Sunday, November 24, 2024
spot_img
Homeभारत गौरवझालावाड़ का गढ़ः स्थापत्य शिल्प, रंगमहल, शीश महल सब कुछ जादुई सम्मोहन

झालावाड़ का गढ़ः स्थापत्य शिल्प, रंगमहल, शीश महल सब कुछ जादुई सम्मोहन

झालावाड़ शहर के मध्य स्थित प्राचीन गढ़ पैलेस विभिन्न प्रकार के शिल्प समन्वय का चित्ताकर्षक नमूना है। यह लुभावनी संरचना वर्गाकार मजबूत परकोटे से घिरा है। तिमंजिले पैलेस के दोनों कोनों पर अर्द्ध वृताकार बुर्ज तथा वृताकार कक्ष मजबूती से बने हैं। महल के कोनों पर कलात्मक अष्ट-कोणीय छतरियाँ इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाती हैं। अग्रभाग से कलात्मक जाली – झरोखों का स्थापत्य शिल्प देखते ही बनता है।

इसकी प्रत्येक दीवार की लम्बाई 735 फीट है। परकोटे के पीछे दोहरी दीवार के शीर्ष पर चौड़ा पथ है, जिस पर घुड़सवार आसानी से पूरे परकोटे पर घूमकर चौकसी करते थे। परकोटे का मुख्य द्वार पूर्वाभिमुखी है, इसे नक्कारखाना भी कहा जाता है। इस द्वार के दोनों ओर दुमंजिले प्रहरी कक्ष बन हैं। इस विशाल द्वार का शिल्प एवं स्थापत्य राजपूती कला का नमूना है जो बेलबूंटों के अलंकरण से सुसज्जित है। परकोटे पर सुन्दर कंगूरे हैं। अन्य दुर्गों के समान यहाँ तोप रखने के स्थान, शत्रु पर गरम तेल डालने की नालियाँ व बन्दूकों को चलाने के सुराख बनाए हैं।

गढ़ पैलेस में भव्य रंग शाला, जनानी ड्योढ़ी, दरीखाना, दरबार हॉल, अतिथि कक्ष, शयनकक्ष, तहखाना, भण्डार गृह जैसे कई विशाल कक्ष हैं। पैलेस के रंग-महल व शीशमहल में स्थापत्य की दृष्टि से अति सुन्दर जालीदार गवाक्ष, अष्ठदल कमलाकृतियों में उकंरे पुष्प, चतुष्कोण, अष्टकोण, वर्गाकृतियों एवं विशाल आयताकार कक्ष, बड़े हॉल व जीने बने हैं।

मुख्य महल के कक्षों में अति सुन्दर व स्वर्ण रंगों में चित्रित नयनाभिराम चित्रकला है। रंगमहल की चित्रकला में देवता, अवतार, रास-लीला, शासक, राज परिषद, प्रकृति तथा विभिन्न कलाचित्रों का वैभव मनमोहक है।

शीश महल पर्यटकों के लिए सर्वाधिक आकर्षण का केंद्र है। एक लंबा हाल तकरीबन 70 फुट लंबा और 20 फुट चौड़ा रंग बिरंगे कांच की कल्पनाओं का अकल्पनीय संसार प्रस्तुत करता है। हाल के दोनों छोर पर बने कक्षों में एक इंच जगह भी रिक्त नहीं है जो कांच की अद्भुत और बेमिसाल कारीगरी से छूट गई हो। कल्पना के अनूठे प्रयोगों से दीवारें, स्तंभ, कोने और छत अटे हुए हैं। बेल बूटे, पुष्प, धार्मिक और रियासती चित्रण के साथ – साथ विभिन्न कलाकृतियां इतनी मोहक हैं की पर्यटक इनके सम्मोहन में खो जाता है। यहां का शीश महल किसी भी प्रकार आमेर महल के शीश महल से कम नहीं है।

मुझे चालीस साल से अधिक हो गए हाड़ोती पर लिखते हुए पर यह नायब और जादुई शीश महल मेरी दृष्टि से भी न जाने कैसे ओझल रहा और पिछले रविवार को जब देखा तो इसकी रंगत, खूबसूरती देख कर अचंभित रह गया। कई महलों के शीश महल देखने का मुझे अवसर मिला। निसंकोच कह सकता हूं हाड़ोती का यह शीश महल नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा। एक पर्यटक के नाते कह सकता हूं जब भी समय मिले और आप पर्यटन के शौकीन हैं तो इसे जरूर देखें। रंगशाला और शीश महल दोनों ही संग्रहालय के हिस्से बना दिए गए हैं।

कभी इस पैलेस में सरकारी कार्यालय संचालित होते थे। मिनी सचिवालय बनने के बाद सभी कार्यालय वहां शिफ्ट हो गए और पुरातत्व महत्व का यह विशाल गढ़ महल पुरातत्व और संग्रहालय विभाग के सुपुर्द कर दिया गया। आज पैलेस में राजकीय संग्रहालय संचालित है, जिसमें पाषाण प्रतिमाएँ, शिलालेख, रंग चित्र, हस्तलिखित ग्रंथ, हथियार, सिक्के तथा कला-उद्योग की सामग्री दिग्दशित हैं।

इस भव्य गढ़ पैलेस का निर्माण झालावाड़ के प्रथम शासक मदन सिंह के समय 1840 ई. में प्रारम्भ हुआ, जो उसके पुत्र पृथ्वी सिंह के काल में 1854 ई. में पूर्ण किया गया था। बाद में राजा भवानी सिंह ने महल के पिछले भाग में ओपेरा शैली में नाट्य शाला का निर्माण कराया, जिसे उन्हीं के नाम पर भवानी नाट्यशाला कहा जाता है।
——

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार