Saturday, November 23, 2024
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तीसरे विश्वयुद्ध के बाद बचे लोग लगे थे उम्मीदों को जीवित रखने की कोशिश में…

पर्यावरण को समर्पित कालजयी उपन्यास “प्रोफेसर वायुमंडल” का विमोचन

यद्यपि तीसरा विश्व युद्ध समाप्त हो चुका था, लेकिन पृथ्वी 47 अभी ज़िंदा बच गई थी। वह बुरी तरह तड़प रही थी, क्योंकि उसका अंग-अंग ज़ख़्मी था और प्रदूषण खुद उसे निगलने की कोशिश कर रहा था। पृथ्वी का समस्त जल दूषित हो गया था। पेड़ जल चुके थे और उस ऑक्सीजनरहित हवा में सांस लेना बड़ा मुश्किल था। हर तरफ़ केवल गंदगी का अंबार लगा हुआ था। हां, जो लोग धरती के इस अब तक के सबसे बड़े विनाश के बाद भी किसी तरह बच गए थे, वे लोग अब अपनी उम्मीदों को जीवित रखने की कोशिश कर रहे थे।

यह पंक्तियां हिंदी में लिखे गए अद्भुत फैंटेसी उपन्यास “प्रोफेसर वायुमंडल” से उद्धृत की गई हैं। जो प्रदूषण की भयावहता को दर्शाता है। इस असाधारण उपन्यास को स्वतंत्र फ़िल्ममेकर अभिषेक ब्रह्मचारी ने लिखा है। उपन्यास का विमोचन वाराणसी के मशहूर डीएवी पीजी कालेज के राजनीति शास्त्र के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. दीनानाथ सिंह के कर-कमलों से हुआ। विमोचन समारोह बीएचयू के अंतर-विश्वविद्यालय अध्यापक शिक्षा केंद्र के सभागार में हुआ। इस अवसर पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय के प्रो. सुनील कुमार सिंह और आईयूसीटीई, बीएचयू के निदेशक प्रो. प्रेम नारायण सिंह समेत बड़ी संख्या में अध्येता, विद्यार्थी और बुद्धिजीवी मौजूद थे।

प्रो. दीनानाथ सिंह ने ब्रह्मचारी की प्रशंसा करते हुए कहा, “लेखक जब सोचता है तो संवेदना होती है, तरंग उठता है, और तब रचना होती है और रचना एक बड़ा मनोभाव है। प्रोफ़ेसर वायुमंडल में वही मनोभाव प्रकृति के प्रति चिंता के रूप में व्यक्त होता है।” प्रो. सुनील कुमार सिंह ने कहा, “लेखक कई सारी विशिष्टताओं से स्वयं भरा हुआ होता है और उसका असर प्रोफ़ेसर वायुमंडल में भी दिखता है।” उन्होंने अच्छे कथानक लिखने प्रयास के लिए लेखक और पुस्तक की बेहतर गुणवत्ता के लिए प्रकाशक को साधुवाद दिया।

विमोचन समारोह की अध्यक्ष करते हुए प्रो. प्रेम नारायण सिंह ने मंच पर उपस्थित अतिथियों को रुद्राक्ष की माला और अंगवस्त्र देकर सम्मान्नित किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि प्रोफ़ेसर वायुमंडल एक अलग किस्म की रचना प्रतीत होती है। यह उपन्यास ब्रह्मचारी के बड़े चाचा बीएचयू के पूर्व वित्त अधिकारी दिवंगत श्यामबाबू पटेल को समर्पित है। श्यामबाबू ख़ुद प्रकृतिवादी इंसान थे और अपने संपूर्ण को पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया था।

इस समारोह में एलबी पटेल, बीएचयू के पूर्व संपदा अधिकारी, बीएचयू के विधि संकाय के प्रो. रजनीश कुमार पटेल, बीएचयू के संयुक्त कुलसचिव संजय कुमार, बीएचयू के शिक्षा संकाय के डॉ पंकज सिंह, उषा पटेल, आभा श्याम, पूर्णिमा रजनीश, मीरा पटेल, गायक एवं अभिनेता युगल किशोर सिंह, बनारस फ़िल्म फेस्टिवल के संस्थापक रणवीर सिंह, खुला आसमान संस्था की संस्थापक रोली सिंह रघुवंशी, होप कंसल्टेंट के संस्थापक दीपेंद्र चौबे, गुप्तचर विभाग के पूर्व डिप्टी एसपी आरपी सिंह, डॉक्टर सुमन यादव और अभिनेता नवीन चंद्रा उपस्थित रहे। इसका अलावा समारोह में राधेश्याम सिंह, परशुराम सिंह, रवींद्र सिंह, वीरेंद्र बरनवाल, कपिल कुमार, गौरव सिंह, विशाल सिंह, अभिनव पटेल, राजीव पांडेय, अविरल श्याम, करण राणा और अभिनेता नवीन चंद्रा एवं राज वर्धन सिंह  ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। कार्यक्रम का संचालन अभिनेता-लेखक उमेश भाटिया ने किया और राहुल यादव ने उसे अपने कैमरे में क़ैद किया।

अस्तित्व प्रकाशन के द्वारा प्रकाशित प्रोफ़ेसर वायुमंडल की कहानी पृथ्वी 47 नामक काल्पनिक ग्रह में घटे तीसरे विश्वयुद्ध के बाद के जीवन को दर्शाती है, और पर्यावरण के महत्व और प्रदूषण के प्रकोप पर प्रकाश डालते हुए कथानक के मुख्य चरित्रों के आपसी संघर्ष के माध्यम से हमें भविष्य में घटने वाली संभावित घटनाओं के प्रति सचेत भी करती है। प्रोफ़ेसर वायुमंडल अमेज़न, फ्लिपकार्ट, बीएसपीकार्ट, अस्तित्व प्रकाशन स्टोर, किंडल, गूगल प्ले आदि समेत अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध है।

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