Saturday, November 23, 2024
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बटरसी अफोर्डेबल आर्ट फेयर : हर कला प्रेमी की पहुँच में कलाकृतियों का संसार

आम तौर पर धारणा है कि पेंटिंग ख़रीदना अभिजात्य वर्ग का शग़ल है और मध्यम वर्गीय परिवार को फ़ेक या फिर मशहूर कलाकारों की पेंटिंग के प्रिंट से ही अपनी कला भूख मिटानी पड़ती है. लेकिन दुनिया के चुनिंदा बड़े बड़े शहरों में अफोर्डेबल आर्ट फेयर आयोजितहोने लगे हैं जिनमे प्रतिभाशाली कलाकारों की कल सचमुच ऐसे दाम में मिल जाती है जो ख़रीदकर ले जायी जा सके . इस क्रम मेंलन्दन शहर में यह आयोजन 1996 से निरंतर हो रहा है।

लन्दन के बटरसी पार्क इलाक़े में 19 अक्तूबर से चल रहा अफ़ोरडेबल आर्ट फेयर आज संपन्न हुआ . यह आर्ट फेयर कितना बड़ा थाइसका अंदाज़ा केवल इस बात से लगाया जा सकता है कि इसमें ब्रिटेन ही नहीं ग्रीस, फ़्रांस, बेल्जियम , चीन , कोरिया आदि देशों कीकुल मिला कर सौ से अधिक जानी मानी आर्ट गैलरियों ने चार सौ से भी अधिक कलाकारों की कलाकृतियाँ प्रदर्शित की थीं। . कलाकृतियाँ की संख्या दो हज़ार के क़रीब थी ।

इस कला उत्सव की एक और खूबी यह भी थी कि काफ़ी सारी कलाकृतियाँ अवशिष्ट और अनुपयोगी सामग्री से बनाई गई थीं. इनमेंजोन्ने टिंकर की शैम्पेन की बोतल पर लगे तारों से बनाई कलाकृति “please take your seat” ने विशेष ध्यान आकर्षित किया।

अफ़्रीका के अश्वेत एब्स्ट्रैक्ट कलाकारों ने ब्लैक हिस्ट्री मंथ मनाने के लिए कुछ बेहतरीन कलाकृति डिस्प्ले पर रखी थीं। रोमेलो ब्रिटो ने चटख रंगों से जिस मायावी दुनिया का सृजन किया वह भी देखने योग्य थी।

इस फेयर में मट डोसा कोबतौर कैम्पैन आर्टिस्ट के रूप में प्रस्तुत किया गया था. डोसा ने कोई स्कूली शिक्षा नहीं ली है और वह सड़कों, रेल ब्रिजों के आस पास की दीवारों पर ग्रैफ़ीटी बनाता रहा है. उसकी कृतियों में जो एब्स्ट्रैक्ट बिंब विधान थे वे ज़्यादातर चटख रंगों कीज्यामितीय संरचनाएँ थीं जो लंदन शहर की जीवंतता को अपने अंदर समेटे हुए है।

नीदरलैंड्स से आये पेण्टर अनुली क्रून की संरचनाएँ आकर्षित करने वाली थीं , उनकी तीखी रेखाएँ और पैटर्न ऐसी कृति बनती हैं जोदेख कर कुछ सोचने के लिए मजबूर करती हैं और वे काफ़ी कुछ लीक से हटकर थी।

नूरिया मिरो की “picture this” समुद्र तट का एक सजीव चित्र है जिसमें बड़ी बारीकी से काम किया गया है। ग्रीस के थासोस द्वीप की अबिगेल मैकडॉगल द्वारा प्रदर्शित पेंटिंग्स में उस द्वीप की रॉक संरचनाओं में रॉक के अगढ़ रूप और उनके द्वीपके आसपास के निर्मल जल से संबंध को दर्शाया गयाथा.

इस प्रदर्शनी में भारतीय मूल के दो कलाकारों का विशेष रूप से उल्लेख करना चाहूँगा। नताशा कुमार की पेण्टिंग्स में परंपरागतभारतीय मोटिफ़ की पृष्ठभूमि में स्त्रियों को आंचलिक वेशभूषा में दिखाया गया है. उनकी एक पेंटिंग में सामान से ओवरलोड ट्रक कोदिखाया है , नताशा का पति ब्रिटिश मूल का है जो उसके कारण अच्छी हिंदी बोल लेता है. हाल ही में नताशा ने टिल्डा बासमती के तीनके स्पेशल पैक पर बेहतरीन चित्रकारी की है . दूसरी भारतीय मूल की पेंटर स्मिता सौंथलिया स्काईलार्क गैलरी से जुड़ी हुई हैं वे फूलों केमाध्यम से बहुत कुछ कहने की कोशिश करती है।

आख़िर में स्टीव यीट्स के पेपर मेशिये और मिक्स्ड माध्यमों से बनो संरचनाओं की बात करना चाहूँगा, यीट्स की “द पैशन इन दम्यूजिक” इंस्टालेशन पुरुष स्त्री की देहकृतियों के ज़रिए बहुत कुछ कहने की कोशिश करती है।

इस आर्ट फेयर में कलाकृतियाँ तो वाजिब दाम पर उपलब्ध थीं हीं, साथ ही आयोज़कों ने यह भी प्रयास किया था कि कैफेटेरिया औरपरिसर में आये फ़ूड ट्रक पर ख़ाना पीना भी वाजिब क़ीमत पर ही हो।

बटरसी अफोर्डेबल आर्ट फेयर यक़ीन दिलाने में सफल रहा कि अच्छी मूल कलाकृतियाँ मध्यमवर्गीय व्यक्ति भी ख़रीद सकता है।

(लेखक लन्दन की यात्रा पर हैं और वहां की सामाजिक व सांस्कृतिक गतिविधियों पर लिख रहे हैं)

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