस्तित्व में आया। वर्षों से, गूगल के यूट्यूब के जरिये लोगों ने पहली बार इंटरनेट का अनुभव लिया है। कॉमस्कोर के डेटा के अनुसार, हर महीने ऑनलाइन रहने वाले 48.5 करोड़ भारतीयों में से, 45 करोड़ से अधिक लोग यूट्यूब देखते हैं। भारतीयों की एक पूरी पीढ़ी का मानना है कि सर्च इंजन के माध्यम से ऑनलाइन इस्तेमाल की जाने वाली सभी चीजें वीडियो पर है।
यूट्यूब तक पहुंच बनाना आसान है और इस लिहाज से शॉर्ट वीडियो ऐप भी तीन से चार वर्षों में उन आंकड़ों को छू लेंगे। शेयरचैट के पास मोज का स्वामित्व है जिसने इस साल फरवरी में एक तीसरा शॉर्ट-वीडियो ऐप, एमएक्स प्लेयर के टका टक का अधिग्रहण किया है।
शेयरचैट और मोज के मुख्य वाणिज्यिक अधिकारी अजीत वर्गीज बताते हैं, ‘अगर आप शेयरचैट, मोज और टका टक को एक साथ मिला दें तब हमारे पास 30 करोड़ से अधिक मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता हैं। यह यूट्यूब का दो-तिहाई हिस्सा है और उम्मीद है कि यह पांच साल में दोगुना हो जाएगा।’
मेटा इन दिनों फेसबुक, इंस्टाग्राम और रील्स पर एक सर्च इंजन तैयार करने के लिए काम कर रहा है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर अपने मंच पर सबसे दिलचस्प सामग्री, खासतौर पर शॉर्ट वीडियो को चलाने के लिए इस्तेमाल करेगा भले ही इसे उपयोगकर्ता के किसी मित्र या उनके द्वारा फॉलो किए जाने वाले किसी व्यक्ति ने पोस्ट न किया हो।
साभार-https://hindi.business-standard.com/ से