सदानीरा चंबल नदी के किनारे करीब चार सौ साल पहले बसा एतिहासिक कोटा नगर का स्वरूप पूर्ण रूप से बदल गया है और अनेक खूबियों से विश्व स्तरीय पहचान बनाने की और तेजी से अग्रसर हो रहा है। देश की आजादी और राजस्थान निर्माण के बाद उद्योग मंत्री के रूप में स्व.रिखब चंद धारीवाल ने जिस तेजी से यहां उद्योगों का विकास किया कोटा को राजस्थान का कानपुर कहा जाने लगा। समय के साथ -साथ कोटा ने शिक्षा के क्षेत्र में कोटा ने देश भर में कोचिंग सिटी की पहचान बनाई। आज नगरीय मंत्री शांति धारीवाल के प्रयासों से कोटा ने विश्व पर्यटन के क्षेत्र में कदम बढ़ाए हैं और चंबल रिवर फ्रंट को देश का ऐसा पर्यटन स्थल बन रहा है ,जिसे देखने विश्व पर्यटक कोटा आयेंगे। उनके अथक और श्लांघनीय प्रयासों का ही परिणाम है कि आज कोटा का रूप रंग और आभा बदल गई है।निसंदेह वह कोटा का आधुनिक निर्माता बन गए हैं।
देश की प्रमुख चंबल नदी के किनारे स्थित कोटा आज राजस्थान के दक्षिण-पूर्व भाग हाड़ौती का एक महत्वपूर्ण नगर बन गया है। कोटा कभी औद्योगिक नगर एवं राजस्थान का कानपुर जैसे उपनामों से पहचान बनाता था। कोटा आज शैक्षिणिक, व्यवसायिक एवं प्रशासनिक दृष्टि से अपनी विशेषताओं के कारण न केवल राजस्थान वरन देश का प्रमुख नगर बन गया है। यह नगर आज जयपुर, जम्मू, दिल्ली, मुम्बई, बैंगलोर, चैन्नई, कोलकत्ता आदि प्रमुख एवं महत्वपूर्ण शहरों से बड़ी रेल लाईन एवं राष्ट्रीय राजमार्गो का मुख्य शहर है। यह दिल्ली-मुम्बई रेलवे लाईन का प्रमुख जंक्शन है तथा दिल्ली से करीब 470 किलोमीटर एवं मुम्बई 920 किलोमीटर की दूरी पर है। राज्य की राजधानी जयपुर से यह 240 किलोमीटर दूरी पर है जो रेल एवं मार्ग से जुड़ा है। कोटा में नया एयरपोर्ट एवं नियमित विमान सेवा और मुकंदरा राष्ट्रीय अभरारण्य को पर्यटकों के खोलने के प्रयास भी जल्द दिखाई देंगे।
रेलवे, बिजलीघर, जल व्यवस्था, हवाई अड्डा आदि के विकास के साथ 19 वीं शताब्दी के अन्त में कोटा नगर ने आधुनिक युग में प्रवेश किया, जब परकोटे में घिरा कोटा परकोटे से बाहर आया और इसका व्यापक रूप से विस्तार हुआ। उत्तर की और कोटा जंक्शन के समीप भीमगंजमण्डी क्षेत्र विकसित हुआ। आजादी के बाद देश के विभाजन के परिणामस्वरूप पश्चिमी पाकिस्तान से बड़ी संख्या में शरणार्थी कोटा आये। उत्तर में कोटा जंक्शन एवं पूर्व में गुमानपुरा के समीप इन्हें बसाने के लिए नये आवासीय क्षेत्र विकसित किये गये।
चम्बल परियोजना के प्रथम चरण में सन् 1961 में कोटा बैराज एवं गांधी सागर बांध के पूर्ण होने से इस क्षेत्र को नये आर्थिक अवसर उपलब्ध हुए। दक्षिण-पूर्व में कंसुवां ग्राम के समीप एक बड़ा ओद्योगिक क्षेत्र स्थापित हुआ। कोटा का विकास जो कि चम्बल नदी व रेलवे लाईन के मध्य उत्तर-दक्षिण अक्ष पर हो रहा था आद्यौगिक क्षेत्र के विकास के साथ-साथ पूर्व-पश्चिम अक्ष पर होना शुरू हुआ। इसके बाद दक्षिण में झालावाड़ सड़क पर इन्स्ट्रूमंेन्टेशन फेक्ट्री एवं इसकी आवासीय काॅलोनी का विकास हुआ।
वर्ष 1991 से 2001 की अवधी में शहर का विकास प्रमुखतः दक्षिण में झालावाड़ व रावतभाटा रोड़ के मध्य आवासन मण्डल एवं नगर विकास न्यास की भूमि पर हुआ। अनेक आवासीय, व्यवसायिक, संस्थागत योजनाएं विकसित हुई। साथ ही कृषी भूमि पर कई आवासीय काॅलोनीयां विकसित हुई। चम्बल के पश्चिम में थर्मल प्लांट के निर्माण एवं थर्मल आवासीय काॅलोनी बनने से इस क्षेत्र में नई आवासीय काॅलोनीयों के बसने का क्रम प्रारम्भ हुआ, जो आज तेजी से चल रहा है। जंहा आवासन मण्डल एवं नगर विकास न्यास ने यंहा काॅलोनी विकसित की, वंही निजी काॅलोनाईजर भी आगे आये और रिद्धी-सिद्धी नगर जैसे आवासीय परिसर प्रमुख रूप विकसित हुए। आज कोटा को जोड़ने वाले बांरा रोड़, झालावाड़ रोड़, जयपुर रोड़ रावतभाटा रोड़, सभी और तेजी से कोटा का आवासीय, व्यावसायिक एवं शैक्षिक विकास हो रहा है। व्यवसाय एवं वाणिज्यिक क्षेत्र में बिग बाजार एवं बेस्ट प्राईज जैसे माॅल इस शहर की शान बन गये हैं। नदी पर का कुन्हाड़ी क्षेत्र और लैण्डमार्क सिटी कोटा की नई पहचान बन गया है।
ईस्ट-वेस्ट कोरिडोर उच्च राष्ट्रीय मार्ग पर कोटा में चम्बल नदी पर बना देश का पहला सबसे बड़ा हैगिंग ब्रिज, फ्लाई ओवर, अंडर पास , चौराहे, रेलवे ओवरब्रिज, आसमान छूती अट्टालिकाएं, शाॅपिंग माॅल का आकर्षण, लम्बी-चैड़ी सड़कें, बड़े शैक्षणिक संस्थान, आकर्षक पार्क एवं चैराहे, उन्नत व्यापार, सभी कुछ अब महानगर जैसा लगने लगा है। उद्योग, कोटा साड़ी, कोटा स्टोन एवं कोचिंग नगरी ने कोटा की अपनी अलग पहचान बनाई है।
अथक प्रयासों का ही परिणाम है कि प्रतिवर्ष शहर के विकास की प्रमुख संस्था नगर विकास न्यास के वार्षिक बजट में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। इसमें विकास के लिए बड़ी धनराशि का प्रावधान किया जाता है। न केवल शहर के आधारभूत ढ़ांचे को सुदृढ़ करने के लिए काम हुआ वरन् विभिन्न वर्ग के खासतौर पर अल्प आय वर्ग, मध्यम आय वर्ग एवं निम्न आय वर्ग के लोगों को अच्छी एवं सस्ती आवास सुविधा मुहैया कराने के साथ-साथ शहर के सौन्दर्यकरण पर विशेष ध्यान दिया गया हैं।
आधारभूत ढांचे के विकास के साथ-साथ नगर सौन्दर्यकरण के अनेक कार्यों में महत्वपूर्ण कार्य किशोर सागर तालाब को पर्यटन हब के रूप में विकसित किया गया है। यही नहीं तालाब की पाल को मजबूत कर बारहदरी का सौन्दर्यकरण कर बैठने के लिए तालाब की और सीढ़ियों का निर्माण कर तथा एक चैपाटी विकसित कर खूबसूरत बनाया गया है। तालाब के दूसरी और विश्व के सात आश्चर्य वाले पार्क का निर्माण कराया गया है। तालाब के मध्य संगीतमय फव्वारा एवं अन्य आकर्षक फव्वारें लगाये हैं। वर्ष भर तालाब में पानी भरा रहने और नागरिक नौकायन का लुफ्त उठाने की व्यवस्था की गई हैं। तालाब के मध्य स्थित जगमंदिर को ही नहीं पूरे शहर को रात्रि में रोशनी में नहाते हुए देखना अपने आप में अलग अनुभूति कराता है।
छत्र विलास उद्यान से जुड़े नागाजी बाग, गोपाल निवास बाग का सौन्दर्यकरण किया गया और खड़े गणेश जी मंदिर के पास नया गणेश उद्यान विकसित किया गया है। इसमें अर्थमाउण्ड, मेडिटेशन सेन्टर, फूड कोर्ट, ओपन थियेटर, नर्सरी, ट्रेलिज, ग्रीन बैल्ट, पाम जोन, बेम्बू गार्डन, विद्युत संचालित झूले विकसित कर 24 हेक्टेयर क्षेत्र में उद्यान का विकास किया गया है। शिवाजी पार्क और नांता में बेयोल्जिकल पार्क शहर को मिले।
कोटा शहर के अंदरूनी एवं बाहरी क्षेत्रों में थोक एवं फुटकर व्यापार साथ-साथ विकसित हुए हैं। चार दीवारी के अन्दर का मुख्य व्यावसायिक क्षेत्र लाड़़पुरा से टिपटा तक हैं। जिसमें लाड़पुरा बाजार, रामपुरा बाजार, बर्तन बाजार, बजाजखाना, घंटाघर (किराना-सर्राफा), अग्रसेन बाजार (किराना-शक्कर-तेल का थोक रिटेल बाजार), शास्त्राी मार्केट (रेडीमेड गारमेन्ट) इन्द्रा बाजार एवं सब्जीमण्डी बाजार प्रमुख हैं। रामपुरा गांधी चैक के समीप कोटा डोरियां मार्केट विकसित किया गया है। परकोटे के बाहर छोटे तालाब क्षेत्र को पाट कर जे.पी. मार्केट व्यावसायिक काॅम्पलेक्स विकसित किया गया है, जिसमें थोक कपड़ा मार्केट, सर्राफा बाजार, जनरल मार्केट हैं। वर्तमान टिम्बर मार्केट भी पुराने शहर के समीप है। कोटा शहर के बाहरी क्षेत्रों में मुख्यतः गुमानपुरा, शाॅपिंग सेन्टर, मोटर मार्केट, नई धानमण्डी, ट्रान्सपोर्ट नगर, सोप स्टोन मण्डी है। नवविकसित क्षेत्रों में रंगबाड़ी, दादाबाड़ी, बसंत विहार, तलवण्डी, विज्ञान नगर, राजीव गांधी नगर, कुन्हाड़ी में फुटकर मिश्रित व्यापार किया जाता है। कोटा में भारत पेट्रोलियम कोर्पोरेशन लिमिटेड, इण्डियन आॅयल कोर्पोरेशन लिमिटेड एवं हिन्दुस्तान पेट्रोलियम लिमिटेड के डिपो रेलवे लाईन के पूर्व में रेलवे काॅलोनी के समीप स्थित है। अनाज भण्डारण हेतु गोदाम रावतभाटा रोड, माला रोड एवं डकनिया स्टेशन के समीप बनाए गए हैं।
ट्रेफिक सिग्नल फ्री झालावाड़ रोड, कैटल फ्री कोटा, ऑक्सिजोन पार्क, खूबसूरत अकल्पनीय चौराहे, लुभावने मार्ग, बहुमंजिलें पार्किंग स्थल, हेरिटेज संरक्षण के कार्य सभी कुछ आज के उभरते नूतन कोटा के विकास की कहानी कह रहे हैं। शहर के सौंदर्यकरण के साथ – साथ चिकित्सा, पेयजल, खेल एवम जन सुविधाओं के विकास के कार्य भी इतिहास रच रहे हैं।
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(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं व विभि्न्न सामाजिक व राष्ट्रीय विषयों पर लिखते हैं)