आने वाले 10/15 साल में एक पीढी संसार छोड़ कर जाने वाली है…जो सीनियर सिटीजन है।जिनकी उम्र इस समय लगभग 60 -75 साल की है। इस पीढ़ी के लोग बिलकुल अलग ही हैं… रात को जल्दी सोने वाले, सुबह जल्दी जागने वाले, भोर में घूमने निकलने वाले। आंगन और पौधों को पानी देने वाले, देवपूजा के लिए फूल तोड़ने वाले, पूजा अर्चना करने वाले, प्रतिदिन मंदिर जाने वाले। रास्ते में मिलने वालों से बात करने वाले, उनका सुख दु:ख पूछने वाले, दोनो हाथ जोड कर प्रणाम करने वाले, पूजा किये बगैर अन्नग्रहण न करने वाले।
उनका अजीब सा संसार… तीज त्यौहार, मेहमान शिष्टाचार, अन्न, धान्य, सब्जी, भाजी की चिंता तीर्थयात्रा, रीति रिवाज, सनातन धर्म के इर्द गिर्द घूमने वाले। पुराने फोन पे ही मोहित, फोन नंबर की डायरियां मेंटेन करने वाले, रॉन्ग नम्बर से भी बात कर लेने वाले, समाचार पत्र को दिन भर में दो-तीन बार पढ़ने वाले। हमेशा एकादशी याद रखने वाले, अमावस्या और पूर्णमासी याद रखने वाले लोग, भगवान पर प्रचंड विश्वास रखने वाले, समाज का डर पालने वाले, पुरानी चप्पल, बनियान, चश्मे वाले।
गर्मियों में अचार पापड़ बनाने वाले, घर का कुटा हुआ मसाला इस्तेमाल करने वाले और हमेशा देशी टमाटर, बैंगन, मेथी, साग भाजी ढूंढने वाले। नज़र उतारने वाले, क्या आप जानते हैं कि ये सभी लोग धीरे धीरे, हमारा साथ छोड़ के जा रहे हैं। क्या आपके घर में भी ऐसा कोई है? यदि हाँ, तो उनका बेहद ख्याल रखें। अन्यथा एक महत्वपूर्ण सीख, उनके साथ ही चली जायेगी… वो है, संतोषी जीवन, सादगीपूर्ण जीवन, प्रेरणा देने वाला जीवन, मिलावट और बनावट रहित जीवन, धर्म सम्मत मार्ग पर चलने वाला जीवन और सबकी फिक्र करने वाला आत्मीय जीवन। आपके परिवार में जो भी बडे हों, उनको मान सन्मान और अपनापन, समय तथा प्यार दीजिये और हो सके तो उनके कुछ पद चिन्हो पर चलने की कोशिश करे । संस्कार ही अपराध रोक सकते हैं सरकार नहीं !! यह मानव इतिहास की आखिरी पीढ़ी है, जिसने अपने बड़ों की सुनी और अब अपने छोटों की भी सुन रहे हैं। यही हैं वो जिन्हें हम वृध्द नागरिक कहते हैं…