कोई भी राजतंत्रीय व्यवस्था हो,साम्यवादी व्यवस्था हो अथवा प्रजातांत्रिक व्यवस्था हो,सभी राजनीतिक व्यवस्थाओं में ‘शक्ति’ एवं ‘सत्ता’ पूरी तरह से एक विशिष्ट शासन समूह के हाथों में सिमटकर रहती है जिसे अंग्रेजी में इलीट ग्रूप और हिन्दी में अभिजन तथा अभिजात वर्ग कहा जाता है। यह कहना भी इस संबंध में कोई अतिशयोक्ति की बात नहीं होगी कि वास्तव में राजनीतिक सत्ता का सफल संचालन,कारगर नीति निर्धारण,निगरानी और पूर्णरुपेण नियंत्रण अप्रत्यक्ष रुप से राजनीतिक अभिजात वर्ग के ही हाथों में होता है। वास्तव में राजनीतिक शक्ति का ध्रुवीकरण और राजनीतिक सत्ता में किसी भी दल के बने रहने की जिम्मेदारी पूरी तरह से राजनीतिक अभिजन वर्ग के हाथों में ही होती है जो एक रोमांचक क्रिकेट खेल की तरह बडी होशियारी तथा बुद्धिमानी के अप्रत्यक्ष रुप राजनीति के क्रिकेट मैच में खेलाता है। यह राजनीतिक अभिजात वर्ग राजनीति शास्त्र और समाजशास्त्र की मूल अवधारणा है।
प्राचीन यूनानी विचारक अरस्तू ने कहा था कि समाज में तीन प्रकार के लोग होते हैं और उनके अंदर तीन मुख्य गुणों की प्रधानता रहती है। एक के पास विवेक की प्रधानता होती है और वह अरस्तू के शासक वर्ग की बागडोर संभालता है। दूसरे वर्ग में साहस की प्रधानता होती है और वह अरस्तू के सैनिक वर्ग में आता है जो राज्य की हिफाजत करता है।तीसरा वर्ग उत्पादक वर्ग होता है जिसमें क्षुधा की प्रधानता होती है वह अरस्तू के राज्य में उत्पादन का काम करता है।अरस्तू की यह परिकल्पना भी आज के राजनीतिक परिपेक्ष्य में अवश्य विचारणीय है।आज एक सरकार है। दूसरी देश की आम जनता है और तीसरा वह वर्ग है जिसे राजनीतिक अभिजात वर्ग कहते हैं और वहीं व्यावहारिक रुप में सत्ताधारी सरकार की सफलता का आधार है। वहीं सत्ताधारी दल का उचित मार्गदर्शन करता है।
दूसरे शब्दों में, प्रत्येक राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक शक्ति अथवा सत्ता केवल कुछ ही चुने हुए लोगों के समूह में सीमित होती है जिसे अभिजात वर्ग कहा जाता है।वास्तव में अभिजात वर्ग के लोगों के पास कमाल का राजनीतिक विवेक होता है,इच्छाशक्ति होती है,राजनीतिक दूरदर्शिता होती है,विदुर नीति और चाणक्यनीति आदि होती है जिसके बल पर राजनीतिक सत्ता पर कब्जा रहता है।यह इलीट ग्रूप कुछ संभ्रांत तथा कुछ श्रेष्ठलोगों का ही होता हैं।इसी अभिजात वर्ग के अप्रत्यक्ष सहयोग से राजनीतिक सत्ता के रुलिंग क्लास के लोग सामान्य जन समूह पर वर्षों-वर्षों तक शासन करते हैं।आज के राजनीतिक माहौल में अभिजात वर्ग में पूंजीपति वर्ग,टॉप क्लास के बुद्धिजीवी वर्ग,नौकरशाह तथा कारपोरेट जगत के भामाशाह आदि शामिल हो चुके हैं।
गौरतलब है कि 17वीं शताब्दी में इलीट की अवधारणा की शुरुआत कुछ विशेष और सबसे उत्तम वस्तुओं अथवा गुणों के लिए हुई थी। द्वितीय विश्व महायुद्ध के बाद 20वीं शताब्दी में इसका प्रयोग पश्चिमी देशों तथा अमरीका में इसका प्रचलन आरंभ हुआ।भारत की राजनीति में अभिजात वर्ग का शुभारंभ देश की आजादी की लडाई से लेकर भारतीय संविधान के निर्माण के समय हुआ जहां पर देश की आजादी के साथ-साथ लिखित रुप में भारतीय संविधान तैयार करने में संविधान निर्माताओं के सामने भारत की विभिन्न जातियों,धर्मों,भाषाओं,प्रांतों और सम्प्रदायों आदि की समस्या को लेकर था और सच कहा जाय तो भारत को अनेकता में एकता में बदलने में भारतीय राजनीतिक अभिजात वर्ग की अहम् भूमिका अवश्य रही है।
राजनीतिक अभिजात वर्ग की सक्रिय भागीदारी के चलते जिस प्रकार आज पब्लिक और प्राइवेट ऐडिमिन्सट्रेशन में कोई खास अंतर नहीं रह गया है,जी-20 का नेतृत्व भारत शानदार सफलतापूर्वक कर रहा है ठीक उसी प्रकार भारत की वर्तमान राजनीति में अभिजात वर्ग की सक्रियता के बदौलत भारत की लोक कल्याणकारी केन्द्र सरकार तथा भारत की राज्य सरकारें सफलतापूर्वक चल रहीं हैं।अब तो प्राकृतिक आपदाओं के वक्त भी अभिजात वर्ग काफी सक्रिय नजर आता है। अब देखना बडा दिलचस्प होगा कि 2024 के लोकसभा के आमचुनाव में भारत का अभिजात वर्ग किस प्रकार अपनी जिम्मेदारी भारतीय राष्ट्रहित, देशहित, प्रदेशहित,लोकहित और जनहित के लिए निभा पाता है।
(लेखक राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हैं और सामाजिक, सांस्कृतिक व अध्यात्मिक विषयों पर निरंतर लेखन करते हैं)