चित्रनगरी संवाद मंच मुम्बई के सृजन संवाद में रविवार 11 फरवरी की शाम को आयोजित कार्यक्रम में शिमला से पधारे सुप्रसिद्ध कथाकार एस आर हरनोट ने कहानी पाठ किया। इस कहानी में ‘आभी’ नामक एक ऐसी चिड़िया की दास्तान थी जो हर समय पर्यावरण को सुरक्षित रखने के काम में सक्रिय रहती है। वह जंगल की रखवाली करती है और झील के जल में अगर कोई एक तिनका भी नज़र आए तो अपनी चोंच से उसे उठाकर बाहर रख देती है। आज के पर्यटक कैसे पहाड़ों में कचरा फैला रहे हैं और कैसे जंगल की शांति भंग कर रहे हैं इसका महत्वपूर्ण चित्रण इस कहानी में था।
यह कहानी सुनकर श्रोता समुदाय मंत्रमुग्ध हो गया। प्रतिष्ठित कवि हूबनाथ पांडेय ने कहां कि आज सिर्फ़ ख़ुद को बचाने की चिंता लोगों में दिखाई पड़ती है लेकिन इस कहानी में पूरे पर्यावरण को बचाने की ईमानदार कोशिश है। हूबनाथ जी ने पर्यावरण पर अपनी एक कविता भी सुनाई। सोशल एक्टीविस्ट कुसुम त्रिपाठी ने पर्यावरण पर बहुत महत्वपूर्ण वक्तव्य दिया। विकास के नाम पर हो रहे कार्यों का आदिवासी जीवन पर क्या असर पड़ रहा है इस पर उन्होंने विस्तार से प्रकाश डाला।
संस्था के संयोजक और संचालक कवि देवमणि पांडेय ने कहा कि हरनोट जी की कहानियां पहाड़ के जीवन के चित्र इतने मार्मिक तरीक़े से सामने रखती हैं कि वे हमेशा के लिए हमारी स्मृति का हिस्सा बन जाती हैं। आभी भी ऐसी ही एक अविस्मरणीय कहानी है। पांडेय जी ने बताया कि चित्रनगरी संवाद मंच में हर रविवार जो साहित्यक आयोजन होते हैं उनमें देश के बहुत से बड़े लेखकों पर कार्यक्रम केंद्रित होते हैं। आज उसी कड़ी में एस आर हरनोट जी की उपस्थिति हमें गौरवान्वित कर रही है।
कथाकार हरनोट का परिचय डॉ मधुबाला शुक्ला ने विस्तार से दिया। उन्होंने कहा कि यह हम सभी के लिए बेहद प्रसन्नता की बात है कि कई साहित्य सम्मानों से विभूषित लेखक हरनोट जी हमारे बीच हैं जिनकी कहानियां मुंबई यूनिवर्सिटी के साथ ही देश की कई अन्य यूनिवर्सिटीज में पढ़ाई जा रही हैं। उनके साहित्य पर 21 एमफिल और 11 पीएचडी हो चुकी हैं। वर्ष 2024 में इलाहाबाद, मुंबई, लखनऊ और मध्य प्रदेश रीवा विश्वविद्यालयों में पीएचडी के पंजीकरण हुए हैं।
शुरुआत में हरनोट जी ने अपनी लेखन यात्रा के बारे में श्रोताओं से संवाद किया और पर्यावरण पर कुछ कविताएं भी सुनाईं।
हरनोट जी ने कहा कि उनकी लेखन यात्रा काफी संघर्षपूर्ण रही जो रोजी रोटी के लिए नौकरी, पढ़ाई और सामाजिक कार्यों के साथ आज तक चली आ रही है। उन्होंने बताया कि पहाड़ और समाज के हर विषय को उन्होंने कहानियों में अभिव्यक्त किया है। उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि आज विकास के नाम पर जो कुछ हो रहा है उससे जंगल और नदियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। इसीलिए समय-समय पर हमें भीषण प्राकृतिक विभीषिका का सामना करना पड़ता है।
क्योंकि हरनोट की कहानी “आभी” पर्यावरण और वन माफिया पर केंद्रित थी इसलिए ढाई घंटे का यह कार्यक्रम पर्यावरण विषय पर ही केंद्रित था। इस कार्यक्रम में जानेमाने कवि आलोचक अनूप सेठी, पत्रकार विवेक अग्रवाल, उपन्यासकार कथाकार गंगाराम राजी, अभिनेत्री शाइस्ता ख़ान और अभिनेता सौरभ के साथ मुंबई के चालीस से अधिक लेखक और छात्र उपस्थित थे।
प्रकृति और पर्यावरण पर केंद्रित कविताओं का पाठ डॉ कनकलता तिवारी, सत्यभामा सिंह, नंदिता माजी, अन्नपूर्णा गुप्ता ‘सरगम’, सीमा त्रिवेदी, बिट्टू जैन ‘सना’, डॉ दमयंती शर्मा, आशु शर्मा, विश्वभानु, मदन गोपाल गुप्ता, महेश साहू और यशपाल सिंह ‘यश’ ने किया। संचालक देवमणि पांडेय ने अपनी हिमाचल यात्रा के समय लिखी कविताएं सुनाईं।