जयपुर। जहां देश में गो तस्करी और बीफ को लेकर बवाल मचा हुआ है, वहीं अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित जैसलमेर जिले के रहने वाले हाजी मेहरुद्दीन सांप्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं। वह गायों की बचपन से ही सेवा कर रहे हैं। उनके लिए गाय की जिंदगी ज्यादा कीमती है, उसका बीफ नहीं। गोभक्त मेहरुद्दीन गत 15 वर्षों से सुबह घर से निकलते हैं और रोटियां एकत्रित कर गायों को खिलाते हैं।
सुबह सात बजे से ही वह अपना ठेला लेकर जैसलमेर की तंग गलियों में निकल जाते हैं। हाथों में घंटी लिए वह जिस घर के सामने से निकलते हैं वहीं घंटी बजा देते हैं। घंटी की आवाज सुनकर लोग हाथों में रोटियां लिए बाहर आते हैं और उनके ठेले पर रख देते हैं।
मेहरुद्दीन की घंटी की आवाज से लोग इतने जुड़ गए हैं कि जिस दिन वह नहीं आते, लोग परेशान हो जाते हैं और कुशलक्षेम जानने उनके घर पहुंच जाते हैं। वह रोटी के साथ ही गुड़ और नकदी भी जमा करते हैं। सुबह से शुरू होने वाला मेहरुद्दीन का सफर दोपहर एक बजे जाकर थमता है।
इसके बाद वह शाम चार बजे शहर में स्थित राजस्थान गो सेवा संघ की गोशाला में रोटियां लेकर पहुंच जाते हैं। वह गोशाला में करीब तीन घंटे गायों की सेवा में अपना वक्त गुजारते हैं। गायों को रोटी देने और उनकी सेवा में ही उनका समय निकल जाता है।
गोशाला के संचालक भी मेहरुद्दीन की तारीफ करते नहीं थकते। मेहरुद्दीन के इस जज्बे को पूरी स्वर्णनगरी सलाम कर रही है। मेहरुद्दीन का मानना है कि गाय एक जानवर से कही बढ़कर होती है। वह दूध देती है। उसका गोबर घरों की साफ-सफाई के काम आता है। गोमूत्र तमाम रोगों का नाश करता है, इसलिए गाय की सेवा करनी चाहिए।
साभार-http://naidunia.jagran.
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