गोआ। गोवा में 53वें इफ्फी में “75 क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरो” कार्यक्रम के हिस्से के रूप में शुरू किए गए 53 घंटे के चैलेंज के विजेता की घोषणा आज की गई। 1,000 से ज्यादा आवेदकों में से चुने गए 75 क्रिएटिव माइंड्स को 15-15 की 5 टीमों में बांटा गया था, जिनमें से हरेक ने अपने ‘आइडिया ऑफ इंडिया@100’ पर केवल 53 घंटों में एक शॉर्ट फिल्म बनाई। 53वें इफ्फी के इस खंड को शॉर्ट्स टीवी के सहयोग से राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम द्वारा प्रायोजित किया गया।
इन रचनात्मक प्रतिभाओं की सराहना करते हुए शॉर्ट्स टीवी के सीईओ कार्टर पिल्चर ने कहा: “बीते 5 दिनों में जो हुआ वह भारत में पूरे फिल्म उद्योग के लिए अभूतपूर्व है। 4 नवंबर को 75 क्रिएटिव माइंड्स के नामों की घोषणा की गई थी, और पिछले 20 दिनों में उन्होंने मंथन किया, जूम पर जुड़े और एक पूरी फिल्म शूट की।”
पिल्चर ने दर्शकों को बताया कि कैसे इन 5 टीमों ने 2047 में भारत को अलग तरह से देखने की चुनौती की व्याख्या की। “इनमें से एक फिल्म फ्यूचरिस्टिक टेक्नोलॉजी के बारे में है कि कैसे ये टेक्नोलॉजी रिश्तों में दूरी लाती है और रिश्तों के महत्व को कम करती है। दूसरी फिल्म न्यू इंडिया के बारे में है और एक ऐसी महिला के बारे में है जिसके पति का परिवार चाहता है कि वो अपनी सगाई में नाक की अंगूठी पहने, और इसमें एक दिलचस्प और उम्मीद भरा बयान है। तीसरी फिल्म एक दिलचस्प कहानी है जहां सारे माता-पिता सिंगल पेरेंट हैं, और बच्चे को पता चलता है कि ऐसा मुमकिन है या तो मां मिले या पिता। एक अन्य फिल्म ऐसी दुनिया के बारे में एक खूबसूरत फिल्म है जहां कागजी मुद्रा गायब हो गई है।”
पिल्चर ने बताया कि ये फिल्में आश्चर्यजनक ढंग से बहुत अच्छी बनी हैं। “इनमें से हर फिल्म में कुछ ऐसा था जो बिल्कुल अद्भुत था। इनमें से कई निर्देशक देश के ऐसे हिस्सों से आते हैं जिन इलाकों को हाइलाइट नहीं किया जाता है।
पिल्चर का कहना है कि वे ये फिल्में देखने से पहले घबराए हुए थे। उन्होंने कहा, “मैं बड़ा डरा हुआ था कि पांच फिल्मों पर मेरा नाम था और मुझे नहीं पता था कि क्या प्रतिक्रिया मिलने वाली है। वे सारी फिल्में नापसंद भी की जा सकती थीं। फिर आज सुबह, जब उन्होंने फिल्म देखी तो इन 5 अद्भुत फिल्मों को देखकर ज्यूरी के होश उड़ गए, क्योंकि हर फिल्म में कुछ न कुछ अनोखा था।
विजेता फिल्म ‘डियर डायरी’ के बारे में बात करते हुए पिल्चर ने कहा कि ये एक ऐसी लड़की की कहानी है जिसके साथ दुर्व्यवहार किया गया था और 2047 में, उसकी बहन घर आती है और उसी जगह वापस जाती है और उसकी बहन को पता चलता है कि भारत अब महिलाओं के लिए एक बेहतर जगह बन गया है। उन्होंने कहा, “इस फिल्म की सुंदरता ये है कि ये बहुत गहरी सच्चाइयां बता सकती है और लोगों के दिमाग में पहुंच सकती है और ऐसे विचारों को उत्प्रेरित कर सकती है, और हमें दूर करने के बजाय साथ ला सकती है।”
पिल्चर ने बताया कि जिस तरह से इन पांच टीमों ने पैसा खर्च करने का फैसला किया वो भी अलग था। क्योंकि एक टीम ने स्थानीय प्रतिभा पर खर्च किया, एक ने उपकरण किराए पर लिए, और एक ने तकनीक पर खर्च किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि जैसे-जैसे 53 घंटे आगे बढ़े, दबाव बढ़ता गया। टीम के साथियों के बीच रिश्ते मजबूत होते गए। उन सभी ने अपने खुद के कौशल के साथ-साथ अपनी टीम के साथियों के बारे में भी सीखा। उन्होंने पिछले 53 घंटों में प्रतिभागियों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बात की। ये चुनौतियां थीं बगैर नींद की रातें, दिन के सीमित उजाले में शूटिंग, एक दूसरे के साथ एक आरामदायक कामकाजी संबंध विकसित करना और प्रत्येक को $1,000 का बजट।
पिल्चर ने 53 घंटे की चुनौती के आइडिया का श्रेय केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर को दिया। उन्होंने कहा, “ये पूरी तरह से उनके दिमाग की उपज थी, और इस चुनौती में जिस प्रकार के नतीजे सामने आए हैं, उसके बाद तो ये आइडिया शानदार साबित हुआ है।”
पिल्चर ने कहा कि ’75 क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरो’ एक शानदार कार्यक्रम है। उन्होंने कहा, “हमने भारत और दुनिया को एक साथ लाने के लिए पांच दिनों में इतना ज्यादा काम किया है, जो शायद पहले कभी नहीं किया गया था।”
75 क्रिएटिव माइंड्स के भविष्य के बारे में उन्होंने कहा कि सभी 5 फिल्में शॉर्ट्स टीवी पर रविवार, 27 नवंबर 2022 की रात 9 बजे प्रसारित की जाएंगी। उन्होंने ये भी बताया कि कैसे शॉर्ट्स टीवी ने एकेडमी के साथ भारत में शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल प्रविष्टियों को मान्यता देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें ये 5 फिल्में शामिल हैं जो ऑस्कर नामांकन के लिए पात्र होंगी। ये सभी 75 क्रिएटिव माइंड्स 35 से कम उम्र के थे, और इनमें से ज्यादातर पहले से ऐसे फिल्मकार थे जिन्हें अभी तक बड़ा ब्रेक नहीं मिला था। उन्होंने बताया कि शॉर्ट्स टीवी का उद्देश्य 75 क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरो कार्यक्रम जैसा ही है, यानी प्रतिभा को एक अवसर, एक मंच और फिल्म उद्योग में एक मदद देना।