Saturday, November 23, 2024
spot_img
Homeआपकी बातONDC कड़ी चुनौती दे रहा है ई-कॉमर्स कंपनियों को

ONDC कड़ी चुनौती दे रहा है ई-कॉमर्स कंपनियों को

तकनीक जगत में भारत ने सरपट दौड़ना शुरू कर दिया है। आधार, यूपीआई के बाद भारत सरकार ने ONDC (ओएनडीसी) यानी ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (Open Network for Digital Commerce) शुरू किया है। देश के सभी बैंकें और वित्तीय संस्थान इस प्लेटफॉर्म में निवेश कर रहे हैं। यह ई-कॉमर्स की दुनिया में क्रांति लाने का काम करने वाला है। ओएनडीसी डिजिटल में तीसरी या चौथी बड़ी चीज़, सेल्यूलर/डेटा की पहुंच होगी।

इसीलिए देश में इन दिनों ONDC (ओएनडीसी) चर्चा का विषय बना हुआ है। वजह है किफायती दामों पर ग्राहकों को अच्छा सामान मिलना, जिस कारण लोग बड़ी संख्या में ओएनडीसी का उपयोग कर रहे हैं। इस कारण ओएनडीसी को अमेजन, फ्लिपकार्ट, जोमैटो, स्विगी जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए बड़ी चुनौती भी माना जा रहा है।

ऐसे में ONDC के बारे में जानना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि देश में 5 करोड़ ई-कॉमर्स यूजर्स में से करीब 20 फीसदी यानी एक करोड़ यूजर्स ONDC पर लेन-देन करते हैं। इतना ही नहीं देश में 1.2 करोड़ से अधिक विक्रेता उत्पादों और सेवाओं को बेचकर या रिसेल करके अपनी जीविका चला रहे हैं। लेकिन इनमें से सिर्फ 15 हजार विक्रेता यानी कुल विक्रेताओं का 0.125 फीसदी ही ई-कॉमर्स पर हैं। ई-रिटेल ज़्यादातर विक्रेताओं, खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों के विक्रेताओं की पहुँच से बाहर है। इसी को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार की ओर से ONDC की शुरुआत की गई है।

दिसंबर 2021 में कंपनी एक्ट की धारा 8 के तहत क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया और प्रोटीन ईजीओवी टेक्नोलॉजीज़ लिमिटेड ने बीएसई इन्वेस्टमेंट्स, एनएसई इन्वेस्टमेंट्स, कोटक महिंद्रा बैंक, एक्सिस बैंक, एचडीएफ़सी बैंक, नाबार्ड, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूको बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, आईडीएफ़सी फर्स्ट बैंक, सिब्डी, भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड, सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (इंडिया) लिमिटेड और नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरीज लिमिटेड के सहयोग से ONDC का पंजीकरण करवाया है।

दरअसल, ONDC ई-कॉमर्स के इस अनोखे अवसर को पहचानता है जिससे वो भारत में ई-रिटेल प्रवेश को वर्तमान 4.3% से इसके अधिकतम क्षमता तक बढ़ाकर पहुंचा सकता है। हर प्रकार और आकार के सेलर्स को प्रभावशाली तरीके से आबादी के पैमाने पर शामिल करके देश में ई-कॉमर्स प्रवेश को बढ़ाना ही ONDC का मिशन है। मौजूदा समय में ओएनडीसी ई-कॉमर्स कंपनियों को चुनौती देता हुआ नजर आ रहा है। लेकिन अगर आप अब तक ONDC को नहीं समझ पाए हैं, तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। तो आइए आपको इसके बारे में विस्तार से समझाते हैं।

ONDC के एमडी और सीईओ टी कोशी ने कहा है कि ONDC का लक्ष्य इस वित्तीय वर्ष के अंत तक व्यापारियों की संख्या 235,000 से बढ़ाकर 300,000 करना है। सरकार द्वारा संचालित डिजिटल नेटवर्क प्लेटफ़ॉर्म, जिसने मार्च में 5,000 से कम लेनदेन दर्ज किया था, लेनदेन की संख्या को 70 लाख तक बढ़ाने का लक्ष्य भी रख रहा है। कोशी ने कहा, “आने वाले वर्ष के लिए मेरा सरल मंत्र लेनदेन के स्तर को बढ़ाना और अधिक व्यापारियों को शामिल करना है।”

ONDC क्या है?
ओएनडीसी यानी ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (Open Network for Digital Commerce) की शुरुआत दिसंबर 2021 में की गई। यह एक सरकारी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म है और आज ये 180 से ज्यादा शहरों में मौजूद है। यह लोगों को फूड समेत अन्य जरूरत का सामान सस्ते दामों पर उनके घर तक मुहैया कराता है। ओएनडीसी को सरकार की ओर से छोटी और बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए बनाया गया है। इसे ई-कॉमर्स मार्केट में अमेजन और फ्लिपकार्ट में बढ़ते वर्चस्व को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है।

ONDC कैसे काम करता है?
ONDC की खासियत है यह क्रेता और विक्रेता यानी खरीदार और दुकानदार के बीच में सीधे संपर्क स्थापित करता है। इसका अपना कोई ऐप नहीं है। जैसे ही आप इसकी वेबसाइट पर जाएंगे आप पेटीएम, मैजिकपिन और अन्य ऐप के माध्यम से आसपास के रेस्तरां के ऑर्डर कर पाएंगे। ओएनडीसी पर खाने के अलावा ग्रॉसरी, होम डेकोरेशन और अन्य सामनों भी ऑर्डर कर सकते हैं। चूंकि ओएनडीसी प्लेटफॉर्म पर रेस्टोरेंट ओनर सीधे अपना खाना कस्टमर को बेचते हैं। इसलिए बीच में कोई थर्ड पार्टी एप या कंपनी नहीं होती है। इससे कमीशन बच जाता है जिसे अमूमन विक्रेताओं से चार्ज किया जाता है। इसलिए यहां से सामान या खाना ऑर्डर करना सस्ता पड़ता है।

आप पेटीएम या मैजिकपिन जैसे एप पर जाकर ओएनडीसी सर्च करेंगे तो आपको ओएनडीसी फूड, ओएनडीसी ग्रोसरी जैसे विकल्प मिल जाते हैं। इसके बाद आपको यहां पर अपनी पसंद का फूड या प्रोडक्ट चुनना है और फिर अपना पता दर्ज करना है। अब आप अपना कुल बिल और सामान के पैसे चेक कर सकते हैं। फिर आप पेमेंट करके अपने घर पर सामान आसानी से पा सकते हैं।

ई-कॉमर्स से सस्ता है ONDC?
ONDC पर किसी बिक्रेता से उसकी सर्विस या प्रोडक्ट की लिस्टिंग के लिए काफी कम कमीशन लिया जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार ये अधिकतम 2 से 4 प्रतिशत तक होता है। वहीं, दूसरे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर अधिक कमीशन का भुगतान बिक्रेताओं को करना पड़ता है। इस कारण ओएनडीसी ऐप पर सर्विस और प्रोडक्ट खरीदना सस्ता है। हालांकि, अभी ओएनडीसी अभी शुरुआती स्तर पर है और ये देखना होगा कि भविष्य में कैसे सेवाएं देता है और उपभोक्ताओं को कितना लाभ होगा।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं और कई नामचीन संस्थानों को अपनी सेवाएं दे चुके हैं।)

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार