बनारस के घाटों पर विदेशियों का दिखना यूँ तो आम है लेकिन इस 70 वर्षीया महिला का उद्देश्य आम नहीं था, जो कि लगभग 8 हजार किमी की यात्रा कर स्पेन से काशी आई थी।
स्पेन के बार्सिलोना में एक ऐक्सिडेंट में मारिया टेरेसा का 36 वर्षीय बेटा गंभीर रूप से घायल हो गया। कई हास्पिटल में इलाज के बावजूद उसे बचाया न जा सका। अपने अंतिम समय को महसूस कर उसने अपनी माँ से पहली और अंतिम इच्छा जाहिर की, कि उसका अंतिम संस्कार हिन्दू रीति से किया जाए और उसकी अस्थियों को काशी में गंगा में विसर्जित किया जाए।
अपनी उम्र की मज़बूरी और बेटे की अंतिम इच्छा के बारे में कुछ भी जानकारी ना होने की दुविधा के बावजूद ममता के दृढ़ निश्चय ने हार नहीं मानी। कुछ NRI मित्रों से जानकारी जुटाई और वह चल पड़ी अपने बेटे की अंतिम इच्छा पूरी करने।
वह मुंबई होते हुए बनारस पहुँचीं। फिर भारतीय परिधान पहन कर अपने बेटे की अस्थियाँ लेकर मणिकर्णिका_घाट पहुँची। तमाम वैदिक मंत्रों के उच्चारण के बीच इस माँ ने अस्थियों को गंगा में प्रवाहित किया। उसे पूरी आस्था और यकीन था कि काशी में अस्थियाँ प्रवाहित करने से उसके बेटे को मोक्ष जरूर मिल जायेगा। उसने अपने बच्चे को याद कर भावुकता से कहा, “भगवान शिव मेरे बेटे को जरूर मोक्ष प्रदान करेंगे।”
सनातन संस्कृति की हमारे अपने ही जितनी मर्जी खिल्ली उड़ाते हैं लेकिन इस वाकये से महसूस होता है कि कुछ तो बात है इसमें। दुर्भाग्य यह है की हमसे बेहतर विदेशी हमारी संस्कृति का महत्व जानते हैं।
जय सनातन संस्कृति
साभार Vatsala Singh (@_vatsalasingh) के ट्वीटर हैंडल से