फिल्म बाजीराव मस्तानी को लेकर इन्दौर उच्च न्यायालय में याचिका दायर हुई। इसमें फिल्म के प्रसारण पर रोक लगाने की गुहार लगाई है। याचिका नवाब आवेश बहादुर की ओर से पेश हुई। श्रीमंत बाजीराव पेशवा प्रति प्रतिष्ठान के सचिव श्रीपाद कुलकर्णी ने बताया कि याचिका में कहा कि फिल्म में इतिहास को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया है।
एक ऐतिहासिक व्यक्ति की छबि को धूमिल किया गया है। हमने फिल्म के एक गीत पर भी आपत्ति दर्ज कराई है। भारत के इतिहास में कोई राजा नहीं हुआ, जिसने अपनी पत्नियों को राजदरबार में नचाया हो, लेकिन फिल्म में ऐसा दिखाया गया है। याचिका पर संभवतः शुक्रवार को सुनवाई होगी।
मस्तानी के वंशजों ने ली आपत्ति
फिल्मकार संजय लीला भंसाली की चर्चित फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ में खुद को श्रीमंत बाजीराव और मस्तानी बाई का वंशज बताने वाले बहादुर परिवार ने फिल्म की कहानी पर आपत्ति जताई है और फिल्मकार को नोटिस भेजकर बिना अनुमति फिल्म बनाने का कारण पूछा है।
जीपीओ स्थित बांदा कोठी में रहने वाले बहादुर परिवार के मोहम्मद अवैस बहादुर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर दिखाया जा रहा है। श्रीमंत की दोनों पत्नियों पर नृत्य फिल्माया गया है, जबकि मस्तानी कुशल नृत्यांगना नहीं थीं और श्रीमंत की पहली पत्नी काशीबाई तो गठिया के रोग से पीड़ित थीं, तो वे डांस कैसे कर सकती थीं।
अवैस बहादुर के मुताबिक फिल्म में मस्तानी का लुक भी मुस्लिम महिला जैसा दिखाया जा रहा है, जबकि वह हिंदू राजा छत्रसाल के परिवार की थीं। हमारी आपत्ति फिल्म के डायलॉग- ‘बाजीराव ने मस्तानी से मुहब्बत की है, अय्याशी नहीं’ पर भी है। ये प्रेम के बजाय पेशवा की मजबूरी दिखाता है। बाजीराव पेशवा समाधि स्थल समिति के सचिव श्रीपाद कुलकर्णी ने बताया कि बाजीराव से मस्तानी की शादी खांडा पद्धति से हुई थी।
भोपाल, सीहोर में भी हैं वंशज
अवैस के भतीजे जुल्फिकार बहादुर ने कहा कि श्रीमंत के वंशज भोपाल, सीहोर और पुणे में भी रहते हैं। उन्हीं में से एक ने कुछ समय पहले जबलपुर में भी फिल्म के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। बहादुरजी के भांजे नूह आलम ने कहा कि इंदौर में बाजीराव-मस्तानी की 9वीं पीढ़ी रह रही है।
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