Saturday, November 23, 2024
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पूनम बंसल का गीत संग्रह – चांद लगे कुछ खोया खोया

अपने मुरादाबाद प्रवास के दौरान यह गीत संग्रह देखने को मिला। गीतकार पूनम बंसल स्थानीय पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में लंबे समय तक प्राध्यापिका रही हैं, गीत लिखना उन्हें विरासत में मिला लेकिन उन्होंने प्रेम की अनुभूतियों को एक अलग कलेवर प्रदान किया है। गीतों में ताजगी है और अपनी बात को ख़ूबसूरती से शब्दों का आवरण पहनाने और भावों को तराशने की ललक भी।

माँ के लिए लिखे गीत की पंक्तियाँ देखिए :
सूर्य बनी माथे की बिंदिया पायल करे मधुर छन छन
पल्लू में चाबी का गुच्छा चूड़ी करती हैं ख़न ख़न
उसकी ख़ुशबू हर कोने में वो घर का शृंगार है
जीवन के तपते मरुस्थल में माँ गंगा की धार है।

गीतों में वो वेदना भी है जिससे एक स्त्री को दो चार होना ही पड़ता है संग्रह में कई जगह देखने को मिलती है:
पीड़ाओं के गीत रचे हैं
स्वर सकते हैं आहों में
शब्द शब्द जब हो कर गुजरे
पथरीली सी राहों में

या फिर:
नीरवता में आंसू लेकर चाहत की तस्वीर बनी
बीच भँवर में डूबी है जब रांझे की वो हीर बनी

और यह भी :
आंसू में डूबा हुआ, है जिसका संगीत
कैसे में पूरा करूँ, इस जीवन का गीत
दुख बचपन से साथ है, सुख तो है मेहमान
मोल न जाने हंसी का, दुख से जो अनजान।

उनके काफ़ी सारे गीतों में मुखड़ा ग़ज़ल के मतले जैसा है :
अपने कब होते हैं अपने, सबको ये भरमाते हैं
नींदों में आ कर बस्ते हैं, दिन होते उड़ जाते हैं .

या फिर :
जबसे उसने मन से मन का डीप जलाना छोड़ दिया
हमने भी उसके सपनों में आना जाना छोड़ दिया

पूनम के गीतों में जीवन का दर्शन भी है:
दुख के बाद सुखों का आना
जीवन का यह ही क्रम है
साथ नहीं कुछ तेरे जाना
क्यों पाले मन में भ्रम है

और यह भी:
रौशनी भी यह लुटाता सूर्य जो देता तपन
दर्द उसका कौन समझे जब लगे उसको ग्रहण

एक और नमूना:
तूफ़ानों से जीत गए पर दिल की हर बाक़ी जारी
खोने का ही नाम ज़िंदगी समझाते नभ के तारे

पूनम बंसल से बहुत पुराना परिचय रहा है, लेकिन उनसे मुलाक़ात चालीस वर्ष के बाद हुई। यह इस बार ही पता चला कि वे एक संवेदनशील कवि हृदय रखती हैं और अपनी भावनाओं को उसी कुशलता से काग़ज़ पर उतारने की क्षमता भी रखती हैं। उनका अगला संग्रह निश्चित रूप से ग़ज़लों का होने जा रहा है क्योंकि उन्होंने हाल ही में संजीदा ग़ज़ल कहने का सिलसिला भी शुरू किया है।

चाँद लगे कुछ खोया खोया डॉ पूनम बंसल
गुंजन प्रकाशन, मुरादाबाद मूल्य: 200

(प्रदीप गुप्ता स्टैट बेंक के सेवा निवृत्त अधिकारी हैं और साहित्यिक , सांस्कृतिक व सामाजिक गतिविधियों पर रचनात्मक लेखन करते हैं।)

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