Saturday, November 23, 2024
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ओडिशा का सिरुली महावीर मंदिर

लगभग हजार वर्षों से ओडिशा के सिरुली गांव में (पुरी धाम जाने के रास्ते में ) अवस्थित है-ओडिशा का विख्यात सिरुली महावीर मंदिर। यह एक पौराणिक मंदिर है क्योंकि जो महावीर जी कभी श्रीमंदिर के सिंहद्वार के सामने रहकर जगन्नाथ जी की सेवा उनके प्रहरी के रुप में किया करते थे वे ही भगवान जगन्नाथ के आदेशानुसार अब सिरुली गांव में विराजमान हैं। यह मंदिर ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से लगभग 75 किलोमीटर की दूरी पर पुरी जाने के रास्ते में है जहां पर चंदनपुर गांव से होकर जाया जाता है।साथ ही साथ पुरी धाम से यह सिरुली महावीर मंदिर लगभग 33 किलोमाटर की दूरी पर अवस्थित है।

सच तो यह है कि  पुरी धाम के अपने श्रीमंदिर के रत्नवेदी पर चतुर्धा देवविग्रह रुप में (बलभद्रजी,सुभद्राजी,सुदर्शन जी के साथ स्वयं जगन्नाथ जी) विराजमान हैं जिनके अनेक सेवायत तथा प्रहरी हैं। पुरी धाम को श्री जगन्नाथ भगवान की वास्तविक लीलाभूमि माना जाता है। ओडिशा प्रदेश एक आध्यात्मिक प्रदेश है जिसे पौराणिक काल से कुल चार क्षेत्रों-शंख क्षेत्र,चक्र क्षेत्र,गदा क्षेत्र और पद्म क्षेत्र के रुप में विभाजित किया गया है।
भुवनेश्वर को चक्र क्षेत्र,जाजपुर को गदा क्षेत्र,कोणार्क को पद्म क्षेत्र तथा पुरी क्षेत्र को शंख क्षेत्र माना गया है।सबसे अनोखी बात तो पुरी के अवलोकन से स्पष्ट होती है कि पुरी धाम का आकार पूरी तरह से शंख की आकृति का है। पुरी धाम में अनेक महावीर मंदिर हैं जिनमें बेडी महावीर,108मुखी महावीर तथा पंचमुखी महावीर आदि जैसे अनेक  महावीर मंदिर हैं। कहते हैं कि सिरुली महावीर मंदिर का निर्माण गंगवंश के प्रतापी राजा अनंग भीमदेव तृतीय ने किया था।लेकिन एक किंवदंती के अनुसार भगवान जगन्नाथ के प्रहरी के रुप में महावीर जी श्रीमंदिर के सिंहद्वार के ठीक सामने पौराणिक काल से प्रतिष्ठित  थे।महावीर जी जब रात में सोते थे तो वे जोर-जोर के खर्राटे लेते थे। उनके खर्राटे लेने के चलते श्रीमंदिर में माता लक्ष्मी रात में ठीक से सो नहीं पातीं थीं। वे एक दिन महावीर जी के खर्राटे लेने की शिकायत जगन्नाथ जी से कीं। जगन्नाथ जी माता लक्ष्मी की शिकायत पर अपने अनन्य प्रहरी महावीर जी को बुलाया और उन्हें यह आदेश दिया कि वे इतनी दूरी पर जाकर उनके प्रहरी का काम करें जहां से माता लक्ष्मी को उनके सोने के समय उनके खर्राटे लेने से कोई परेशानी न हो।
महावीर जी अपने स्वामी जगन्नाथ जी के आदेश को शिरोधार्य कर पुरी से सिरुली गांव की ओर चल दिये।रास्ते में सिरुली गांव आया। उस गांव में एक किसान उस समय अपने खेत में हल चला रहा था। महावीर जी की पूंछ उस किसान के हल की नोक से कट गई।वह किसान तत्काल बेहोश हो गया।जब उसके होश आये तो लोगों ने उसे बताया कि उसके हल की नोक से महावीर जी की पूंछ कट गई थी जिसके कारण वह बेहोश हो गया था।कहते हैं कि उस किसान ने यह निर्णय लिया कि वह अपने सिरुली गांव में महावीर जी का एक मंदिर बनवाएगा और कालांतर में उसकी इच्छा पूर्ण हुई।
आज भी पौराणिक काल का वहीं सिरुली हनुमान मंदिर ओडिशा के सिरुली गांव में है जिसका जीर्णोद्धार सच्चे हनुमान भक्त प्रो.अच्युत सामंत,संस्थापकःकीट-कीस तथा कंधमाल लोकसभा सांसद ने लगभग 23 साल पूर्व अपनी ओर से किया था। विगत 23 वर्षों से प्रो. सामंत के सहयोग से प्रतिवर्ष सिरुली हनुमान मंदिर में मकरसंक्राति, रामनवमी, डोलपूर्णिमा, श्रीरामचरितमानस सुंदरकाण्ड अखण्ड पाठ आदि समय-समय पर अनुष्ठित होता है। प्रतिवर्ष मंदिर का वार्षिकोत्सव दिसंबर महीने के आखिरी शनिवार को प्रो अच्युत सामंत की ओर से अनुष्ठित होता है जिसमें स्थानीय गावों के लगभग 30,000 लोगों को प्रसादसेवन कराया जाता है।
सिरुली महावीर मंदिर का मुख्य प्रसाद चूडाघसा तथा एण्डूरी पीठा है जिसे भक्त बडे चाव से ग्रहण करते हैं।मंदिर का एक तालाब भी है जिसे अंजनी तालाब कहा जाता है जिसमें महावीर जी भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा के क्रम में अक्षयतृतीया से लेकर पूरे 21दिनों तक जगन्नाथ की बाहरी चंदनयात्रा अनुष्ठित करते हैं। उनको नौका विहार कराते हैं।सिरुली महावीर मंदिर में गणेश जी,दुर्गा देवी,शिवलिंग और नंदी बैल आदि की प्रस्तर की सुंदर मूर्तियां हैं।वहां के महावीर जी मुख्य मूर्ति काले प्रस्तर की है।मंदिर की दीवारों पर नवग्रह की खुदाई की गई है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर दोनों तरफ दो सिंह मूर्तियां खडी हैं।प्रकृति के खुले और सुरम्य वातावरण में अवस्थित यह सिरुली महावीर मंदिर अब पूरे भारत के महावीर भक्तों की आस्था और विश्वास का मंदिर बन चुका है जहां पर प्रतिदिन पूरे भारत से हजारों महावीर भक्त आकर सिरुली महावीर जी के दर्शन करते हैं।

गौरतलब है कि सिरुली महावीर मंदिर में प्रति सप्ताह के मंगलवार तथा शनिवार को देश-विदेश के हजारों महावीर भक्त आकर सिरुली महावीर जी के दर्शनकर प्रसाद के रुप में चूडाघसा तथा एण्डूरी पीठा ग्रहण करते हैं तथा अपने मानव जीवन को सफल बनाते हैं।यही नहीं,स्थानीय ग्रामीण प्रतिदिन अपने खेतों में जोताई-बोआई करने से पूर्व सिरुली महावीर जी के दर्शन अवश्य करते हैं जिससे उनके खेतों में प्रतिवर्ष फसल अच्छी होती है। मंदिर के मुख्य पुजारी फकीर पण्डा ने बताया कि आगामी 23 अप्रैल को सिरुली महावीर मंदिर के अंजनी तालाब में जगन्नाथ जी की 21 दिवसीय चंदनयात्रा भी अनुष्ठित होगी जिसके लिए तालाब की साफ-सफाई आदि का कार्य पूरा कर लिया गया है।

(लेखक को राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत किया गया है । आप  भुवनेश्वर में रहते हैं व ओड़िशा की साहित्यिक सांस्कृतिक, सामाजिक व अध्यात्मिक गतिविधियों पर नियमित लेखन करते हैं)

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