Monday, December 23, 2024
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ब्लैक होल की स्टडी के लिए ‘एक्सपोसैट’ का सफल प्रक्षेपण

भारत ने साल की शुरुआत खगोल विज्ञान के सबसे बड़े रहस्यों में से एक ब्लैक होल के बारे में जानकारी जुटाने के लिए उपग्रह भेज कर की है। सोमवार सुबह 9.10 बजे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के इस पहले एक्स-रे पोलरीमीटर उपग्रह यानी एक्सपोसैट (XpoSAT) उपग्रह को रॉकेट पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) सी 58 के जरिए श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यह महज 21 मिनट में अंतरिक्ष में 650 किमी ऊंचाई पर पहुंच गया। इस रॉकेट का यह 60वां मिशन था। इस मिशन में एक्सपोसैट के साथ साथ 10 अन्य उपग्रह भी पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किए गए।

प्रक्षेपण को सफल करार देते हुए इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा, “आप सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं। 1 जनवरी 2024 को पीएसएलवी का एक और सफल मिशन पूरा हो गया।” इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ इस मिशन की लॉन्चिंग खुद देख रहे थे। उपग्रह के सभी चरण सफलतापूर्वक पूरे हो गए। इसरो के एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह समेत 11 उपग्रहों को सफलतापूर्वक उनकी कक्षा में स्थापित किया। इसरो का पहला एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह (एक्सपोसैट) एक्स-रे स्रोत के रहस्यों का पता लगाने और ‘ब्लैक होल’ की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने में मदद करेगा। पीएसएलवी-सी58 ने एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह को पृथ्वी की निचली कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया।

इसरो ने बताया कि इस उपग्रह का लक्ष्य सुदूर अंतरिक्ष से आने वाली गहन एक्स-रे का पोलराइजेशन यानी ध्रुवीकरण पता लगाना है। यह किस आकाशीय पिंड से आ रही हैं, यह रहस्य इन किरणों के बारे में काफी जानकारी देते हैं। पूरी दुनिया में एक्स-रे ध्रुवीकरण को जानने का महत्व बढ़ा है। यह पिंड या संरचनाएं ब्लैक होल, न्यूट्रॉन तारे (तारे में विस्फोट के बाद उसके बचे अत्यधिक द्रव्यमान वाले हिस्से), आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद नाभिक आदि को समझने में मदद करता है। इससे आकाशीय पिंडों के आकार और विकिरण बनाने की प्रक्रिया को समझने में मदद मिलेगी।

एक्सपोसैट में दो उपकरण लगाए गए हैं। पहला पोलरीमीटर इंस्ट्रूमेंट इन एक्सरे यानी पॉलिक्स। इसे रमन शोध संस्थान ने बनाया है। वहीं एक्सरे स्पेक्ट्रोस्कोपी एंड टाइमिंग यानी एक्सपेक्ट दूसरा उपकरण है, जिसे यूआर राव उपग्रह केंद्र बेंगलूरू ने बनाया है। उपग्रहों को स्थापित करने के बाद वैज्ञानिक पीएसएलवी-सी 58 को पृथ्वी की ओर 350 किमी की ऊंचाई तक ले गए। इसके लिए रॉकेट में शामिल किए जा रहे चौथे चरण का उपयोग हुआ। यहां पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल – 3 (पोयम 3) परीक्षण अंजाम दिया गया। यह बता दें कि अप्रैल 2023 में पीएसएलवी सी 55 रॉकेट के साथ भी इसरो ने पोयम परीक्षण किया था।

मिशन के लिए रविवार सुबह 8:10 बजे से उलटी गिनती शुरू कर दी गई थी। प्रक्षेपण सुबह 09:10 बजे चेन्नई से 135 किमी दूर मौजूद श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष-अड्डे के प्रथम लॉन्च पैड से हुआ। इसरो ने बताया कि एक्सपोसैट 5 साल काम करने के लिए बना है, यानी साल 2028 तक इसे काम में लिया जाएगा। प्रक्षेपण के लिए 44.4 मीटर ऊंचा पीएसएलवी-डीएल प्रारूप का रॉकेट बनाया गया है। इसका लिफ्ट-ऑफ द्रव्यमान 260 टन रहा। इसने सबसे पहले पृथ्वी से 650 किमी ऊंचाई पर एक्सपोसैट को स्थापित किया।

यह मिशन करीब 5 सालों तक चलेगा। मिशन निदेशक जयकुमार एम. ने कहा, ‘मुझे पीएसएलवी की 60वीं उड़ान की सफलता का जश्न मनाने के लिए बेहद खुशी है। जो चीजें इस मिशन को और दिलचस्प बनाती हैं उनमें नयी प्रौद्योगिकियां हैं जिन्हें पोअम 3 प्रयोग में दिखाया जा रहा है। हमारे पास सिलिकॉन आधारित उच्च ऊर्जावाली बैटरी, रेडियो उपग्रह सेवा है।’

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