‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ तथा ‘जनता की आवाज फाउंडेशन’ सहित कई संस्थाओं द्वारा लंबे समय से भारत देश के नाम के साथ लगे ‘इंडिया’ नाम को हटाने के लिए मांग की जाती रही है। जैन मुनि आचार्य विद्यासागर जी महाराज द्वारा भी इस मांग को रखा गया है।
इस संबंध में ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ तथा ‘जनता की आवाज फाउंडेशन’ द्वारा अप्रैल 2022 को मुंबई में कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें संविधान के अनुच्छेद एक में संशोधन करते हुए इंडिया नाम हटाने और केवल भारत अपनाने के साथ-साथ जनभाषा में न्याय की मांग की गई थी। इसके पश्चात 9 अक्टूबर 2022 को ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ और ‘जनता की आवाज फाउंडेशन’ द्वारा दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक दिवसीय धरना आयोजित करते हुए जनभाषा में न्याय, शिक्षा और रोजगार के साथ-साथ इंडिया नाम को भारत के संविधान से हटाने की मांग की गई थी।
तेज बारिश के बावजूद इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पत्रकार, साहित्यकार और भाषा प्रेमी, सांसद, अधिवक्तागण व विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि पहुंचे थे। भारतीय भाषा सेनानी स्वर्गीय डॉ. वेद प्रताप वैदिक ने भी इन मुद्दों को पुरजोर ढंग से उठाया था। इस अवसर पर भारत के माननीय राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री जी और गृह मंत्री जी के अतिरिक्त कानून मंत्री जी को भी ज्ञापन दिया गया था। इसके बाद पटना में वैश्विक हिंदी सम्मेलन द्वारा आयोजित सम्मेलन में भी इन्हीं माँगों को उठाया गया।
अंतत: दिनांक 21 अप्रैल 2023 को इंडिया नाम को संविधान से हटाने के संबंध में गृह मंत्रालय द्वारा दिनांक का कार्यालय ज्ञापन संख्या – 19/11/2021 – public प्राप्त हुआ जिसमें गृह मंत्रालय द्वारा विधि एवं न्याय मंत्रालय में श्री उदय कुमार, संयुक्त सचिव एवं विधायी काउंसिल, विधायी विभाग, विधि एवं न्याय मंत्रालय, शास्त्री भवन नई दिल्ली को इस संबंध में कार्रवाई के लिए लिखा गया था। इस पत्र की प्रति ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ तथा ‘जनता की आवाज फाउंडेशन’ के पदाधिकारियों को भी भेजी गई थी।
यह कार्यालय ज्ञापन अपने देश के नाम में से इंडिया शब्द को हटाने के लिए किए जा रही प्रयासों के लिए आशा की किरण लेकर आया था। देशभर में जिसने भी समाचार सुना आशा के साथ कार्रवाई की प्रतीक्षा करने लगा।
लेकिन कल ही विधि एवं न्याय मंत्रालय के विधायी विभाग, विधायी अनुभाग -1 द्वारा जारी एक कार्यालय ज्ञापन, फाइल क्रमांक 11 (1)20 23. I.l दिनांक 26 मई 2023 प्राप्त हुआ, जो कि गृह मंत्रालय के इस संबंध में दिनांक 21 अप्रैल 2023 के कार्यालय ज्ञापन संख्या – 19/11/2021 के प्रत्युत्तर में गृह मंत्रालय के मा.सचिव के निजी सचिव के नाम पर लिखा गया है । इस कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है कि सरकार में अनुच्छेदों के आबंटन में संविधान का अनुच्छेद 1 गृह मंत्रालय को आबंटित किया गया है। इसलिए इससे संबंधित नीतिगत निर्णय गृह मंत्रालय द्वारा ही लिया जाना है। इस कार्यालय ज्ञापन में यह भी स्पष्ट किया गया है कि विधायी विभाग केवल एक सेवा विभाग है जिसका कार्य संबंधित मंत्रालय विभाग द्वारा लिए गए निर्णय के आधार पर मसौदा तैयार करना है। इसलिए यह अभ्यावेदन मंत्रालय को आवश्यक कार्रवाई की लिए लौटाया जाता है।
अब यह बात समझ से परे है कि अगर विधि एवं न्याय मंत्रालय की विधायी विभाग की बात सही है और निर्णय गृह मंत्रालय को लेना है तो गृह मंत्रालय द्वारा इस संबंध में बिना कोई निर्णय लिए विधि एवं न्याय मंत्रालय को कार्रवाई के लिए कार्यालय ज्ञापन क्यों लिखा गया ?
दो मंत्रालयों के बीच के इस संशय को लेकर संविधान के अनुच्छेद 1 में से ‘इंडिया’ नाम को हटाने और केवल भारत नाम अपनाए जाने की मांग करने वाले देश प्रेमियों के मन में भी संशय उत्पन्न हो गया है कि आखिर यह मामला क्या है ? इस संबंध में सरकार गंभीर है भी या नहीं ? हम आशा करते हैं कि अगर कोई संशय भी है तो उसे शीघ्र दूर कर लिया जाएगा ।
हम भारत के यशस्वी मा. गृह मंत्री श्री अमित शाह जी से अनुरोध करते हैं कि वे इस मामले में व्यक्तिगत रूप से अधिकारियों से चर्चा करते हुए गुलामी के दंश के रूप में स्थापित ‘इंडिया’ नाम को हटाते हुए हजारों वर्ष से भारत में प्रचलित भारत नाम को प्रतिष्ठित करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 1 के संबंध में निर्णय लेते हुए शीघ्रातिशीघ्र संविधान संशोधन का मार्ग प्रशस्त करें और भारत भूमि पर भारत देश का नाम सभी भाषाओं में केवल भारत ही रहे और भारत ही प्रतिष्ठित हो इसके लिए संविधान संशोधन करवाने की कृपा करें।
निश्चित रूप से यह निर्णय भारत की गरिमा गौरव के अनुकूल एक ऐतिहासिक कदम होगा। सदियों तक विश्व इस ऐतिहासिक निर्णय का स्मरण करेगा।
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