राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष शिवराज छंगाणी ने गुरुवार को अकादमी सभागार में आयोजित अकादमी कार्यसमिति व सामान्य सभा की बैठकों में वर्ष 2019, 2020, 2021 के तहत अकादमी के विभिन्न पुरस्कार घोषित किए। जिसमें वर्ष 2019-20 के तहत अकादमी के विभिन्न पुरस्कारों के अन्तर्गत “बावजी चतरसिंह जी अनुवाद पुरस्कार” कोटा के विजय जोशी को उनकी पुस्तक ‘पुरवा की उडीक’ पर प्रदान किया जाएगा।
राजस्थान के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकारों में विजय जोशी का जन्म राजस्थान के झालावाड़ में स्व. रमेश वारिद और माता प्रेम वारिद के परिवार में एक जनवरी 1963 को हुआ। आप विज्ञान (वनस्पति शास्त्र), साहित्य (हिन्दी) और शिक्षा (निर्देशन और परामर्श) में अधिस्नातक हैं तथा पत्रकारिता-जनसंचार में स्नातक हैं। शिक्षा विभाग राजस्थान में जीव विज्ञान विषय के अध्यापन कार्य से सेवानिवृत्त हुए हैं। विजय जोशी ने वर्ष 1985 से विज्ञान-पर्यावरण सन्दर्भित लेखन प्रारम्भ किया और प्रथम आलेख ‘‘कटते हुए वृक्ष : गहराता हुआ प्रदूषण’’ दैनिक नवज्योति में 16 सितम्बर 1985 को प्रकाशित हुआ था। पहली कहानी ‘टीस’ का प्रसारण आकाशवाणी कोटा से 19 अगस्त 1994 को हुआ। कथाओं का प्रथम संकलन राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर भेजा तो पाण्डुलिपि प्रकाशन सहयोग से प्रथम कथा-संग्रह ‘ख़ामोश गलियारे’ 1996 में प्रकाशित हुआ।
प्रथम राजस्थानी कहानी-संग्रह ‘‘मंदर में एक दन’’ का प्रकाशन राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर के आर्थिक सहयोग से 1999 में हुआ। ये ही संग्रह कथा-लेखन के लिए इनका आधार बने और अभिव्यक्ति की धारा कहानियों के माध्यम से प्रवाहित होती रही। चार दशक से अधिक की साहित्यिक यात्रा में इनकी हिन्दी और राजस्थानी में अब तक दस कथा-कृतियाँ प्रकाशित हो चुकीं हैं जिनमें – दो हिन्दी उपन्यास – चीख़ते चौबारे , रिसते हुए रिश्ते, पाँच हिन्दी कहानी संग्रह – ख़ामोश गलियारे , केनवास के परे , कुहासे का सफ़र, बिंधे हुए रिश्ते, सुलगता मौन, एक हिन्दी बाल कहानी – बदल गया मिंकू , तथा दो राजस्थानी कहानी संग्रह- मंदर में एक दन और आसार हैं। इन्होंने साहित्य की सभी विधाओं पर लिखी देशभर और हाड़ोती के विद्वानों की लगभग 250 से अधिक किताबों की समीक्षाएँ लिखी हैं और समीक्षाओं की चार किताबें भी पृथक से लिखी हैं।
हिंदी साहित्य की समस्त विधाओं पर हिंदी और राजस्थानी में लिखित कहानियाँ, लघु कथाएँ, गीत – कविता, व्यंग्य रचनाएँ, उपन्यास, , साक्षात्कार, निबन्ध, खण्ड-काव्य, सतसई परंपरा, साहित्य, शिक्षा, वास्तुकला, दर्शन, आदि साहित्य पर सटीक समीक्षाएँ लिखी हैं। विचित्र संयोग है तीन – तीन सिनॉप्सिस बनाने पर भी विभाग की हठ धर्मिता की वजह से ये स्वयं पीएच.डी. नहीं कर पाए जबकी इनके साहित्य तीन लोगों डॉक्ट्रेट और एक ने एमफिल की उपाधि प्राप्त की है। आपको अनुवादक के रूप में भी जाने जाते हैं। आपकी केन्द्रीय साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा उर्दू कहानी-संग्रह ‘ बादे सबा का इंतिज़ार’ का एक राजस्थानी अनुवाद- पुरवा की उडीक (2016) में प्रकाशित हो चुका है।
आपको देशभर में विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। इनके राष्ट्रीय सम्मानों में पं. प्रतापनारायण मिश्र स्मृति कथा विधा ‘युवा साहित्यकार सम्मान-2002, लखनऊ, उत्तर प्रदेश, राजस्थान पत्रिका द्वारा अखिल भारतीय ‘ हिन्दी हैं हम अभियान ‘ के अन्तर्गत “लघुकथा विधा” का द्वितीय पुरस्कार – 2022, मुंशी प्रेम चंद कथाकार सम्मान – 2022, दिल्ली, हिन्दी प्रतिष्ठा सम्मान -2003, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश, श्रीमती राधा सिंह स्मृति पुरस्कार- 2003, वाराणसी, उत्तरप्रदेश, अखिल भारतीय धर्मवीर भारती स्मृति ‘हिन्दी भूषण अलंकरण’ -2002, जबलपुर, मध्यप्रदेश, श्यामनारायण विजयवर्गीय सम्मान -2004, गुना, मध्यप्रदेश और राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान- ‘कलम – कलाधार सम्मान’ – 2011, उदयपुर, पं. उदयशंकर शर्मा स्मृति सम्मान -2020, बाराँ, राजस्थान प्रमुख हैं। राज्य स्तर पर भी अनेक सम्मान प्राप्त हुए हैं। आपकी कला-संगीत (गायन-वादन) एवं चित्रकारी में भी गहरी रुचि है।