वर्ष 2023 की विजयादशमी भारत व सनातन हिंदू समाज के लिए कई दृष्टियों से अत्यंत महत्वपूर्ण रही।विजयादशमी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्थापना दिवस है और प्रतिवर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक इस अवसर पर समारोह को सम्बोधित कर स्वयंसेवकों को सन्देश देते हैं, इसी परंपरा में इस वर्ष स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए सरसंघचलक डॉ. मोहन भागवत जी ने कई स्पष्ट सन्देश दिए जिनके आधार पर भविष्य के कार्यक्रम तय होंगे।
विजयादशमी के ही दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के द्वारका में आयोजित रामलीला समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि यह हम सभी का सौभाग्य है कि हम सदियों की प्रतीक्षा के बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के साक्षी बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह लोगों के धैर्य की जीत का प्रतीक है।
नागपुर में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वंसेवक संघ के सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने वैश्विक व क्षेत्रीय स्तर पर भारत की उपलब्धियों का उल्लेख किया। उन्होंने जी- 20 सम्मेलन के सफल आयोजन पर देश के नेतृत्व की, एशियाई खेलों में पहली बार 100 से अधिक 107 पदक जीतने पर खिलाड़ियों की व चंद्रयान 3 की सफलता पर वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए कहा कि इस बार हमारे वैज्ञानिकों के शास्त्रज्ञान व तंत्र कुशलता के साथ नेतृत्व की इच्छाशक्ति भी जुड़ गई। सरसंघचालक जी ने वसुधैव कुटुम्बकम और सामाजिक समरसता पर बल दिया।
संघ प्रमुख ने 2024 में लोकसभा चुनावों पर भी अपना स्पष्ट सन्देश स्वयंसेवकों व संघ के समवैचारिक संगठनों को दिया और कहा कि आगामी लोकसभा चुनावों में भावनाओं को भड़काकर मतों की फसल काटने के प्रयास अपेक्षित नहीं हैं परंतु होते रहते हैं। समाज को विभाजित करने वाली इन बातों से हम बचें । मतदान करना हर नागरिक का कर्तव्य है उसका अवश्य पालन करें और सर्वश्रेष्ठ को चुनें। देश की एकात्मता, अखंडता अस्मिता तथा विकास के मुद्दों पर विचार करते हुए अपना मत दें। सर संघचालक जी ने पहली बार लोकसभा चुनावों में किस आधार पर अपना मत दें इस विषय पर विचार व्यक्त किया है।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को देश के वर्तमान नेतृत्व पर पूर्ण भरोसा है और हो भी क्यों ना, आज देश का राजनैतिक नेतृत्व संघ के विचारों के साथ कदमताल कर रहा है और उसके विचारों को ही नये स्वरूप में धरातल पर उतार रहा है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत विकास के पथ पर अग्रसर है। वैश्विक मंच पर भारत की आवाज सुनी जा रही है तथा वसुधैव कुटुम्बकम का ध्येय वाक्य अब संयुक्त राष्ट्र तक पहुंच रहा है।
इस अवसर पर भागवत जी ने कहा कि, भगवान श्रीराम देश के आचरण की मर्यादा के प्रतीक हैं।संविधान की मूल प्रति के एक पृष्ठ पर जिनका चित्र अंकित है ऐसे धर्म के मूर्तिमान प्रतीक श्री राम के बालक रूप का मंदिर अयोध्या जी में बन रहा है श्रीराम कर्तव्य पालन के प्रतीक हैं, स्नेह व करूणा के प्रतीक हैं। राम मंदिर में श्रीरामलला के प्रवेश से प्रत्येक हृदय में अपने मन के राम को जाग्रत करते हुए मन की अयोध्या सजे व सर्वत्र स्नेह पुरुषार्थ तथा सद्भावना का वातावरण उत्पन्न हो ऐसे अनेक स्थानों पर छोटे -छोटे आयोजन करने चाहिए।
ज्ञातव्य है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद व अन्य तमाम समवैचारिक संगठन विजयादशमी के दिन से ही भारत के संपूर्ण वातावरण को राममय बनाने के लिए अनेकानेक कार्यक्रमों की रूपरेखा बना रहे हैं, जिसका श्रीगणेश दीपावली के पावन अवसर पर दीपोत्सव के आयोजन से होने जा रहा है। अयोध्या में इस बार 24 लाख से अधिक दीये जलाये जाने का विश्व रिकार्ड बनने जा रहा है। श्रीराम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की बेला में दीपोत्सव भव्यता का प्रतिमान गढ़ने जा रहा है। यह एक अभूतपूर्व परिदृश्य होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के द्वारका में रामलीला समारोह को संबोधित करते हुए राममय वातावरण को ध्यान में रखते हुए कहा कि आजादी के 75 साल बाद अब भारत के भाग्य का उदय होने जा रहा है। लेकिन यही वह समय भी है जब भारत को बहुत सतर्क रहना है । हमें ध्यान रखना है कि आज रावण का दहन बस एक पुतले का दहन न हो। ये दहन हो हर उस विकृति का जिसके कारण समाज का आपसी सौहार्द्र बिगड़ता है। ये दहन हो उन शक्तियों का जो जातिवाद और क्षेत्रवाद के नाम पर मां भारती को बांटने का प्रयास करती है। ये दहन हो उस विचार का जिसमें भारत का विकास नहीं स्वार्थ की सिद्धि निहित है।
राममय वातावरण को साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हमें सौभाग्य मिला है कि हम भगवान राम का भव्यतम मंदिर बनता देख पा रहे हैं।अयोध्या की अगली रामनवमी पर रामलला के मंदिर में गूंजा हर स्वर पूरे विश्व को हर्षित करने वाला होगा। राम मंदिर में भगवान राम के विराजने को बस कुछ महीने बचे हैं और उस हर्ष की परिकल्पना कीजिए जब शताब्दियों बाद राम मंदिर में भगवान राम की प्रतिमा विराजेगी।उन्होंने बताया कि जब अयोध्या में भगवान राम का आगमन होने वाला था तब पूरी अयोध्या में शगुन होने लगा था। सभी का मन प्रसन्न होने लगा और पूरा नगर रमणीय बन गया । ऐसे ही शगुन आज हो रहे हैं। मोदी जी ने विजयादशमी के पावन अवसर पर पानी बचाना, डिजिटल लेनदेन को प्राथमिकता देना, स्वच्छता, स्वदेशी, पहले भारत का भ्रमण फिर विदेश का भ्रमण, आत्मनिर्भर भारत बनाने सहित कई संकल्पों को पूरा करने पर बल दिया।
विजयादशमी पर दिए गए इन दोनों भाषणों में एकरूपता व समानता थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व सरसंघचालक डा. मोहन भागवत जी के बीच परस्पर सामंजस्य व समन्वय को देखकर विरोधी दल बैचेन हो गये है व घबराहट में हैं यह बात उनके व्यवहार व बयानों में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। बिहार में जातिगत आधार पर जनगणना कराने वाले नीतिश कुमार सबसे पहले बौखला गये और उन्होंने बयान दिया कि,जो हमें छेड़ेगा हम उसे छोड़ेंगे नहीं।
प्रधानमंत्री मोदी और सरसंघचालक जी के बयानों को धरातल पर उतारने के लिए विजयादशमी के पूर्व प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या का दो दिवसीय दौरा किया और दीपोत्सव की तैयारियों को परखा, मंदिर निर्माण की समीक्षा की और प्राण प्रतिष्ठा समारोह को भी अंतिम रूप दिया।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दीपोत्सव व रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर अयोध्या को बहुत ही भव्यता के साथ सजाया और संवारा जाये। योगी जी का अयोध्या दौरा व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व सरसंघचालक जी के मध्य का अभूतपूर्व सामंजस्य व समन्वय बता रहा है कि अब भारत व सनातन का भाग्य बदलने का समय प्रारम्भ हो चुका है।
प्रेषक – मृत्युंजय दीक्षित
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