Tuesday, November 26, 2024
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पटना हाईकोर्ट में हिंदी में याचिका के मामले में ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई’ भी कूदा

पटना हाईकोर्ट में हिंदी के मामले को लेकर हो रही सुनवाई में अब ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई’ भी कूद पड़ा है। गौरतलब है कि वैश्विक हिंदी सम्मेलन देश-दुनिया में भारतीय भाषाओं के प्रयोग व प्रसार को बढ़ाने के लिए निरंतर कार्यरत और संघर्षरत है। जनभाषा में न्याय को लेकर वैश्विक हिंदी सम्मेलन की ओर से देश भर में संगोष्ठियां व सम्मेलन आयोजित किए जाते रहे हैं।

वैश्विक हिंदी सम्मेलन संयोजक महाराष्ट्र के संयोजक डॉ नरेन्द्र गुप्ता ने बताया कि वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई ने पटना हाईकोर्ट के सीडब्लूजेसी संख्या 17542/ 2018 इंद्रदेव प्रसाद बनाम महाधिवक्ता बिहार एवं अन्य को पक्षकार बनाने हेतु आवेदन संख्या 1/ 2024 दाखिल किया है। इस केस में हिंदी-अंग्रेजी के बीच का विवाद विचार में है। उस केस में पटना उच्च न्यायालय नियमावली 1916 का भाग 2 अध्याय 3 नियम एक चुनौती के अधीन है जो प्रावधानित करता है पटना उच्च न्यायालय में सब आवेदन अंग्रेजी में दाखिल होंगे। उसके गुण-दोष पर विचार हो रहा था कि बिना अंग्रेजी अनुवाद संलग्न करवाए हुए ही मुख्य न्यायाधीश संजय करोल वाली न्यायपीठ विचार कर रही थी।

डॉ नरेन्द्र गुप्ता ने आगे कहा कि जैसे ही वह मुकदमा माननीय मुख्य न्यायमूर्ति के विनोदचंद्रन वाली न्यायिक खंडपीठ में लगी, वैसे ही हिंदी आवेदन का अंग्रेज़ी अनुवाद संलग्न करने का दायित्व प्रति-पक्षकार इंद्रदेव प्रसाद स्थाई सलाहकार संख्या 27 पटना उच्च न्यायालय, इन्द्रदेव प्रसाद अपने हिंदी आवेदन का अंग्रेज़ी अनुवाद दाखिल करने से इनकार किया । फिर भी उन्होंने जबरदस्ती इन्हें अंग्रेजी अनुवाद दाखिल करने का निर्देश दे दिए। इसकी जानकारी जैसे ही ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई’ के निदेशक डॉ. मोतीलाल गुप्ता ‘आदित्य’ को मिली, उन्होंने भारतीय भाषाओं की इस संघर्ष में जैन भाषा में न्याय के लिए संघर्षरत अधिवक्ताओं का साथ देने के लिए ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’, मुंबई को पक्षकार बनने के लिए आवेदन दाखिल कर दिया, जो ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई’ के निदेशक डॉ. मोतीलाल गुप्ता ‘आदित्य’ के माध्यम से दाखिल हुआ।

मुख्य न्यायाधीश के न्यायालय में आवेदक ने कहा, ‘मारीच मन में करे विचारा, दोनों तरफ से मरण हमारा।’ अगर हम अंग्रेजी अनुवाद देते हैं तो स्वर्ण सिंह बग्गा केस में माननीय पूर्ण पीठ की गरिमा घटती है और नहीं दाखिल करते हैं तो इस न्याय खंडपीठ की महिमा घटती है। एडवोकेट्स एसोसिएशन की ओर से अध्यक्ष, शैलेंद्र कुमार सिंह उपस्थित होकर कर चार सप्ताह समय की प्रार्थना की। उन्होंने ने कहा कि हिंदी विरोधी कानून पर पुनर्विचार मंत्रिमंडल का निर्णय अभी राष्ट्रपति जी के यहां लंबित है, संशोधित अधिसूचना बहुत जल्दी जारी होने वाली है, इस पर मुख्य न्यायाधीश ने मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई के लिए चार सप्ताह का समय दिया।

‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ के कि इस सहयोग के लिए पटना उच्च न्यायालय की वकीलों ने हृदय से स्वागत किया। वैश्विक हिंदी सम्मेलन के निदेशक, डॉ मोतीलाल गुप्ता ‘आदित्य’ ने कहा कि ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ द्वारा जनभाषा में न्याय के लिए देश भर में निरंतर प्रयास किया जाता रहेगा।

 

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